दल्लीराजहरा। लौह नगरी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ज्ञानांजलि भवन में चैतन्य देवियों की झांकी सजाई गई है। चैतन्य झांकी का उद्घाटन ब्रह्मा कुमारीज़ दल्लीराजहरा की संचालिका ब्रह्मा कुमारी पूर्णिमा बहिनजी,आईओसी राजहरा मुख्य महाप्रबंधक आरबी गहरवार, रेखा गहरवार, व्यापारी संघ अध्यक्ष गोविंद वाधवानी, अध्यक्ष श्रमजीवी पत्रकार संघ शेखर गुप्ता, डॉ. शिरोमणि माथुर,जयदीप गुप्ता, प्रदेश मीडिया प्रभारी मोर्चा स्वाधीन जैन, पूर्व पार्षद गीता मरकाम, प्राचार्य टीआर रानाडे ने किया। इस चैतन्य देवियों की झांकी में विशेष रूप से कन्याओं द्वारा किया गया राजयोग अभ्यास से एकाग्रता की शक्ति है जो कि तपस्वी रूप में बैठी रहती हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय भवन दल्लीराजहरा में आयोजित चैतन्य देवियों की झांकी के तीसरे दिन उद्घाटन अवसर पर दल्लीराजहरा शहर व आसपास क्षेत्र के लोग पहुँचे। इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक आईओसी राजहरा आर.बी गहरवार ने चैतन्य देवियों के एकाग्रचित मन की सराहना करते हुए कहा कि यह राजयोग का ही कमाल है जो इतने समय तक पूर्ण स्थिरता के साथ यह बहने देवी स्वरूप में एकाग्रचित होकर बैठी है।डॉ.शिरोमणि माथुर ने कहा की मानव जीवन का उद्देश्य है मैं कौन हूं? मेरा कौन है? और मुझे इस सृष्टि पर क्या करना है।इन बातों को जानना। जिसका ज्ञान हमें इस संस्था में आने से प्राप्त होता है। राजहरा व्यापारी संघ अध्यक्ष गोविंद वाधवानी ने कहा कि इस स्थान पर आने से ही एक अलग सी ऊर्जा की अनुभूति हो रही है जो कि इन ब्रह्मकुमारी बहनों की तपस्या एवं साधना का परिणाम है । मुख्य महाप्रबंधक आरबी घर ने कहा कि हमारा जीवन आज इतना व्यस्ततम हो गया है कि शांति की कल्पना भी नहीं कर सकते, इसलिए केवल योग ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने जीवन में पुनः शांति को स्थापित कर सकते हैं। प्राचार्य टीआर रानाडे कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था पूरे विश्व को एकता एवं बंधुत्व में बांधने का सराहनीय कार्य कर रही है।ब्रह्माकुमारी दल्लीराजहरा की मुख्य संचालिका पूर्णिमा दीदी ने कहा कि आप सभी को यहां पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे है। शांति एवं प्रेम के सागर परमपिता परमात्मा इन बहनों के द्वारा विश्व में शांति एवं प्रेम स्थापित करने का अनुपम कार्य कर रहे हैं। इस दौरान पत्रकार भोजराम साहू, निलेश श्रीवास्तव एवं प्रजापति ब्रह्मकुमारी के अनुयायी उपस्थित थे।