सर्पदंश पीड़ितों और सांपों को बचाने के लिए सभी की सहभागिता जरूरी : कलेक्टर विजय

0  सांपों के साथ सुरक्षित रहवास, पहचान, बचाव एवं उपचार ट्रेनिंग कार्यशाला 
जगदलपुर। कलेक्टर विजय दयाराम के. ने कहा है कि मध्य भारत में पाए जाने वाले जहरीले सांप, उनके जहर से बचाव और प्राथमिक उपचार सहित एंटी वेनम के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक कर वन्यजीव और मानव जीवन को बचाना हमारी प्राथमिकता है। इस दिशा में स्थानीय समुदाय को जागरूक करने के साथ ही पुजारी, गायता, सिरहा आदि पारंपरिक उपचारकर्ताओं तथा बस्तर के सामाजिक संरचना के स्थानीय नेतृत्वकर्ता मांझी, चालकी, नाईक-पाइक की व्यापक सहभागिता सुनिश्चित करने सकारात्मक प्रयास की जाएं।
कलेक्टर विजय वन विद्यालय जगदलपुर में आयोजित तीन दिवसीय सांपों के साथ सुरक्षित रहवास, पहचान, बचाव और उपचार प्रशिक्षण सह कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कलेक्टर विजय दयाराम के. ने कार्यशाला के प्रतिभागियों से इस मुद्दे को गंभीरतापूर्वक लेने और भविष्य में इस पहल को आगे बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि सांप की पहचान वाली कैटलॉग, ब्रोसर, फ्लेक्स तैयार कर स्कूलों और ग्राम पंचायतों में वितरित किया जाए। साथ ही 112 इमरजेंसी सर्विसेज सेवाओं के साथ जुड़कर सांप रेस्क्यू करने वालों को शामिल किया जाए और लोगों को सही और वैज्ञानिक उपचार की जानकारी देकर जागरूक किया जाए। वहीं उपचार के लिए स्थानीय पारंपरिक उपचारकर्ताओं को विश्वास में लेकर उनका बेहतर सहयोग लिया जाए। जिला प्रशासन के सहयोग से कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सांप की पहचान, सर्पदंश की रोकथाम और सही उपचार के संबंध में प्रशिक्षण कार्यशाला 30 अगस्त तक चली। इस कार्यशाला का उद्देश्य वन कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों और स्थानीय समुदाय के लोगों को सर्पदंश की घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करना था। कार्यशाला का संचालन करते हुए स्नैक बाईट हीलिंग एंड एजुकेशन सोसायटी की अध्यक्ष और संस्थापक प्रियंका कादम ने ग्रामीण और वन क्षेत्रों में सांप के काटने की रोकथाम के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत में सांप के काटने से होने वाली मौतें अन्य सभी मानव-वन्यजीव संघर्षों से अधिक है।कार्यशाला में प्रतिभागियों को प्राथमिक चिकित्सा, सही प्रोटोकॉल और सर्पदंश के मामलों को प्रभावी ढंग से रोकथाम करने की जानकारी दी गई। साथ ही सांपों की पारिस्थितिकी में उनकी भूमिका और जैव विविधता के संरक्षण के महत्व पर भी चर्चा की गई। मुख्य वन संरक्षक बस्तर वन वृत्त आरसी दुग्गा, निदेशक कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान चूड़ामणि सिंह तथा निदेशक वन विद्यालय दिव्या गौतम ने भी प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित किया। कार्यशाला में आदिवासी कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त श्री गणेश राम शोरी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय बसाक सहित वन विभाग के अधिकारियों ने सक्रिय योगदान दिया। इस कार्यशाला में 200 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। अंतिम दिन 30 अगस्त को बस्तर जिले के 3 ब्लॉक से प्रतिभागी शामिल हुए। इसमें वन विभाग के कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, स्नेक रेस्क्यू एवं मैना मित्र आदि शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आवास के नष्ट होने के कारण सांपों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है, जिससे मानव और वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है। इस कारण सांप के काटने की समस्याएं और भी जटिल हो रही हैं। कार्यशाला में इन सभी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।

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