0 रातभर हॉस्टल में असहाय रहते हैं आदिवासी छात्र
(अर्जुन झा) बकावंड। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार आदिवासियों के कल्याण और उनके बच्चों की शिक्षा के के लिए बड़ी संजीदा है, मगर अधिकारी उतने ही लापरवाह बने हुए हैं। बस्तर जैसे अति संवेदनशील और आदिवासी बहुल संभाग में अधिकारीयों की लापरवाही के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। बकावंड विकासखंड के करीतगांव स्थित आदिवासी आवसीय बालक छात्रावास के अधीक्षक की मनमानी और बेपरवाही का बड़ा मामला सामने आया है और इसे लेकर पालक, जागरूक नागरिक एवं जनप्रतिनिधि आक्रोशित हो चले हैं।
बकावंड जनपद की ग्राम पंचायत करीतगांव के आदिवासी आवासीय बालक छात्रावास के अधीक्षक छात्रावास से अनुपस्थित रहते हैं। अधीक्षक रोज शाम 5 बजे अपने घर लौट जाते हैं और सुबह 10 बजे छात्रावास में आ जाते हैं। रात में वे छात्रावास में नहीं रहते। रात के समय छात्रावास में विद्यार्थियों की देखरेख करने वाला कोई नहीं रहता। विद्यार्थियों को पूरी रात भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। करीतगांव के ग्रामीण का कहना है कि अधीक्षक का काम छात्रावास के बच्चों की देखरेख करना है, लेकिन छात्रावास अधीक्षक को छात्रावास परिसर में बने आवास में न रहकर अपने निजी मकान में रहते हैं और शाम होते ही छात्रावास से घर चले जाते हैं।वे रोज घर से आना-जाना करते हैं। छात्रावास में करीब 50 बालक रह रहे हैं। रात के समय अचानक किसी बच्चे का तबीयत खराब हो जाए या कोई विपदा आ जाए, तो उनके रक्षक के रूप में कोई नहीं रहता। छात्रावास के बालकों का कहना है कि अधीक्षक के अनुपस्थित रहने के कारण समय पर नाश्ता और भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाती है।छात्रावासी विद्यार्थी बताते हैं कि अधीक्षक रोज अपने घर से आना-जाना करते हैं, छात्रावास में रात के समय कभी नहीं रुकते। मंडल संयोजक आदिवासी विभाग छात्रावास बालमुकुंद गागड़ा ने भी अधीक्षक की छात्रावास से रोज अनुपस्थित रहने की पुष्टि की है। वहीं छात्रावास अधीक्षक योगेश कुमार का कहना है कि घर में काम की वजह से उन्हें छात्रावास से जाना पड़ा था।
वर्सन
गायब रहते हैं अधीक्षक
हॉस्टल अधीक्षक अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। रात के समय बच्चों की देखरेख करने वाला कोई नहीं रहता। यह गंभीर मसला है। अधिकारी इस ओर ध्यान दें।
-रामानुजाचार्य,
जनपद उपाध्यक्ष, बकावंड