शिरोमणि माथुर की रचनाओं में छुपा है जीवन का यथार्थ – विनय कुमार पाठक

० शिरोमणि माथुर की तीन कृतियों और इंद्र बहादुर की दो रचनाओं का विमोचन 
दल्ली राजहरा। हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा द्वारा नगर के माथुर सिनेप्लेक्स में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिरोमणि माथुर (दल्ली राजहरा) की कृतियां कहानी संग्रह राहें, चलें गगन के पार और लाएं स्वर्ग धरा पर, मुंबई के साहित्यकार इंद्र बहादुर सिंह पवई की कृति भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में हासिये का समाज -संदर्भ चलें गगन के पार और भारतीय सांस्कृतिक परंपरा को डॉ. शिरोमणि माथुर का प्रदेय का विमोचन हुआ। कवि सम्मेलन भी आयोजित किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. विनय कुमार पाठक कुलपति थावे विद्यापीठ गोपालगंज के कुलपति एवं छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. इंद्र बहादुर सिंह मुंबई, देवलाल ठाकुर प्रदेश प्रवक्ता भाजपा छग, इदरीश गांधी अध्यक्ष उर्दू अकादमी छग, मोहन प्रसाद चतुर्वेदी वरिष्ठ साहित्यकार गुरुर, दादूलाल सोनी वरिष्ठ साहित्यकार सोमनी राजनांदगांव, सुमीत जैन एमडी देव माइनिंग दल्ली राजहरा, जीआर रावटे चीफ इंजीनियर लोक निर्माण विभाग बस्तर जोन, पीयूष सोनी पूर्व मंत्री प्रतिनिधि व छगन साहू प्रदेश मीडिया प्रभारी भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा थे। अतिथियों के साथ मेजबान साहित्यिक बिरादरी की ओर से शिरोमणि माथुर ने दीप प्रज्ज्वलित एवं मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर समारोह का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि तथा अन्य अतिथियों ने पहले वरिष्ठ साहित्यकार शिरोमणि माथुर की तीनों नवीन कृतियों, फिर मुंबई के वरिष्ठ साहित्यकार इंद्र बहादुर सिंह की दोनों रचनाओं का विमोचन किया। संयोग देखिए कि इंद्र बहादुर सिंह की दोनों रचनाएं भी शिरोमणि माथुर की एक कृति और उनके साहित्यक योगदान पर आधारित थीं। इंद्र बहादुर सिंह ने शिरोमणि माथुर की कलम की धार को सराहते हुए कहा कि आज की पीढ़ी के रचनाकारों को शिरोमणि माथुर की रचनाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिरोमणि जी की रचनाओं में जीवन का यथार्थ, गांव, गरीब, मजदूर, किसान और नारी का दर्द छुपा हुआ है। इनकी कहानियां दिल की गहराई में उतर जाती हैं। अन्य साहित्यकारों ने भी शिरोमणि माथुर की कृतियों व लेखन शैली को सराहा। विमोचन उपरांत कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ तथा बाहर से आमंत्रित कवियों ने बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच उत्कृष्ट रचनाओं से आयोजन स्थल को जोश और उल्लास से भर दिया।

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