रायपुर। स्थानीय मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द साहिब 28 से 30 अप्रेल तक तीन दिन अमरावती प्रवास पर रहेंगे। वे वहां संत कंवरराम साहिब जी के तीन दिवसीय जयंती एवं संत कंवरराम साहिब के प्रपोत्र साईं राजेशलाल जी के गद्दीनशीनी समारोह में शामिल होंगे। साईं मसन्द साहिब करीब दस वर्षों से देश के 4 मूल शंकराचार्यों व अन्य बडे़ संतों के सहयोग से भारत में सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित धर्म का शासन स्थापित करवाकर देश को पुनः विश्वगुरु एवं सोने की चिड़िया कहलाने वाला समृद्ध राष्ट्र बनाने की मुहिम चला रहे हैं। मुहिम की सफलता हेतु उन्होंने एक 14 सूत्रीय कार्य योजना बनाकर उसकी पुस्तक भी प्रकाशित करायी है।
अमरावती में साईं मसन्द साहिब वहां आने वाले संतों व समाज सेवकों को अपने अभियान से अवगत कराएंगे। उनका मत है कि विश्व मंच पर भारत की भूमिका हर युग में विश्व का कल्याण करने वाले विश्वगुरु की रही है। किन्तु हमारी आपसी फूट आदि के कारण हम करीब एक हजार साल तक विदेशों के गुलाम रहे। उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत अब 75 वर्ष से एक आजाद देश है, तथापि वह अब भी दुनिया के भ्रष्ट और पिछडे़ देशों की सूची से बाहर नहीं निकल पाया है। इसका कारण आजादी के बाद भारत में मानव जीवन को सुखी, आनंदमय व सार्थक बनाने का मार्ग प्रशस्त करने वाला हर युग में सफल रहा सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित धर्म का शासन लागू न होना है।
उन्होंने कहा कि देश की जनता पर सर्वाधिक प्रभाव देश के शासकों का पढ़ता है। इसलिए हर युग में भारत में सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित धर्म का शासन की प्रणाली लागू रही। वैदिक सिद्धांत जहां एक ओर मानव जीवन की भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा, रक्षा, न्याय, स्वास्थ्य, पर्यावरण, दाम्पत्य जीवन, त्यौहार आदि समस्त मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति का दार्शनिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक ज्ञान देते हैं वहीं दूसरी ओर वे हमारे जीवन के मूल उद्देश्य ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। उल्लेखनीय है कि सन् 2016 में उज्जैन में सिंहस्थ कुम्भ मेले के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन में इस अभियान को सफल करने का एक प्रस्ताव भी पारित हो चुका है।