रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत वैरिशा में सीनियर इंजीनियर (आई.टी.) के पद पर कार्यरत आदित्य प्रताप सिंह को पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के द्वारा हिंदी विषय में “भारतीय रेल की राजभाषा पत्रिकाओं का भाषिक और साहित्यिक अवदान (दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के संदर्भ में)” के लिए हिंदी विषय में पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई है।
उन्होंने अपना शोध कार्य महासमुंद के वल्लभाचार्य महाविद्यालय की प्राचार्य और विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनुसूया अग्रवाल (डी.लिट.) के निर्देशन और डॉ. शीला दानी, सहायक प्राध्यापक के सह-निर्देशन में शास. कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय, देवेन्द्र नगर के शोघ केंद्र से संपन्न किया।
डॉ. आदित्य प्रताप सिंह विगत 12 वर्षों से विभिन्न विद्याओं में निरंतर लेखन कार्य कर रहे है। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध पत्र लेखन-वाचन किया है। वर्तमान में उनकी 4 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और 2 प्रकाशनाधीन है। भारतीय रेल के राजभाषा प्रबंधन और कियान्वयन पर उन्होने पुस्तक लेखन का कार्य किया है और विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं से सम्मानित किये जा चुके है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड और वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड से सम्मानित पुस्तक में सह-लेखन का कार्य किया है। बॉलीवुड के भजन सम्राट अनुप जलोटा और सुरेश वाडकर और साधना सरगम जी ने उनके गीतो / भजनों को अपना स्वर दिया है। छत्तीसगढ़ी फिल्म के साथ हिंदी के गीत / भक्तिगीतों गीत और पटकथा लेखन और निर्देशन का कार्य भी समय समय पर करते रहते है।
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव, काठमांडू और भूटान के थिंपु और पारो के हिंदी सम्मलेन में सम्मानित किये गये। ग्याहरवें विश्व हिंदी सम्मेलन, पोर्ट लुइस, मॉरीशस और भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित द्वितीय राजभाषा अधिवेशन के साथ विश्व हिंदी परिषद के नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलनों में शिरकत किये।
इसके अतिरिक्त विश्व हिंदी मंच, अध्ययन एवं अनुसंधान पीठ-भारत, निर्दलीय प्रकाशन-भोपाल, भाव्या फांउडेशन-जयपुर, भारत उत्थान मंच-कानपुर, रामायण केंद्र-भोपाल तथा कई हिंदी की राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ रेलवे द्वारा भी हिंदी के लिए कई बार सम्मानित किये जा चुके है। फोटोग्राफी के क्षेत्र में विगत 15 वर्षों से सक्रिय है। संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़, नंदनवन जंगल सफारी, रायपुर और विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित किये जा चुके है। निगेटिव ब्लड ग्रुप डोनर में 50 से अधिक बार रक्तदान के लिए कई बार सम्मानित किये जा चुके है। साथ ही सरकारी, स्वयं सेवी संस्थाओं में समाज सेवा के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं में सदस्यता और सहभागिता के साथ सदैव सक्रिय रहते है।