0 मनरेगा में मजदूरों की जगह मशीनों को काम
0 कुम्हरावंड के पंच परमेश्वर काट रहे हैं जमकर चांदी
(अर्जुन झा)बकावंड। उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में तो एम वाय मतलब मुसलमान यादव फैक्टर चलता है। यादव और मुसलमान मतदाता बाहुल्य इन दोनों राज्यों में मुस्लिम यादव मतदाताओं को साधने के लिए समाजवादी पार्टी एवं लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल ने एम वाय को साथ लेकर चलने का नारा दे रखा है। वहीं बस्तर जिले के बकावंड विकासखंड में भ्रष्टाचार का अजीबो गरीब ट्रिपल `एम’ फैक्टर चल रहा है। बकावंड के ट्रिपल एम फैक्टर का मतलब है एम यानि मनरेगा, एम यानि मजदूर और एम यानि मशीन। इस ट्रिपल एम फैक्टर से मजदूर वाला एम बाहर कर दिया गया है, उसकी जगह एम फॉर मनी कर दिया गया है। इसका सार यह है कि मनरेगा के तहत कराए जाने वाले कार्यों को मनी यानि धन कमाने का साधन बना लिया गया है और मजदूरों को काम न देकर मनरेगा के अधिकतर कार्य मशीनों के जरिए कराए जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बकावंड ब्लॉक की कुम्हरावंड ग्राम पंचायत में सामने आया है, जहां अमृत सरोवर निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का जहर घुल गया है।
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में अमृत सरोवर योजना के तहत विकासखंड बकावंड की ग्राम पंचायत कुम्हरावंड के पुजारी पारा में नवीन तालाब निर्माण की स्वीकृति वर्ष 2022- 23 में मिली थी। इसके लिए राशि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना एवं 15वें वित्त मद से उपलब्ध कराई गई थी।तालाब निर्माण का उद्देश्य गांव में जल संरक्षण और ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना था। तालाब निर्माण का काम 2 मार्च 2023 को शुरू हुआ था, लेकिन लगभग डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है, जबकि बरसात का मौसम शुरू हो चुका है। सबसे बड़ी विडंबना वाली बात यह है कि रोजगार गारंटी वाले इस कार्य में मजदूरों को रोजगार देने के बजाय ट्रेक्टर के नांगर (हल) से तालाब के अंदर जोताई कर मिट्टी निकाली जा रही है। उस मिट्टी को मजदूरों से तालाब की मेड़ों पर डलवाया जा रहा है। इस कार्य के एवज में मजदूरों को पर्याप्त मजदूरी राशि भी नहीं दी जा रही है। वहीं अगर ट्रेक्टर हल से मिट्टी खोदाई करने के बजाय मजदूरों को गोदी खोदाई का काम दिया गया होता तो उन्हें ज्यादा मेहनताना मिलता। साथ ही ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार का अवसर भी उपलब्ध होता। इस तरह सरपंच, पंचायत सचिव और रोजगार सहायक द्वारा मानव श्रम को महत्व न देकर, मशीन और ‘अपना सपना मनी मनी’ को महत्व दिया गया है।
रोजगार सहायक का जवाब
इस संबंध में रोजगार सहायक केदार बघेल का कहना है कि अमृत सरोवर योजना के तहत नवीन तालाब निर्माण के लिए 11 लाख रुपया निकला हुआ है। पूरा काम 18 लाख रुपए का है। तालाब का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। 2 साल से खुदाई कर रहे हैं 18 लाख का है बाकी मजदूरी का मस्टर रोल जमा कर दिया हूं कुछ दिन में पैसा आ जाएगा।