0 सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले को खारिज कर दिया था
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ का कथाकथित शराब घोटाला जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में किया है, वह तो उनकी सरकार की साजिश थी। भाजपा और ईडी ने मिलकर इस तथाकथित घोटाले की पटकथा लिखा था। इस शराब घोटाला को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। राजनैतिक विद्वेष वश भाजपा की सरकार बनने के बाद ईडी और ईओडब्लू ने मिलकर फिर से एफआईआर दर्ज किया है। प्रधानमंत्री को वास्तव में शराब घोटाला की चिंता है, रमन राज में 4600 करोड़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ में हुआ था। वर्तमान में जो भाजपा सरकार है वो भी लगातार शराब घोटाला कर रही है। शराब की खरीदी से बिक्री तक में घोटाले हो रहे है। प्रधानमंत्री में साहस है तो इसकी जांच करा ले, पता लग जायेगा कितना घोटाला हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि शराब घोटाला तो भाजपा की सरकार कर रही है। जैसा आबकारी नियमों में बदलाव दिल्ली में आप सरकार ने किया था जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री जेल में है वैसा ही नियमों में परिवर्तन छत्तीसगढ़ सरकार ने भी किया है। यह सीधे-सीधे शराब कंपनियों से मिलने वाले डिस्काउंट की मोटी रकम में घोटाले का खेल है। एफएल-10 का लाइसेंस निरस्त कर सरकार द्वारा सीधे उत्पादक कंपनियों से शराब इसलिये खरीदने का फैसला लिया गया है ताकि कंपनियों से मोटा कमीशन वसूला जाय। दो माह पहले ही सरकार ने 12 कंपनियों को एफएल-10 का लाइसेंस दिया तथा उनके साथ एक वर्ष तक सप्लाई का एग्रीमेंट किया गया उनसे बांड भी भरवाया गया इसके बाद 10 कंपनियों को एफएल-बी का लाइसेंस दिया गया उनसे भी एग्रीमेंट किया गया फिर अचानक सरकार ने इन कंपनियों से किये एग्रीमेंट को रद्द क्यों किया गया? इसका जवाब सरकार को देना चाहिये।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि शराब घोटाला करना भाजपा की पुरानी फितरत है। पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय भी बड़े पैमाने पर शराब घोटाला हुआ था। प्रदेश के आबकारी विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्चस्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने एवं करोड़ों के कमीशनखोरी किये जाने के उद्देश्य से बिना मापदण्डों का पालन किये उनके उत्पाद को IMFL (इंडियन मेड फॉरेन लिकर) की केटेगरी में शामिल करते हुऐ शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया जाकर इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की केटेगरी में रखी गयी शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचने का कार्य करते हुए कई सौ करोड़ रूपयों की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया था।