0 सत्ता के नशे में चूर रहे मंत्री और दो पिट्ठुओं ने बस्तर में डुबोई कांग्रेस की लुटिया
0 फर्जी सर्वें कराकर खास लोगों को दिलाए टिकट
0 दमदार दावेदारों की उपेक्षा कर कमजोर प्रत्याशी उतारे
(अर्जुन झा) जगदलपुर। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार और चुनाव परिणामों का फैक्ट जानने के लिए दिल्ली से छत्तीसगढ़ आई कांग्रेस की फैक्ट फाइडिंग कमेटी के सामने कांग्रेस का फैक्ट खुलकर आ रहा है। जयचंदों की पोल खुल रही है, भितरघातियों की कलई खोली जा रही है और दोगलों के चेहरों से नकाब उतारा जा रहा है। अमूमन शांत रहने वाले कांग्रेस नेता भी पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार नेताओं पर जमकर उबल रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं बस्तर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद दीपक बैज भी पहली बार कुछ ज्यादा ही बिफरे नजर आए। दीपक बैज ने सत्ता और संगठन में तालमेल की कमी को कांग्रेस की हार के प्रमुख कारकों में से एक बताया। विधानसभा चुनावों में बस्तर संभाग की सीटों पर आए विपरीत परिणामों को लेकर भी उन्होंने इसके जिम्मेदार नेताओं के नाम गिनाए।
धीर गंभीर और शांतचित्त स्वभाव वाले नेता दीपक बैज ने खुद पर होते आए अंदरूनी सियासी हमलों के बीच भी हमेशा धैर्य बनाए रखा था। मगर जब पूरे प्रदेश के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से कांग्रेस के गद्दारों, दोगलों और भितरघातियों के खिलाफ पुरजोर आवाज उठने लगी तब दीपक बैज का भी धैर्य आखिरकार टूट ही गया। दरअसल छत्तीसगढ़ में पार्टी की किरकिरी कराने वालों की हरकतों को दीपक बैज सहन नहीं कर पाए और उन्हें खुलकर बोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक फैक्ट फाइडिंग कमेटी के सामने दीपक बैज पहली बार खुलकर बोले और जब बोले तो एक एक परत उधेड़ते चले गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान सत्ता और संगठन में तालमेल की कमी रही। तालमेल तो था, लेकिन अपेक्षाकृत कम रहा। बस्तर में सत्ता के नशे में मदमस्त मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दो सिपाहलसर मिथलेश स्वर्णकार एवं राजीव शर्मा ने पूरे बस्तर संभाग के कांग्रेस विधायकों की नाक में दम कर रखा था। यही लोग नगर निगम के भी निष्ठावान कांग्रेसियों को परेशान करते रहे हैं। संगठन की नहीं सुनकर सत्ता में बैठे लोगों ने फर्जी सर्वे कराकर अपने अपने खास नेताओं को टिकिट दिया और निष्ठावान तथा जिताऊ दावेदारों को उपेक्षित कर दिया, मेहनती और समर्पित कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को किनारे लगाया। यह भी हार का कारण बने। लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार की समीक्षा के दौरान राजीव भवन में सोमवार को राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा सीटों के नतीजों तथा हार के कारणों के बारे में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने 150 से अधिक लोगों से वन-टू-वन मुलाकात कर उनसे चर्चा की।हार के कारणों के बारे में जाना। चार दिन की समीक्षा के बाद यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस गुटबाजी, भितरघात और सत्ता- संगठन में तालमेल की कमी के कारण चुनाव हारी है। समीक्षा बैठक में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्य वीरप्पा मोइली और हरीश चौधरी सभी लोेकसभा सीटों की समीक्षा के बाद रिपोर्ट एआईसीसी को देंगे।
फटा लेटर बम, मचा कोहराम
सोमवार को राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा की बैठक के बीच एक गुमनाम पत्र बाहर आया जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम से लिखे गए पत्र में भूपेश बघेल सहित कई बड़े नेताओं को हार का जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें लिखा गया है कि बड़े नेताओं के अहंकार की वजह से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार हुई है। पत्र में डॉ. चरणदास महंत, अकबर और ताम्रध्वज के खिलाफ भी शिकायत की गई है। सूत्रों के मुताबिक पत्र में कहा गया है कि महंत ने भूपेश बघेल और डहरिया को निपटाया है। पत्र में कहा गया है कि चुनाव परिणामों पर समीक्षा करने आज नेता दिल्ली से रायपुर पहुंचे हैं और विधानसभा, लोकसभा चुनावों में हार के कारणों पर चर्चा कर रहे हैं। जबकि आप स्वयं, राहुल गांधी, कुमारी शैलजा, चंदन यादव, सप्तगिरी शंकर उल्का और प्रदेश के सारे नेता जानते हैं कि हार के मात्र दो कारण हैं। पत्र में कहा गया है कि हार का पहला कारण भूपेश बघेल का अहंकार और बदतमीजी से बात करना, एकला चलो की रणनीति, संगठन को दरकिनार करके चलना, जातिवाद की मानसिकता, उनका भ्रष्टाचार और गलत टिकट वितरण करना है। हार का दूसरा कारण बताते हुए कहा गया है सौम्या चौरसिया, रामगोपाल, गिरीश देवांगन, अनिल टुटेजा, सूर्यकांत, विनोद वर्मा, प्रदीप शर्मा, राजेश तिवारी, ढेबर जैसे लोगों को प्रश्रय देना और सट्टा, शराब, कोयला, डीएमएफ, जीएसटी, पीएससी जैसे कई घोटाले, जिनके कारण बघेल पिता- पुत्र और दामाद के खिलाफ ईडी की कार्रवाई की संभावना से डरकर भूपेश बघेल की भाजपा से डीलिंग हुई। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने का पूरा षड्यंत्र हुआ, जिसमें भूपेश बघेल ने पूरी कांग्रेस को प्रदेश में हासिए पर ला दिया है। यही वजह है कि उनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्री भी हार गए।
हारे हुए चेहरों को दोहराया
लोकसभा चुनाव में हारे हुए पुराने चेहरों को टिकट देने का मामला भी फैक्ट फाइडिंग कमेटी के सामने उठा। बताया गया कि दुर्ग से पांच मंत्री थे सब हारे थे। फिर दुर्ग से चार लोगों को दूसरे क्षेत्रों से टिकट दे दिया गया। परिणाम ये हुआ कि सब हार गए। ज्योत्सना महंत जीती तो उसमें चरणदास या कांग्रेस का कोई रोल नहीं है। सरोज पाण्डेय को भाजपा के बड़े नेताओं ने ही हराया। इसमें दो मंत्री और तीन विधायक का रोल है। अमित जोगी और तुलेश्वर मरकाम का भी सहयोग लिया गया और भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू , चरणदास महंत, रविंद्र चौबे, मो. अकबर, टीएस सिंहदेव तो अपने विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी को लीड तक नहीं दिला सके।
मजबूती से साथ खड़े होंगे
वहीं फैक्ट फाइडिंग कमेटी की बैठक को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सत्ता- संगठन के बीच तालमेल था, लेकिन कुछ कमियां रहीं, जिसके चलते हमें चुनाव में सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा सभी सीनियर नेताओं ने कमेटी को सुझाव दिए हैं। आने वाले समय में संगठन को नए तरीके से मजबूत करके सीनियर नेताओं को साथ में लेकर मजबूती से काम करेंगे। आने वाले समय में नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव मजबूती के साथ लड़ेंगे। विधानसभा चुनाव के बाद जिला स्तर पर समीक्षा की गई थी। कहीं ना कहीं कुछ कारण रहा होगा। नई रणनीति के साथ आने वाले समय में लड़ा जाएगा।