0 ढोढरेपाल के 6 किसानों के नाम पर सरकारी धन की लूट
0 न पेड़ों का पता है, न किसानों को लाभ मिला
(अर्जुन झा)बकावंड। अपना बकावंड विकासखंड भी गजब है। इस विकासखंड में जो न हो जाए, कम है। यहां अधिकारी कागजों में डबरी निर्माण करा लेते हैं, सड़क, नालियां भी कागजों पर बना दी जाती हैं। उद्यानिकी फसलें भी कागजों और फाइलों में ही उगा ली जाती हैं। सचमुच गजब का टैलेंट दिया है ऊपर वाले ने हमारे बकावंड ब्लॉक के अधिकारियों को। यह विकासखंड प्रायः सभी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सबसे सुरक्षित चारागाह बन गया है।छत्तीसगढ़ शासन के उद्यानिकी विभाग के अधीक्षक ने तो ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि पूछो मत। कथित हितग्राही किसानों को भी पता नहीं है कि उनकी जमीन पर अमरुद के पेड़ उग आए हैं। अमरुद पौधेरोपण में संबंधित किसानों के परिजनों को रोजगार देने का दावा भी उद्यानिकी विभाग ने किया है मगर किसानों को नहीं मालूम कि उन्हें कभी रोजगार मिला था। योजना का रत्तीभर भी लाभ भले ही हितग्राही किसानों को न मिला हो, लेकिन विभागीय अधिकारी ने जरूर मालामाल हो गए हैं। पूरे 21 लाख रुपए का शगुन जो उन्हें अमरुद के एवज में मिल गया है।
उद्यानिकी विभाग द्वारा सन 2021 में हितग्राही मूलक पौधारोपण योजना के अंतर्गत बकावंड विकासखंड की ग्राम पंचायत ढोढरेपाल के किसान बुधसिंह और छह अन्य किसानों की निजी जमीन पर अमरुद के 1623 पौधे लगाने के लिए 21 लाख 37 हजार 300 रुपए जिला खनिज निधि फंड और एनएमएच से स्वीकृत करा लिए गए, लेकिन इस रकम से किसी भी किसान की जमीन पर अमरुद के पौधे लगाए ही नहीं गए। वहीं मनरेगा के तहत काम कराने के नाम पर किए गए इस फर्जीवाड़े खेल में मस्टररोल पर 521 मानव श्रम दिवस तक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का उल्लेख करते हुए 4 लाख 51 हजार 649 रुपए 88 पैसे का मजदूरी भुगतान दर्शाया गया है। जबकि न तो किसी किसी किसान की जमीन पर अमरुद का पौधेरोपण किया गया है और न ही किसी को एक दिन भी रोजगार दिया गया है। पूरी राशि का आहरण किश्तों में की गई है।ग्राम पंचायत ढोढरेपाल में किसान बुधसिंह और अन्य 6 किसानों की जमीन का चयन जरूर किया गया था, लेकिन उद्यानिकी विभाग के अधीक्षक ने सबसे मिलीभगत करके योजना को केवल कागजों में ही निपटा दिया है। यह योजना बकावंड ब्लॉक की तीन अन्य ग्राम पंचायतों में लागू की गई है मगर ढोढरेपाल में बड़ा खेल किया गया है।