0 बस्तर के ट्री मैन संपत झा ने मिथिलांचल में रोपे पौधे
0 रोपे चंदन, बरगद, टिकोमा, गुलमोहर, जामुन के पौधे
दरभंगा। बस्तर की हरियाली और निर्मल वातावरण ने बिहार के मूल निवासी समाजसेवी संपत झा को इस कदर प्रभावित किया कि उन्होंने पेड़ पौधे लगाने और पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। उम्रदराज संपत झा की पेड़ पौधों के प्रति दीवानगी का आलम यह है कि वे जहां भी जाते हैं, वहां इस पुण्य कार्य को जारी रखते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस पर संपत झा बिहार के मिथिलांचल में थे।. इस मौके पर वहां नवयुवक कला परिषद द्वारा बाबू साहेब कॉलोनी कबिलपुर लहरिया सराय में पौधेरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। वहां चंदन, टिकोमा, बरगद, गुलमोहर, जामुन के पौधे लगाए गए। पौधरोपण कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्राध्यापक भाग्यनारायण झा ने की। मुख्य अथिति पर्यावरणविद और ट्रीमैन संपत झा थे। नवयुवक कला परिषद से योगानंद झा उर्फ बच्चा बाबू ,मणिकांत झा, शशिकांत झा, रामकुमार झा, आकाश कुमार, रौशन कुमार झा, सुभाष चंद झा, नितेश कुमार झा, प्रदीप कुमार झा, सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे। पौधरोपण के बाद नवयुवक परिषद के सदस्यों द्वारा पौधे में ट्री गार्ड लगाकर सुरक्षित किया गया। भाग्यनारायण झा एवं संपत झा ने युवकों को पौधों की सुरक्षा की शपथ दिलाई।साथ ही पौधरोपण के बाद नवयुवक परिषद के सदस्यों ने स्वल्पाहार का आयोजन कर बैठक आयोजित की।युवाओं द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं भीषण गर्मी की वजह घटती पेड़ों की संख्या को बताते हुए आगामी बारिश में पर्यावरण संरक्षण हेतु व्यापक पौधरोपण जनजागरण करने पर जल्द ही बैठक कर योजना बनाने की बात कही। कार्यक्रम में उपस्थित अथितियों का आभार व्यक्त किया गया।
बस्तर की हरियाली से प्रेरणा
संपत झा को पेड़ पौधे लगाने की प्रेरणा जगदलपुर और बस्तर की हरियाली से मिली है। यहीं से उन्होंने अपने निवास ग्राम और आसपास की बस्तियों में पौधे लगाने की मुहिम शुरू की, जो अब बड़ा अभियान बनता जा रहा है। उनसे अभिप्रेरित होकर मिथिलांचल के युवा भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम आगे बढ़ा रहे हैं। संपत झा ने बस्तर की आबोहवा को अमृततुल्य करार दिया और इस अमृत धारा को मिथिलांचल तक ले ले जाने का संकल्प लेकर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का मिशन बना लिया। श्री झा ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काफी कार्य किया, लोगों को प्रोत्साहित किया। वे बस्तर की नामचीन हस्तियों में शामिल हैं और ट्रीमैन के नाम से चर्चित हैं। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में रुचि रखते हैं। बिहार में इनके किए गए पर्यावरण संरक्षण कार्य की भूरि भूरि प्रशंसा हो रही है।