0 वेंटीलेटर पर जिंदगी की जंग लड़ रही है शिक्षिका
0 शिक्षक संगठनों ने नहीं बढ़ाए मदद के लिए हाथ
(अर्जुन झा) जगदलपुर। सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका अपने स्कूल के सामने ही सड़क दुर्घटना का शिकार होकर आज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है। मगर दुख की बात है कि शिक्षक शिक्षिकाओं की मदद के लिए अग्रणी रहने वाले शिक्षक संगठन और शिक्षक पीड़ित शिक्षिका की मदद के लिए अब तक आगे नहीं आए हैं। वहीं शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों ने भी शिक्षिका किरण दुबे की सुध ली है। ऐसे मे शिक्षक संगठनों से किरण दुबे की उम्मीद की किरण बिखरने लगी है। शिक्षिका किरण दुबे को न तो विभाग से कोई मदद मिल पाई है, न शिक्षक संगठनों और न ही विभागीय साथियों से। जबकि किरण दुबे के साथ हादसा स्कूल के गेट के पास ही हुआ था।सामान्यतया देखा गया है कि ज़ब भी किसी कर्मचारी के साथ इस तरह की कोई दुर्घटना होती है, तो उसके विभाग, संघ व कर्मचारियों का सहयोग जरूर मिलता है। परंतु अभी तक किरण दुबे को अपने विभाग, शिक्षक संघ और सहयोगियों से किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिल पाया है। बास्तानार ब्लाक में देखा गया है कि किसी शिक्षक या कर्मचारी के पर अगर कोई विपत्ति आती है तब सभी शिक्षक साथ खड़े दिखाई देते हैं। परंतु अभी तक किरण दुबे का हालचाल जानने भी कोई नहीं पहुंचा है। किरण दुबे जिंदगी और मौत की लड़ाई महीनों से वेंटिलेटर पर लड़ रहीं है।
वेंटीलेटर पर हैं किरण दुबे
घटना 27 अप्रैल शनिवार की है। रोज की तरह श्रीमती किरण दुबे अपने स्कूल किलेपाल से किलेपाल नम्बर3 निजी वाहन से जा रही थीं। स्कूल के गेट की तरफ उनकी गाड़ी मुड़ ही रही थी कि अचानक सामने से आ रहे पिकअप वाहन ने चालक ने स्कूल के पास सडक पर लगे छत्तीसगढ पुलिस के बेरिकेट को तोड़ते हुए किरण दुबे के वाहन को जोरदार टक्कर मार दी। घटना सुबह स्कूल समय की है। तेज आवाज सुनकर स्कूल स्टाफ ओर सीएसी उस्मान खान दौड़कर बाहर आए। उन्होंने गाडी मे फसी किरण दुबे को बार निकाला ओर स्कूल के प़धान पाठक श्री कुरुद अपने निजी वाहन से उन्हें किलेपाल अस्पताल लेकर गए। वहां से प़ाथमिक उपचार के बाद जगदलपुर रेफर कर दिया गया। हालत गंभीर देखते हुए किरण दुबे को रात 11.30 बजे एमपीएम अस्पताल से रायपुर रेफर कर दिया गया।वर्तमान मे रायपुर के निजी अस्पताल में किरण दुबे का उपचार चल रहा है। एक्सीडेंट मे किरण दुबे के लेफ्ट हाथ मे ओर कूल्हे की दो हड्डियां टूट गई हैं और माथे पर व सीने मे चोट आई है। वर्तमान में हाथ एवं कमर के कूल्हे की हड्डियों का आपरेशन हो चुका है और 15 दिन तक वे आईसीयू मे रही। अब भी उनका इलाज चल रहा है और उन्हें वेंटिलेटर में रखा गया है।
टूट गया बास्तनार का मिथक?
जब भी बास्तनार ब्लाक में किसी प्रकार की ऐसी घटना होती है, खासकर शिक्षकों के साथ तो सभी शिक्षक साथी एकजुटता के साथ आर्थिक सहयोग में आगे रहते हैं। कई बार परिवार के सदस्यों के साथ कुछ घटना होने पर भी सहयोग करते देखा गया है। परंतु इस बार किरण दुबे के मामले में महीने भर बाद भी कोई सहयोग की सुगबुगाहट तक नहीं दिखाई दे रही है। इस संबंध में जब विभाग के कुछ शिक्षकों से पूछा गया तो नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि उनका संघ इस प्रकार के सहयोग में आगे रहता है परंतु दुर्घटना के बाद तुरन्त छुट्टी लग जाने के कारण सभी का ध्यान किरण दुबे मैडम की तरफ नहीं जा सका था। अब जानकारी हुई है आपके माध्यम से तो जरूर भरपूर मदद की पहल करेंगें।