0 पीडब्ल्यूडी के चर्चित एसडीओ का कारनामा
0 ईई को गलत जानकारी देकर निकाली भड़ास
0 अब अपने ईई की भी छवि धूमिल करने पर तुल गए
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के भानुप्रतापपुर में पदस्थ चर्चित एसडीओ गणवीर एसके का एक और नया कारनामा सामने आया है। एसडीओ ने ठेकेदार से लेनदेन की बात नहीं बनने पर करोड़ों रुपयों की लागत से बनी नई सड़क को जेसीबी से तहस नहस करवा दिया। ठेकेदार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने एसडीओ की डिमांड पूरी नहीं की। यहां दाल न गलती देख एसडीओ ने गलत सलत जानकारी देकर अपने ईई के कान भर दिए। एसडीओ अपने ईई के साथ जेसीबी लेकर ठेकेदार की साईट पर पहुंच गए। बिना कुछ कहे एसडीओ ने सड़क को उधेड़वाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में सड़क को तहस नहस कर दिया गया।
लोक निर्माण विभाग के भानुप्रतापपुर सब डिवीजन के एसडीओ गणवीर एसके की निगरानी में भानुप्रतापपुर से अंतागढ़ कच्चे तक करीब 40 किमी लंबी सड़क लगभग 168 करोड़ की लागत से बनवाई जा रही है। इस सड़क के साल्हे और कच्चे के बीच के हिस्से पर करीब 3 किमी लंबी सीसी सड़क ठेकेदार कन्हैया अग्रवाल के माध्यम से हाल ही में बनवाई गई है। बताते हैं कि लेनदेन की बात नहीं जमने के कारण जेसीबी से सड़क को पूरी तरह तहस नहस करवा दिया गया। इससे ठेकेदार कन्हैया अग्रवाल को करीब 50 लाख रूपए का नुकसान हुआ है। गुरुवार को दोपहर के वक्त लोक निर्माण विभाग के ईई महेंद्र कश्यप की उपस्थिति में एसडीओ गणवीर ने यह हरकत की है।इस घटनाक्रम से साल्हे, कच्चे समेत आसपास के गांवों के ग्रामीण और विभाग के अमूमन सभी ठेकेदार हतप्रभ हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी के एसडीओ ने कमीशन के लेनदेन को लेकर बात नहीं बनने पर ईई के समक्ष गलत जानकारी रखकऱ इस कृत्य को अंजाम दिया। ग्रामीणों का कहना है कि अच्छे ढंग से बनवाई गई सड़क को पूरी तरह उखड़वा कर एसडीओ ने इलाके के ग्रामीणों के साथ अन्याय किया है। लोगों को अब आवागमन में परेशानी होगी। यदि जांच करनी ही थी तो एकाध मीटर सड़क की खोदाई करवा लेते। पूरी सड़क को खोद देना अधिकारी की हिटलरशाही को दर्शाता है। वहीं इस मामले में एसडीओ गणवीर का कहना है की 3 किमी सड़क नहीं खोदी गई है, बल्कि मात्र 30 मीटर उखाड़ी गई है। ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता विहीन कार्य कराया गया है। इस कारण उक्त कार्रवाई की गई। एसडीओ गणवीर अपने बचाव भले ही कुछ भी दलील दें, लेकिन मामले के जानकार लोगों का कहना है कि सारा हथकंडा उक्त एसडीओ द्वारा निजी स्वार्थ के लिए ही अपनाया गया है। क्योंकि कमीशन के लिए ये एसडीओ किसी भी हद तक चले जाते हैं।
ईई के नाम डालते हैं दबाव
एसडीओ की नजर हमेशा सरकारी दौलत पर गड़ी रहती है। अब उन्हें 300 करोड़ के कार्य कराने की जिम्मेदारी मिल गई है, तो कमाई के चक्कर में वे बावले हो गए हैं और कमीशन के लिए विभागीय मापदंडों की सीमा रेखा को भी लांघ रहे हैं। बीस साल तक लोक निर्माण विभाग में सब इंजीनियर के तौर पर पदस्थ रहे यह एसडीओ कई कारगुजारियों को अंजाम दे चुके हैं। इस वजह से वे सस्पेंड भी कर दिए गए थे। बताते हैं इस एसडीओ ने अकूत संपत्ति बना ली है। वे अपने मित्रों के सामने कई बार कह चुके हैं कि अपने पास अब पैसा बहुत हो गया है, अब मुझे काम से ज्यादा इन पैसों को सम्हालने की जरूरत है। अब 300 करोड़ का काम क्या मिल गया है, एसडीओ साहब की तो बल्ले बल्ले हो गई है। वे खुलकर कहने लगे हैं कि मुझे काम से नहीं, बस पैसे से मतलब है। कमीशन मेरा हक है और यह मुझे चाहिए ही चाहिए। वे अब ईई के नाम पर भी अतिरिक्त रकम की डिमांड करने लगे हैं। लोक निर्माण विभाग के भानुप्रतापपुर सब डिवीजन में पदस्थ इस अनुविभागीय अधिकारी को करीब 300 करोड़ रुपए की लागत वाले सड़क निर्माण व अन्य कार्यों की जिम्मेदारी मिल गई है। वर्षों बाद कमाई का जरिया मिल जाने से उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रह गया है। सरकारी धन लूटने के चक्कर में वे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को भी पूरी तरह नजर अंदाज करने पर तुल गए हैं। इतनी बड़ी रकम से कई सड़क निर्माण कार्य इस एसडीओ के माध्यम से कराए जा रहे हैं।
हो सकता है कांकेर जैसा कांड
इस एसडीओ को पिछले कई वर्षों से लोक निर्माण विभाग के बड़े अधिकारी द्वारा लूप लाइन में डाल दिया गया था। राज्य में सरकार बदलते ही उन्हें लूप लाईन से निकाल कर मेन लाईन में ला दिया गया है। बताते हैं कि एकसाथ इतने सारे काम की जिम्मेदारी मिलते ही कमीशनखोरी के फेर में यह एसडीओ सुर्खियों में हैं। ये अपने ईई का हवाला देकर ठेकेदारों से खुलकर अनाप शनाप कमीशन मांगने लगे हैं। कमीशन के चक्कर में विभागीय ठेकेदारों से एसडीओ की अनबन भी शुरू हो गई है। ईई की छवि को भी यह एसडीओ धूमिल करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। वे ईमानदारी से काम कराने वालों पर खुलकर दबाव डालने लगे हैं कि मुझे इतना कमीशन चाहिए मतलब चाहिए। कमीशन के अलावा अलग से भी मोटी रकम की मांग एसडीओ करने लगे हैं। इस वजह से ठेकेदारों में भारी आक्रोश पनपने लगा है। ऐसा न हो कि कांकेर में लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता पवन अग्रवाल के साथ हुई घटना की पुनरावृत्ति न हो जाए, उनकी इन्ही हरकतों से विभाग की बड़ी बदनामी हो रही है। उच्च अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।