इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को बड़ा झटका- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आज बड़ा झटका देते हुए दायर अर्जी को जहां खारिज कर दिया है, वहीं सारा डेटा कल शाम तक देने का आदेश दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि एसबीआई को कल शाम तक अपना सारा डेटा सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग को सौंपना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगने से जुड़ी एसबीआई की याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एसबीआई से अनेक सवाल किए और कहा कि हमारे आदेश के बाद 26 दिनों तक आपने क्या किया? इसकी जानकारी आपको अपनी याचिका में देनी चाहिए थी। यह गंभीर मामला है। संविधान पीठ का यह आदेश है। आपको कोर्ट के आदेश के मुताबिक कार्य करना होगा। आपको चुनाव आयोग के साथ जानकारी साझा करना होगा।
एसबीआई की याचिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच जज वाली बेंच ने आज 11 मार्च को सुनवाई की है। अदालत में एसबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है और उसे डिकोड करने में समय लगेगा। इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कई सवाल किए और साथ ही कल मंगलवार शाम तक जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दे दिया। अदालत ने कहा कि हमने तो अपने फैसले में एक सीधी जानकारी देने को कहा था, जिसका पालन एसबीआई को करना चाहिए। इस पर एसबीआई का जवाब था कि उसके पास पूरी जानकारी है, किसने खरीदा है, किस राजनीतिक दल को गया है। इसके साथ ही एसबीआई के वकील ने तर्क देते हुए कहा कार्ट से कहा कि किसने बॉन्ड खरीदा यह बताना आसान है, लेकिन बॉन्ड नंबर के साथ नाम बताने में तो समय लगेगा।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि हमारे फैसले के आलोक में अब तक आपने क्या किया है, इसकी पूरी जानकारी हमें चाहिए। इस पर जब एसबीआाई ने कहा कि इसे लेकर एक डिटेल हलफनामा दायर करेंगे। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर पिछले 26 दिनों में आपने क्या किया है? यह बताएं। सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि आदेश के मुताबिक कार्य करना होगा और आपको जानकारी चुनाव आयोग (ईसीआई) के साथ साझा करनी होगी। यह मामला बेहद गंभीर है और संविधान पीठ का आदेश है।

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