0 बजट के नाम पर जनता से ठगी, विश्वासघात
रायपुर। विष्णुदेव साय सरकार के द्वारा प्रस्तुत पहले बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि बजट से साय सरकार का जन विरोधी षड्यंत्र एक बार फिर उजागर हुआ है। इस बजट में ना कोई नया कार्यक्रम है न ही कोई विजन बल्कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा चलाए जा रहे जनकल्याणकारी कार्यक्रमों को सतत जारी रखने में साय सरकार संसय की स्थिति में नज़र आ रही है। आम जनता के हित से भारतीय जनता पार्टी का कोई सरोकार नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि साय सरकार के वित्त मंत्री ने एक तरफ कर्ज को लेकर पूर्ववर्ती सरकार पर अनर्गल आरोप लगाए दूसरी तरफ कुल कर्ज़ आरबीआई द्वारा एफआरबीएम एक्ट के तहत तय सीमा के भीतर रखनें के पूर्ववर्ती सरकार की उपलब्धियों पर अपनी पीठ खुद ही थपथाये, झूठा श्रेय लेने का कुत्सित प्रयास किया। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने अपने 5 वर्ष के कार्यकाल के दौरान प्रदेश की जनता पर कोई नया कर नहीं लगाया गया था और न ही किसी भी तरीके से करो में कोई वृद्धि की गई, बल्कि जनता को मिलने वाले राहत और सब्सिडी सतत जारी रहा। कांग्रेस की सरकार ने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ की जीडीपी को 2 लाख 77 हजार से बढ़ाकर 5 लाख नौ हजार तक अर्थात दोगुना पहुंचाया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने अपने वित्तिय अनुशासन और कुशल प्रबंधन से छत्तीसगढ़ को देश के उन पांच राज्यों में शामिल किया था जिसने विगत 3 वर्षों से कोई नया कर्ज नहीं लिया था, लेकिन विष्णुदेव की सरकार आते ही पिछले 2 महीने में चार-चार बार कर्ज़ लिया गया, विगत एक माह के दौरान ही साय सरकार ने 5 हजार करोड़ का नया कर्ज लिया है और इस बजट में फिर से लगभग 20 हज़ार करोड़ का नया कर्ज लेने का प्रावधान भाजपा के वित्तीय कुप्रबंधन और अनर्थशास्ञ का प्रमाण है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पिछले बजट में शिक्षा पर कुल बजट का 19.4 प्रतिशत खर्च किया गया था, जो इस बजट में घटाकर मात्र 15.95 प्रतिशत कर दिया गया है। कृषि के क्षेत्र में कुल बजट पिछले बजट में कुल बजट प्रावधान का 16.6 प्रतिशत था, जो इस बार घटाकर 14.05 प्रतिशत कर दिया गया है, इस तरह कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार कृषि का बजट पिछले वर्ष की तुलना में लगभग ढाई परसेंट घटा दिया गया है। शिक्षा के बजट में 4 प्रतिशत की भारी भरकम कटौती भारतीय जनता पार्टी की बदनीयती को प्रमाणित करता है।