0 लंबित विधेयको पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद क्या छत्तीसगढ़ के राजभवन को अलग से आदेश का इंतजार है?
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने विगत 2 दिसंबर 2022 से राजभवन में लंबित आरक्षण विधेयक को लेकर भारतीय जनता पार्टी के रवैया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति सहित सामान्य वर्ग के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली जनता से भारतीय जनता पार्टी को आखिर इतनी नफरत क्यों है? भारतीय जनता पार्टी के नेता आखिर क्यों नहीं चाहते कि छत्तीसगढ़ के निवासियों को उनकी संख्या के अनुसार उनका हक मिले। स्थानीय जनता के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तरक्की से भाजपाइयों को इतनी हिकारत क्यों है? भाजपा के नेता और केंद्र की मोदी सरकार क्यों नहीं चाहती की स्थानीय जनता को शिक्षा और रोजगार में प्राथमिकता मिले?
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में है वहां पर राज्य सरकारों के द्वारा विधानसभा में पारित विधेयकों को राजभवन की आड़ में लटकाने का षड्यंत्र रचने का काम लगातार कर रही है। छत्तीसगढ़ में एक तरफ जहां आरक्षण विधेयक के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सहमति जताते हुए सर्वसम्मति से पारित करवाया लेकिन तत्काल बाद से राजभवन के आड़ में रोकने का षड्यंत्र रचे। विगत लगभग 1 साल से राज भवन में इतना महत्वपूर्ण विधेयक लंबित है, लेकिन भाजपा का कोई भी नेता राजभवन से उक्त विधेयक पर अनुमोदन के लिए तत्परता बरतने की अपील करता हुआ नहीं दिखा, उल्टे समय समय पर छत्तीसगढ़ के भाजपाई लंबित आरक्षण विधेयक को लटकाए जाने की वकालत करते रहे है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 15 साल भाजपा को अवसर मिला था कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, समृद्धि और स्थानीय बहुसंख्यक आबादी के हितों का संरक्षण और संवर्धन करते, लेकिन भाजपाइयों ने स्थानीय छत्तीसगढ़िया जनता के हितों की सदैव उपेक्षा ही किया है। भूपेश बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ में सर्व समाज को आरक्षण देने का काम पूरी ईमानदारी से किया है। 15 साल रमन राज में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुआ। भूपेश सरकार ने न केवल कमेटी गठित की बल्कि मोबाइल एप और वेबसाइट के माध्यम से आंकड़े जुटाकर स्थानीय निकाय के सामान्य सभा में अनुमोदित भी कराया, आधार से वेरिफिकेशन करके डेटाबेस तैयार किया। विधि विभाग से परीक्षण के उपरांत 76 प्रतिशत नवीन आरक्षण विधेयक पारित किया गया। विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 प्रतिशत, ओबीसी के लिए 27, अनुसूचित जाति के लिए 13 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। उक्त विधेयक का समर्थन विधानसभा के भीतर भाजपा की विधायकों ने भी किया। यह भाजपा के राजनीतिक पाखंड का ही नमूना है कि एक तरफ समर्थन का ढोंग करते हैं, दूसरी तरफ राजभवन में षड्यंत्र करके विधेयक को लटकाए रखने की साजिश रचते हैं। छत्तीसगढ़ की स्थानीय आबादी से आखिर किस बात का बदला लेना चाहते हैं भाजपाई?