0 भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष साय ने सवाल किया : जब विधायकों का परफॉर्मेंस ही सिंहदेव को ठीक नहीं दिख रहा तो कांग्रेस और प्रदेश सरकार के काम को ठीक कैसे मान रहे हैं?
0 ‘अपने राजनीतिक विरोधियों से कोई समझौता नहीं करने की बात कह रहे सिंहदेव यह भी साफ करें कि कौन उन पर समझौते के लिए दबाव बना रहा है?’
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव के उस कथन को परस्पर विरोधाभासी करार दिया है, जिसमें उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने अपने स्तर पर कराए गए सर्वे के बाद दावा किया कि प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति अलग है और विधायकों की स्थिति अलग है। श्री साय ने यह कहकर कि सिंहदेव का आँकलन उनकी दुविधा और कांग्रेस में मचे हाहाकार की तस्दीक कर रहा है, सवाल किया कि जब विधायकों का परफॉर्मेंस ही उन्हें ठीक नहीं दिखाई दे रहा है तो फिर वे कांग्रेस और प्रदेश सरकार के कामकाज को ठीक कैसे मान रहे हैं?
भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि उपमुख्यमंत्री सिंहदेव यह तो जानते ही होंगे कि किसी सत्तारूढ़ दल के परफॉर्मेंस का मापदंड उस दल के विधायकों की कार्यप्रणाली और रीति-नीति होती है। यह कैसे संभव है कि कांग्रेस विधायकों के परफॉर्मेंस को लेकर अलग राय हो और उस दल की सरकार के कामकाज को लेकर अलग राय हो। श्री साय ने कहा कि दरअसल चुनाव के नजदीक आते-आते कांग्रेस का घमासान कई रूपों में जगजाहिर हो रहा है। मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे सिंहदेव को सत्ता के आखिरी चरण में जिस तरह उपमुख्यमंत्री पद का झुनझुना थमाया गया है, वह मलाल उपमुख्यमंत्री को साल रहा है, जो सर्वे के जरिए सामने आ रहा है। श्री साय ने कहा कि कांग्रेस एकजुटता का राग अलाप कर भी धरातल पर पस्त है और कांग्रेस के नेता अपनी हार तयशुदा मानकर चल रहे हैं।
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भाजपा प्रदेश पूर्व अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि कांग्रेस की अंतर्कलह का आलम यह है कि उपमुख्यमंत्री अब अपने राजनीतिक विरोधियों पर खुलकर हमला बोल रहे हैं और इसके बाद भी यदि विरोधियों को तवज्जो दी गई तो सिंहदेव साफ कर चुके हैं कि आगे क्या होगा, यह जनता जाने और पार्टी जाने, पर अब वे कोई समझौता नहीं करेंगे। इधर उनके राजनीतिक विरोधी कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह चुनौती दे रहे हैं कि सरगुजा महाराजा व महारानी के खिलाफ उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा, यदि साक्ष्य दें तो वह राजनीति छोड़ देंगे। श्री साय ने कहा कि अव्वल तो सिंहदेव को यह साफ करना चाहिए कि कौन उन पर समझौते के लिए दबाव बना रहा है? फिर यह समझ लें कि कांग्रेस में जिस तरह निजी महत्वाकाँक्षा सिर पर चढ़ी हुई है, उसके चलते कांग्रेस अपनी हार की पटकथा तो रोज लिख ही रही है।