0 प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप का सवाल – क्या सीएम बघेल भी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को नाकारा ही मानते हैं?
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को नसीहत दी है कि वे प्रदेश के मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने सवाल किया कि क्या बघेल भी अपने राष्ट्रीय नेतृत्व को नाकारा समझते हैं और मानते हैं कि सारे अक्षम लोग कांग्रेस में भरे हैं? अगर वे ऐसा नहीं सोचते तो उन्हें वह काम करना चाहिये जिसके लिये जनता ने उन्हें नियुक्त किया है। और राष्ट्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय नेताओं को बोलने दें। मणिपुर हिंसा पर बघेल द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ बेजा बयानबाजी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए श्री कश्यप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दायित्व को भलीभाँति समझते हैं। मुख्यमंत्री बघेल को पद की गरिमा व मर्यादा का ध्यान रखना चाहिये।
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री कश्यप ने कहा कि प्रदेश में अभी हाल ही खल्लारी विधानसभा क्षेत्र के एक किसान कन्हैया सिन्हा ने विवश होकर आत्महत्या कर ली, छत्तीसगढ़ महतारी के हताश-निराश युवा पुत्र पूर्ण नग्न होकर प्रदर्शन करने के लिए विवश हुए, आदिवासी बहुल बस्तर के दोरनापाल में तीन साल की बच्ची और सुकमा जिले के एर्राबोर थाना के पोटा केबिन स्थित आदिवासी बालिका छात्रावास में पहला कक्षा की पाँच वर्षीया छात्रा के साथ हैवानियत और दरिंदगी इंतेहा करके दुष्कर्म किया गया, कर्मचारियों के नियमितीकरण के मुद्दे पर प्रदेश सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है, एक संविदा कर्मचारी आंदोलन के दौरान अपनी जान बलिदान कर देता है, घोटालों-भ्रष्टाचार के जरिए युवाओं के रोज़गार के अवसर छिन गए। बस्तर के ही कोण्डागाँव जिले के ग्राम बड़गई में मानवता को शर्मसार करने वाले एक मामले में शादीशुदा युवक और उसकी प्रेमिका को निर्वस्त्र करके सरेआम घुमाया गया। ये तो कुछ हालिया घटनाक्रम के कुछ तथ्य हैं। श्री कश्यप ने कहा कि अब मुख्यमंत्री बताएँ कि अपनी हठधर्मिता छोड़कर कितने मामलों में उन्होंने संवेदनशीलता दिखाई है? कितने मामलों में न्यायसंगत और निष्पक्ष कार्रवाई की पहल करने की तत्परता दिखाई है? कितने मामले हैं जिसमें प्रदेश सरकार ने विधानसभा के भीतर और सदन से बाहर अपना संतोषजनक ज़वाब देने की ज़िम्मेदारी का निर्वहन किया?
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री कश्यप ने कहा कि हर मामले में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री और कांग्रेस नेताओं ने या तो मुँह में दही जमाए रखा या फिर ऊलजलूल बयानबाजी करके संवेदनहीनता की शर्मनाक पराकाष्ठा की। किसान ने आत्महत्या की तो सरकार और उसका प्रशासन तंत्र यह साबित करने में जुट गया कि किसान सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहा था। अब प्रदेश सरकार बताए कि आत्महत्या क्या कोई निजी शौक के लिए करता है? युवा नग्न होकर प्रदर्शन करते हैं तो बजाय समस्या सुलझाने के प्रदर्शनकारियों को अपराधी बताने पर ही पूरी सरकार जुट जाती है। दुष्कर्म के मामले पर बस्तर के मंत्रियों को इतनी भी फ़ुर्सत नहीं मिलती कि वे पीड़ित परिवार व बच्ची से जाकर मिलें। उल्टे, आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण देकर बचाने में शासन-प्रशासन की पूरी ताक़त लगा दी जाती है।
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल को यदि राष्ट्रीय मुद्दों पर ही राजनीति करनी है तो शौक़ से करें, पर उससे पहले छत्तीसगढ़ को अपनी नाकारा सरकार के असहनीय बोझ से मुक्त करें। छत्तीसगढ़ कराह रहा है, अपराधों, अन्याय-अत्याचार और भ्रष्टाचार की आग में झुलस रहा है,और मुख्यमंत्री मणिपुर की हिंसा पर घड़ियाली आँसू बहाएँ और पद की गरिमा को ताक पर रखकर बयानबाजी करें, यह क़तई संसदीय आचरण नहीं माना जा सकता।