रायपुर। अंर्तराष्ट्रीय रामायण महोत्सव पर सवाल खड़ा करना भाजपा की बौखलाहट को प्रदर्शित करता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा राम वन गमन पथ, माता कौशल्या मंदिर का भी विरोध कर चुकी है। अब रामायण महोत्सव में भी उसको पीड़ा हो रही है। भगवान राम के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा ने 15 सालों तक छत्तीसगढ़ में भगवान राम की स्मृतियो को विस्मृत करने का महापाप किया था। जब कांग्रेस की सरकार राम काज कर रही तो भाजपा को पीड़ा हो रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि 15 साल में जो नहीं हुआ उसे कांग्रेस सरकार ने साढ़े चार साल के भीतर कर पूरा कर दिखाया। राम वन गमन पथ जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के वनवास काल के दौरान छत्तीसगढ़ जो पूर्व में कौशल प्रदेश था में बीते उनके समय को याद दिलाता है। सीतामढ़ी हरचोका से रामाराम तक लगभग 2260 किलोमीटर की योजना के प्रथम चरण में चंदखुरी में माता कौशल्या के मंदिर के लोकार्पण से हुआ था। राजिम और शिवरीनारायण में भगवान राम की प्रतिमा की स्थापना हो चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के नाम से राजनीति करने वाली भाजपा ने विश्व विख्यात विश्व की एकलौती माता कौशल्या के मंदिर निर्माण के विषय मे नही सोचा। भाजपा के लिए जय श्री राम का नारा सिर्फ सत्ता प्राप्ति का जरिया। सत्ता मिलते ही भाजपा श्री राम जी को भूल जाती है। छत्तीसगढ़ में 15 साल में रमन भाजपा सरकार में वही हुआ। मोदी सरकार रामायण सर्किट के नाम से एक परियोजना शुरू कर रही है। जिसमें उसका दावा है कि रामायण कालीन स्थानों को संरक्षित किया जायेगा। लेकिन मोदी सरकार ने दुर्भावना पूर्वक छत्तीसगढ़ के भगवान राम के वन गमन मार्गों को स्थान नहीं दिया। जबकि मान्यता है कि भगवान राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्ष में से अधिसंख्यक समय को छत्तीसगढ़ में बिताया था। छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल और माता कौशल्या का मायका जन्म स्थान भी माना जाता है। इसके बाद भी रामायण सर्किट में छत्तीसगढ़ के एक भी स्थान को जगह नहीं देना बताता है कि भाजपा छत्तीसगढ़ की संस्कृति को आगे नहीं आने देना चाहती।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा द्वारा रामायण महोत्सव को अरण्य कांड से जोड़ने पर की जा रही आपत्ति भाजपा के रामायण के प्रति थोथे ज्ञान को प्रदर्शित करते है। भारतीय जनता पार्टी आरएसएस के संस्कार राक्षसी प्रवृत्ति के है तो उन्हें अरण्य कांड में पूरे राक्षसो के गुण नजर आ रहे है। जबकि अरण्य कांड तो रामचरित मानस का सबसे पावन कांड है। अरण्य कांड में ही माता सती अनुसुईया ने माता सीता को पत्नि व्रत धर्म का और स्त्री धर्म की शिक्षा दी है। अरण्य कांड में ही माता शबरी का भगवान राम का अविरल प्रेम दिखा है जिसमें प्रभु माता शबरी के प्रेम में उनके झुठे बेर खाने में विवश हुये थे। अरण्य कांड में ही भगवान ने दण्डांकरण अर्थात छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। अरण्य कांड में ही सुतीक्ष्ण मुनि भगवान के प्रति अटूट भक्ति दिखी है। अरण्य कांड में ही नारद राम का संवाद हुआ जिसमें संतो के आचरण का वर्णन किया हुआ हैं। अरण्य कांड ही वह पावन कांड जहां भगवान के पंचवटी में निवास करने का वर्णन किया गया है। भारतीय जनता पार्टी अरण्य कांड में ही भगवान राम और शुग्रीव के मिलन की कहानी है। भारतीय जनता पार्टी के नेता उस भाव को इस लिये नहीं समझ सकते तो उनके अंदर में की राक्षसी प्रवृत्ति है उनको तकलीफ हो रही भूपेश बघेल काम काज क्यों कर रहे है? 15 साल तक उन्होंने राम के नाम पर राजनीति किया और भूपेश बघेल राम का काज कर रहे है। भगवान राम वन गमन पथ बनवा रहे है, अंर्तराष्ट्रीय रामायण करवा रहे है, माता कौशल्या मंदिर का जर्णोद्धार करवा रहे है ये उनको पीड़ा हो रही विरोध कर रहे है।