भाजपा नहीं चाहती आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर हो- मोहन मरकाम

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आरक्षण के मामले में भाजपा की नीति मुंह में राम, बगल में छुरी वाली है सदन में जो आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पास हुआ हैं। वही आरक्षण विधेयक राजभवन हस्ताक्षर हेतु पहुंचती तब भाजपा षड्यंत्र पूर्वक उक्त बिल में हस्ताक्षर होने नहीं देती और आरक्षित वर्ग के पीठ में छुरा घोपती है। आरक्षण के मामले में भाजपा प्रदेश की जनता को धोखा दे रही है। भाजपा को यह डर सता रहे कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने 76 प्रतिशत आरक्षण बिल पारित कर ओबीसी, एसटी, एससी और ईडब्लूएस वालों को आरक्षण अधिकार दी है अगर वह लागू हो जाएगा तो भाजपा 2023 के चुनाव में 14 सीट भी बचाने की स्थिति में नहीं रहेगी। इसलिये भाजपा, प्रदेश के लाखों नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के लिए इस आरक्षण बिल को दबावपूर्वक रोकवा रही है। पूरा प्रदेश भाजपा के इस हरकत को देख रही है किस तरह भाजपा जनता की नहीं बल्कि राजभवन की पैरोकार कर रही है। विधानसभा में सर्वसम्मति से आरक्षण विधेयक पास किया गया है। आरक्षण विधेयक राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिये जाता है तब भाजपा के दबाव में राजभवन में आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होता है। इसका मतलब साफ है कि भाजपा आरक्षण विरोधी है। छत्तीसगढ़ की जनता को कांग्रेस सरकार हक और अधिकार देना चाहती है। जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देना चाहती है लेकिन भाजपा यहां के युवाओं, बेरोजेगारों को मिलने वाली नौकरी में व्यवधान उत्पन्न करना चाहती है। भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा आने वाले समय में युवाओं, बेरोजगार भाजपा को सबक सिखायेंगे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि हमारी सरकार का मानना है छत्तीसगढ़ की जनता को उनके अधिकार जनसंख्या के अनुपात में देना चाहते हैं मगर भाजपा के मनसूबे आप सबने देखा है 15 साल सरकार में रहने के बाद सरकार जाने के बाद हताशा- निराशा के दौर से गुजर रही है। भाजपा यहां की जनता से बदला लेना चाहती है। जनता 2023 के चुनाव में भाजपा को फिर से सबक सिखायेगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो चुके आरक्षण विधेयक को राजभवन में निरुद्ध करवाकर भाजपा घटिया राजनीति का परिचय दे रही है। भाजपा बिल्कुल भी नहीं चाहती की प्रदेश के बेरोजगार युवाओं और जनता को उनका अधिकार मिले इसलिए पहले भी भाजपा ने जानबूझकर एक विसंगतिपूर्ण आरक्षण लागू किया था जिसे न्यायालय में चुनौती देकर रोका जा सके। न्यायालय में उस आरक्षण को चुनौती देने वाले 40 में से भी 30 लोग आरएसएस के सदस्य थे। भाजपा के लोग छत्तीसगढ़ के युवाओं को उनके अधिकारों से वंचित और दर-दर भटकते देखना चाहते हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार उनका हक और जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस सरकार चाहती है कि छत्तीसगढ़ की जनता को उनके अधिकार जनसंख्या अनुपात के अनुसार मिले। सरकार ने सभी संवैधानिक पहलुओं को ध्यान में रखकर और भाजपा द्वारा लागू किए गए आरक्षण की विसंगतियों को दूर करके क्वांटिफिएबल डाटा के आधार पर आरक्षण संशोधन विधेयक बनाया है। इस विधेयक को राजभवन में निरुद्ध किया जाना और अब तक एक भी भाजपा नेता द्वारा आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल से मांग नहीं किया जाना भाजपा के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र को उजागर करता है। यदि यह विधेयक कानून का रूप लेता है तो समाज का प्रत्येक वर्ग संतुष्ट होगा और सामाजिक न्याय की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे मगर भाजपा नहीं चाहती कि जनता के साथ न्याय हो।

 

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