0 लाशों पर राजनीति करना भाजपा का पुराना शगल
रायपुर। भाजपा द्वारा चक्का जाम कर जनता को परेशान करने पर की गयी कानूनी कार्यवाही को आलोकतांत्रिक बताये जाना भाजपा की खीझ है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि तीन भाजपा नेताओं की नक्सलियों द्वारा की गयी हत्या पर भाजपा जिस प्रकार की राजनीति कर रही वह स्तरहीन और अवसरवादिता है। प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी तब कांग्रेस के 23400 से अधिक कार्यकर्ताओं के ऊपर चक्का जाम और धरना प्रदर्शन किये जाने के कारण आपराधिक मुकदमे दर्ज किये गये थे। जब भाजपा की सरकार थी तब भाजपा को लोकतंत्र की याद नहीं आती थी। भाजपा के राज में 118 कांग्रेस नेताओं की नक्सलियों ने हत्या किया था, जीरम के हमले में कांग्रेस के 32 नेताओं की घात लगाकर हत्या कर दी गयी थी तब तो कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा को जानबूझकर तत्कालीन भाजपा सरकार ने सुरक्षा नहीं दिया था, तब भाजपा को विपक्ष के अधिकार याद नहीं आया था। आज जब छत्तीसगढ़ ज्यादा सुरक्षित है विपक्ष को ज्यादा सुरक्षा और स्वतंत्रता मिली हुई है तब भाजपा लोकतंत्र की दुहाई दे रही है। भाजपा के पास मुद्दे नहीं है वह सत्ता में रहते-रहते सुविधा भोगी हो चुकी है। वह झूठा प्रलाप करके जनता की झूठी संवेदना हासिल करना चाहती है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा अपने तीन कार्यकर्ताओं की नक्सल हत्या का राजनैतिकरण करना चाहती है। लाशों पर राजनीति करना भाजपा का पुराना शगल। छत्तीसगढ़ में भाजपा के 15 साल के सरकार के दौरान बस्तर में जीरम नरसंहार, सारकेगुड़ा, पेद्दागेलूर, झलियामारी, एडसमेटा, सोनकू-बिजलु जैसे स्कूली छात्रों की हत्या जैसी घटनाएं हो रही थी। तब भाजपा को लोकतंत्र की याद नहीं आयी। भाजपा की रमन सिंह सरकार ने 15 साल में छत्तीसगढ़ और खासकर बस्तर का जो शोषण किया जो वहां पर भ्रष्टाचार किया। फर्जी मुठभेडे़, फर्जी आत्मसमर्पण कर माओवाद के विस्तार किया गया उसकी कीमत प्रदेश को आज भी चुकानी पड़ रही है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छल कपट कर 15 साल तक रमन सरकार निर्दोष आदिवासियों को जेल में बन्द किया जाता रहा, रमन सिंह सरकार में पांचवी अनुसूची क्षेत्रो को मिले कानूनी अधिकारों को दरकिनार कर ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना हजारों आदिवासी से जमीन छीनी गई, रमन सिंह सरकार में नक्सली बताकर आदिवासियों के मासूम बच्चों को मुठभेड़ में मारा गया, झलियामारी बालिका गृह में हुई बलात्कार की घटना, मीना खलखो, पेद्दागेल्लूर, सारकेगुड़ा की घटना, बस्तर क्षेत्र के युवाओं को सरकारी नौकरी से वंचित रखा गया आउटसोर्सिंग से भर्ती कर उनके हक अधिकार को बेचा गया, रमन सरकार के दौरान तेंदूपत्ता संग्राहकों की लाभांश में हेराफेरी की गई, चरणपादुका खरीदने में भ्रष्टाचार किया गया, 5 लाख वनाधिकार पट्टा निरस्त किया गया था, पूर्व की रमन सरकार के दौरान निरन्तर आदिवासी वर्ग पर अत्याचार हुआ उनके अधिकारो का हनन किया गया। आदिवासी कल्याण के नाम से सरकारी योजना बनाकर बंदरबाट किया गया। तब भाजपा ने लोकतंत्र को बंधक बनाकर रखा था आज भाजपाई मुद्दाविहीन होकर लाशों पर राजनीति करने लगे है।