रायपुर। बिलासपुर उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण मसले पर राज्यपाल को भेजे गए नोटिस के मामले में रमन सिंह द्वारा यह बयान दिया जाना कि ‘‘नोटिस का जवाब दे दिया जायेगा’’ बेहद ही आपत्तिजनक बयान है। रमन सिंह बताएं कि वह किस हैसियत से उच्च न्यायालय द्वारा राज्यपाल को भेजे गए नोटिस के संबंध में टिप्पणी कर रहे हैं? उच्च न्यायालय ने नोटिस राजभवन को भेजा है जवाब राजभवन की तरफ से आना चाहिए, भाजपा नेता क्यों और कैसे जवाब दे रहे यह इस बात का प्रमाण है कि आरक्षण मामले में राजभवन, भाजपा के सुर एक है। अदालत का फैसला आये बिना रमन सिंह का यह कहा जाना कि जब 58 प्रतिशत आरक्षण अदालत में नहीं टिका तो 76 प्रतिशत कैसे टिकेगा यह रमन सिंह की दुर्भावना को प्रदर्शित करता है। रमन सिंह नहीं चाहते कि 76 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक कानून बने इसीलिये वे इस पर बिना किसी आधार के टिप्पणी करके भ्रम का वातावरण बनाने में लगे है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के निजी राजनैतिक स्वार्थ के कारण आरक्षण संशोधन विधेयक राजभवन में रुका हुआ है। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी आरक्षण को लेकर धरना दे रही है तो यह भारतीय जनता पार्टी की बेशर्मी है। भाजपा में जरा भी नैतिकता बची है तो राजभवन से आरक्षण विधेयक पर तत्काल हस्ताक्षर करने का आग्रह करे। सरकार ने विधानसभा से सर्वसम्मति से विधेयक पारित करवा कर सर्व समाज के हित में राजभवन भेजा है। इसको राजभवन में क्यों रोका गया है? ढाई महीने से अधिक हो गये है विधेयक को इसमे छत्तीसगढ़ के हर समाज का अहित हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि भाजपा आरक्षण विधेयक पर अपना मत स्पष्ट करें वह आरक्षण संशोधन विधेयक के किस पहलू से असहमत और क्यों राजभवन में आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने दे रही है? भाजपा को आदिवासी समाज को दिये गये 32 प्रतिशत आरक्षण पर आपत्ति है अथवा वह अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये किये गये 27 प्रतिशत आरक्षण से असहमत है? भाजपा को इस बात का विरोध है कि नये आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति के लिये किये गये 13 प्रतिशत आरक्षण के लिये विरोध कर रही है? या गरीब सवर्णों के 4 प्रतिशत आरक्षण के विरोध में भाजपा है। भाजपा की नीयत आरक्षण पर शुरु से संदिग्ध है।