0 कैट सी.जी. चैप्टर के कानूनी और तकनीकी टीम की जीएसटी सरलीकरण एवं आम बजट हेतु आयकर पर मिटिंग हुई
रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि कैट सी.जी. चैप्टर के कानूनी और तकनीकी टीम की बैठक कैट के प्रदेश कार्यालय में हुई। बैठक में कैट के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्री परमानन्द जैन, प्रदेश महामंत्री श्री सुरिन्द्रर सिंह, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री श्री भरत जैन, श्री महेश खिलोसिया, श्री प्रीतपाल सिंह बग्गा, श्री अवनीत सिंह, श्री प्रहलाद केशरवानी, जीएसटी विशेषज्ञ श्री सतीश तावनिया, आयकर विशेषज्ञ श्री अविनाश अग्रवाल, सीए श्री कमलेश ओझा एवं सीए किर्ती केशरवानी उपस्थित थे। बैठक मे जीएसटी एवं आयकर के अंतर्गत व्यापारियों को आ रही विभिन्न समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्री परमानन्द जैन एवं प्रदेश महामंत्री श्री सुरिन्द्रर सिंह ने बताया कि आज कैट सी.जी. चैप्टर के कानूनी और तकनीकी टीम की बैठक कैट के प्रदेश कार्यालय में हुई। कानूनी एवं तकनीकी टीम द्वारा जीएसटी सरलीकरण एवं विसंगतियो तथा आम बजट हेतु आयकर पर सुझाव प्रस्तुत किये जो निम्नानुसार हैः-
आम बजट में आयकर हेतु सुझाव :-
ऽ नगद लेन-देन की सीमा दस हजार से अधिक होनी चाहिए।
ऽ हाऊसिंग लोन मे ब्याज की छूट 2,00,000 रूपये छूट है उसे बढाकर 4 लाख किया जाना चाहिए ।
ऽ टी.डी.एस. काटने के लिए बैंक के ब्याज मे 10,000/- रूपये तक तथा अन्य ब्याज पर 5,000/- रूपये तक के ब्याज की छूट है इस लिमिट को बढाकर 30,000/- कर दिया जाना न्यायसंगत होगा। इसमे बचत खाते के साथ ही एफ. डी. आर. खातो के ब्याज को भी सम्मिलित करना उचित होगा।
ऽ खरीदी बिक्री में टीडीएस/टीसीएस जो लग रहा है वह युक्ति संगत नहीं उसमें सुधार होना चाहिए।
ऽ आयकर की छूट 5 लाख तक होनी चाहिए।
ऽ धारा 80 डी :- जो मेडिक्लेम इंश्योंरेंस से संबधित है। चूंकि वर्तमान में मेडिकल इलाज महंगे हो गये है अतः इसकी सीमा 25,000/- को बढाकर कम से कम 50,000/- की महती जररूत है।
जीएसटी सरलीकरण हेतु सुझाव :-
ऽ इनपुट टैक्स क्रेडिट जीएसटीआर -2बी में परिलक्षित होनें पर ही मान्य होने संबंधी प्रावधानों को निरस्त किया जाए । यदि विक्रेता द्वारा रिटर्न प्रस्तुत करने एवं टैक्स भुगतान करने में त्रुटि या विलंब किया जाता है। तो इस हेतु विक्रेता पर कार्यवाही की जानी चाहिए न कि क्रेता का इनपुट टैक्स क्रेडिट अमान्य किया जाना चाहिए। इनपुट टैक्स क्रेडिट संबंधी अन्य समस्याओं का भी समाधान किया जाए।
ऽ जीएसटी प्रणाली में ब्याज की गणना के प्रावधान में परिवर्तन किया जाना चाहिए एवं ब्याज की गणना टैक्स भुगतान की तिथि के आधार पर की जानी चाहिए न की रिटर्न प्रस्तुत करने की तिथि के आधार पर।
ऽ RCM संबधित प्रावधानो से ऐसे व्यापारियों को छुट प्रदान की जानी चाहिए जो भुगतान किये गये RCM का इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने हेतु पात्र हो।
ऽ नियम 86 बी- Restriction of ITC to 99% निरस्त किया जाना चाहिए।
ऽ जीएसटी पंजीकरण निलंबन/निरस्तीकरण से संबधित नियम 21 के प्रावधानों को वापस लिया जाना चाहिए।
ऽ ई-इनवॉइसिंग को 1 अक्टूबर 2022 से रु. 10 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यापारियां पर लागु किया गया है। इस प्रावधानों को वापस लिया जाना चाहिए।
ऽ ई-वे बिल की वैधता अवधि में 50 प्रतिशत की कटौती की गई है उसे वापस लेना चाहिए।
ऽ E- Invoicing की स्थिति में खरीददार को इनपुट अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए।
ऽ छुटे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने एवं वार्षिक विवरण पत्र में संशोधन किए जाने हेतु अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
ऽ One Time Amnesty स्कीम लानी चाहिए।
ऽ जीएसटी का रजिस्ट्रेशन संरेडर करने के प्रावधानों का सरलीकरण किया जाना चाहिए।
ऽ माल के परिवहन एवं ई-वे बिल सम्बंधित आ रही विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।
ऽ मासिक त्रैमासिक एवं वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत करने में आ रही विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।
ऽ फॉर्म जीएसटीआर 3बी मे नकारात्मक राशि को दर्ज करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
ऽ IGST के भुगतान मे सीजीएसटी इनपुट के पहले, SGSTइनपुट के उपयोग का विकल्प दिया जाना चाहिए।
ऽ आंशिक रूप से /बिना नकद भुगतान के फॉर्म जीएसटीआर 3बी जमा करने का विकल्प दिया जाना चाहिए।
ऽ जीएसटी में विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी दर को युक्तियुक्त किया जाना चाहिए ।