कैट ने रिटेल व्यापार के लिए वित्तीय सहायता नीतियों हेतु वित्त मंत्री सीतारमन से किया आग्रह रिज़र्व बैंक व्यापारियों सहित गैर कॉर्पोरेट क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने में विफल रहा है- कैट

रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि भारत में छोटे व्यवसाय देश भर के नागरिकों को सामान उपलब्ध कराने के लिए एक स्व-संगठित आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से देशवासियों को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, साथ ही विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों के लिए रॉ-मटेरियल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की समय पर आपूर्ति कर रहे है लेकिन फिर भी स्वतंत्रता के बाद की सरकारों द्वारा व्यापारिक समुदाय की घोर उपेक्षा की गई है और भारत के रिटेल व्यापार के लिए कभी भी कोई समर्थन नीतियां नहीं बनाई गई – यह कहते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को आज भेजे गए पत्र में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि नीति का अभाव और आंतरिक व्यापार के लिए एक अलग मंत्रालय न होना व्यापारिक समुदाय के प्रति सरकारों की उदासीनता का पर्याप्त प्रमाण है।

कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि यह केवल कैट की पहल और प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के समग्र दृष्टिकोण का ही नतीजा है कि वर्ष 2015 के बाद वाणिज्य मंत्रालय में उद्योग विभाग को आंतरिक व्यापार के साथ जोड़ा गया था और वर्तमान में वाणिज्य मंत्रालय राष्ट्रीय रिटेल नीति का मसौदा तैयार कर रहा है। हालाँकि, न केवल राष्ट्रीय खुदरा नीति बल्कि एक ई-कॉमर्स नीति के तत्काल लागू होने की आवश्यकता है, जिसकी तैयारी चल रही है और ई-कॉमर्स के लिए एक सशक्त रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन भी उतना ही ज़रूरी है।

श्री पारवानी और श्री दोशी ने बताया कि श्रीमती सीतारमण को भेजे गए पत्र में बजट में व्यापारियों के लिए समर्थन वित्तीय नीतियों को लाने की मांग करते हुए कहा कि पिछले कई दशकों के दौरान भारत का व्यापारिक समुदाय वित्त की भारी कमी से जूझ रहा है और दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक भी देश के व्यापारियों को आसान वित्तीय सहायता देने में पूरी तरह से असमर्थ रहा है जिसके चलते देश का व्यापारी अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नही कर पा रहा है जिसका नकारात्मक प्रभाव राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। खेद है की रिज़र्व बैंक ने हमेशा अपना मुख्य ध्यान कॉर्पोरेट क्षेत्र पर ही रखा है। व्यापारियों की वित्तीय जरूरतों को समझने के लिए कभी भी व्यापार एसोसिएशनों से परामर्श करना उचित नहीं समझा गया है, जबकि कृषि को छोड़कर गैर कॉर्पोरेट क्षेत्र राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में शानदार योगदान दे रहे है और देश में कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता होने के बावजूद भी किसी सरकार का कोई ध्यान रिटेल क्षेत्र पर नहीं है।

श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी देश में केवल 5 से 6 प्रतिशत छोटे व्यवसाय ही बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को जैसे तैसे पूरा कर रहे हैं, जबकि 90 प्रतिशत से अधिक छोटे व्यवसाय निजी धन के साथ साथ उधारदाताओं, रिश्तेदार और दोस्त और कई अन्य अनौपचारिक स्रोत पर निर्भर है। दोनों व्यापारी नेताओं ने सुझाव दिया कि आर. बी. आई. को व्यापारिक समुदाय के लिए वित्त की आसान और सरल पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए वहीं वित्त मंत्री को अपने बजट में गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों पर विशेष जोर देने आवश्यकता है जो छोटे व्यवसायियों को ऋण देते हैं तथा बैंकों और वित्तीय संस्थान उनको कम ब्याज दर पर आवश्यक वित्त प्रदान करके एनबीएफसी और एमएफआई को मजबूत करना चाहिए ताकि ये दोनों उधार देने वाली संस्थाएं छोटे व्यवसायों को कम ब्याज दर पर वित्त प्रदान करें। ऐसी नीति छोटे व्यवसायों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करेगी और खुदरा व्यापार को अपनी क्षमताओं को तेजी से प्रयोग में लाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *