0 शिक्षकों के तबादले, पदोन्नति और पदस्थापना का खेल
0 दबाव डालकर शिक्षा अधिकारी को कर दिया मजबूर
-(अर्जुन झा )
जगदलपुर. शैक्षणिक जिला बस्तर में शिक्षकों की पदोन्नति, पदस्थापना और स्थानांतरण में हुए करोड़ों रुपये के कथित भ्रष्टाचार में कई नेताओं के नाम अब सामने आने लगे हैं. भ्रष्टाचार के इस खेल के असली खिलाड़ी दरअसल यही नेता रहे हैं. इन नेताओं के दबाव में शिक्षा अधिकारी को नाजायज फैसले लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था? भ्रष्टाचार की इस सियासी जुगलबंदी में बस्तर के कई विकासखंडों के अनेक नेताओं की संलिप्तता की चर्चा चल रही है.
बस्तर शिक्षा जिले में कुछ माह पहले प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं के लगभग बारह सौ सहायक शिक्षक – शिक्षिकाओं की पदोन्नति प्रधान पाठक पद पर हुई थी. पहले पदोन्नति दिलाने के नाम पर कथित तौर पर करोड़ों रुपयों की उगाही शिक्षकों से की गई. इसके बाद पदोन्नत शिक्षक -शिक्षिकाओं की पदस्थापना के लिए प्रति शिक्षक बड़ी रकम वसूले जाने की बात सामने आई थी. इसके अलावा शिक्षा विभाग तथा आदिम जाति विकास विभाग के शिक्षक – शिक्षिकाओं के स्थानांतरण के नाम पर भी वारे न्यारे किए जाने की चर्चा गर्म रही. बस्तर जिले के विकास खंडों के नेताओं द्वारा इस तथाकथित वसूली कांड को अंजाम दिए जाने की खबर है. कहा जा रहा है कि इन नेताओं ने अपनी झोली खूब भर ली और जिला शिक्षा अधिकारी पर पदोन्नति देने तथा पदस्थापना व तबादला करने के लिए इस कदर दबाव डाला कि मजबूर होकर शिक्षा अधिकारी को नियमों के विपरीत फैसले लेने पड़े. कहा जाता है कि इन नेताओं द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबित या ट्रांसफर करा देने की धमकी तक दी जाती थी. शिक्षा अधिकारी के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति निर्मित हो गई थी. लिहाजा उन्होंने वैसा ही किया, जैसा कि ये नेता चाहते थे. इसके दुष्परिणाम कुछ ही दिनों में सामने आने लगे थे. नेताओं के स्वार्थ के चलते दर्जनों एकल और द्विशिक्षकीय शालाएं पूरी तरह शिक्षक विहीन हो गईं. ऐसी शालाओं में अध्यापन सेवा ठप हो जाने से विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. वहीं कई पात्र शिक्षक शिक्षिकाओं को क्रमोन्नति एवं पदोन्नति के लाभ से वंचित होना पड़ा. पति – पत्नी, दिव्यांग और असक्त शिक्षक शिक्षिकाओं का तबादला अलग – अलग तथा दूरस्थ व सुविधा विहीन गांवों की शालाओं में कर दिया गया. क्योंकि उनकी पूर्ववर्ती शालाओं को नेताओं की सेवा करने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए खाली जो करना था.
कैसे मिलेगा इंसाफ
चंद नेताओं के भ्रष्ट आचरण और स्वार्थ के चलते पदोन्नति, पदस्थापना और स्थानांतरण में जिन पति – पत्नी, दिव्यांग, असक्त और पात्र शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ जो नाइंसाफी हुई है, उसकी भरपाई काउंसिलिंग प्रक्रिया के जरिए नए सिरे से पदोन्नति, पदस्थापना और स्थानांतरण कर ही की जा सकती है. पीड़ित दर्जनों शिक्षक शिक्षिकाओं, शाला विकास समितियों से जुड़े लोगों तथा पालकों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, शालेय शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, संचालक लोक शिक्षण तथा बस्तर के जनप्रतिनिधियों से काउंसिलिंग के माध्यम से तमाम प्रक्रियाएं फिर से पूर्ण कराए जाने की मांग की है. ऐसा करने से वे चेहरे भी बेनक़ाब हो जाएंगे, जिन्होंने असली हकदार शिक्षक शिक्षिकाओं का हक़ मारा है तथा राजनीति की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है. इस खेल से न सिर्फ ग्रामीण अभिभावक नाराज हैं बल्कि राजनीतिक दलों के मैदानी कार्यकर्ताओं में भी खासी नाराजगी देखी जा रही है.
उगाही की कहानी…
सूत्र बताते हैं कि बकावंड विकास खंड में बस्तर जिले के एक नेता के सरनेम वाले रिश्तेदार जो कि शिक्षा विभाग का ही मुलाजिम है, ने अपने रिश्तेदार नेता के रसूख के दम पर तथा एक अन्य प्रभावशाली नेता के सरनेम वाले एक नेता ने अपनी पहुंच की आड़ में कथित रूप से शिक्षक शिक्षिकाओं से जमकर वसूली की है. इन लोगों ने अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने कथित रिश्तेदार नेता की प्रतिष्ठा को भी आघात पहुंचाने में हिचक महसूस नहीं की.