0 बस्तर जिला शिक्षा विभाग में मनमानी की सारी हद पार
0 अब परेशान हो रहे हैं पदोन्नत और स्थानांतरित किए गए शिक्षक
(अर्जुन झा)
जगदलपुर। अफसरशाही और अंधेरगर्दी किसी सरकारी दफ़्तर में देखनी हो, तो कहीं और जाने की जरूरत नहीं है, जगदलपुर स्थित बस्तर जिला शिक्षा कार्यालय में सिर्फ एक नजर डाल लीजिए. सच्चाई आपकी आंखों के सामने होगी. इस दफ़्तर में मनमानी की सारी हदों को लांघते हुए विभागीय कार्यों और प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाता है. हाल ही में शिक्षकों की पदोन्नति और पदस्थापना तथा तबादलों में जो खेल खेला गया, उसकी गूंज अभी तक सुनाई दे रही है. अब नई बात यह सामने आई है कि पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों की पदस्थापना और अन्य शिक्षकों के ताबदले के पहले उनकी काउंसिलिंग भी नहीं कराई गई.
बस्तर जिला शिक्षा विभाग बीते कुछ दिनों से काफ़ी सुर्खियों में है. हाल के दिनों में बस्तर जिले की प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं के 1200 शिक्षक – शिक्षिकाओं को प्रधान पाठक पद पर पदोन्नत कर उनकी पद स्थापना अन्य शालाओं में की गई है. खबर है कि पहले पदोन्नति देने के मामले में वरिष्ठता क्रम और योग्यता की खुलकर अनदेखी की गई. कथित धन उगाही के फेर में पात्र शिक्षकों को दरकिनार कर दिया गया. पदोन्नति देने के नाम पर शिक्षक – शिक्षिकाओं से जमकर वसूली की गई. कहा जा रहा है कि इसके बाद पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना के लिए भी लेनदेन की चर्चा आम हो चली है. वसूली के काम में कथित शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारियों और जिला शिक्षा कार्यालय के कुछ बाबुओं को लगाया गया था. इनके माध्यम से शिक्षक शिक्षिकाओं से वसूली की गई. वसूली गई रकम का कुछ हिस्सा वसूली एजेंट के तौर पर काम करने वाले बाबुओं और शिक्षक संघ के कथित पदाधिकारियों को कमीशन के रूप में दिए जाने की खबर है. पदस्थापना के लिए शिक्षकों से तीन शालाओं का विकल्प मांगने का विभागीय प्रावधान है. विकल्प मांगे जरूर गए, लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए. पचासों शिक्षकों को उनके द्वारा सुझाई गई किसी शाला में पदस्थ करने के बजाय ऐसी शाला में पदस्थ करने का फरमान जारी कर दिया गया, जिसके बारे में उन शिक्षकों ने सोचा भी नहीं था. स्थानांतरण के मामले में भी लेनदेन का खुला खेल खेला गया. शिक्षा और आदिम जाति कल्याण विभाग की शालाओं में कार्यरत शिक्षक – शिक्षिकाओं का तबादला मनमाने ढंग से किया गया. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि पदोन्नत और स्थानांतरित शिक्षक शिक्षिकाओं की काउंसिलिंग ही नहीं की गई. न उनसे सुझाव लिए गए, न ही उनकी शारीरिक दशा का ध्यान रखा गया. निःशक्त शिक्षक शिक्षिकाओं को सड़कों से जुड़े तथा आवागमन की सुविधा वाले गांवों की शालाओं में स्थानांतरित करने के बजाय सुविधा विहीन दूर दराज के गांवों में भेज दिया गया.
किसी भी मापदंड का पालन नहीं
पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना और शिक्षक – शिक्षिकाओं के स्थानांतरण में किसी भी विभागीय मापदंड का पालन नहीं किया गया. संचालक लोक शिक्षण ने पदस्थापना और ताबदले के लिए राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को सरकुलर जारी किए थे. इसमें कहा गया है कि पदोन्नत शिक्षक- शिक्षिकाओं को उसी शाला में रखा जाए जहां वे कार्यरत हैं. शिक्षक विहीन और एकल शिक्षिकीय शालाओं में पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना को प्राथमिकता दी जाए, शिक्षक शिक्षिकाओं को उनके मौजूदा विकास खंड की शालाओं में ही रखा जाए. जिला शिक्षा अधिकारी ने ठीक इसके उलट काम करते हुए पदस्थापना आदेश जारी कर दिए. शिक्षक शिक्षिकाओं को उनकी मूल शालाओं से हटाकर दूरस्थ शालाओं में पदस्थ कर दिया गया. शिक्षकों की बीमारी और शारीरिक असक्षमता का ध्यान न रखते हुए उन्हें भी चिकित्सा तथा अन्य सुविधा विहीन गांवों में भेज दिया गया है. ऐसे शिक्षक अब बुरी तरह परेशान हो रहे हैं.
पढ़ाई से वंचित हो गए हैं सैकड़ों विद्यार्थी
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लिए गए मनमाने फैसले ने सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य पर कुठाराघात कर दिया है. एकल शिक्षकीय शालाओं के पदोन्नत शिक्षक शिक्षिकाओं को उनकी मौजूदा शालाओं से हटाकर अन्य शालाओं में पदस्थ कर दिया गया है. इसके चलते जिले की पचास से अधिक शालाएं अब पूरी तरह से शिक्षक विहीन हो चली हैं. ऐसी शालाओं में विद्यार्थी रोजाना पहुंच तो रहे हैं, मगर मास्टर जी के न रहने से उनकी पढ़ाई ठप पड़ गई है. शालाओं में विद्यार्थी खेलते कूदते समय गुज़ारते हैं. पढ़ाई बंद रहने से सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है. जिला शिक्षा कार्यालय के इस तुगलकी फैसले से पालकों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. पालक अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने की मानसिकता बनाने लगे हैं. स्थिति किसी भी दिन विकराल रूप ले सकती है।