सौ टके की बात, नक्सलियों के साथ, सियासी बारात… सिर्फ आरोप न लगाएं, सबूत दिखाएं…

(अर्जुन झा)

जगदलपुर। नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले का एक कांग्रेस कार्यकर्ता तेलंगाना में नक्सलियों के साथ पकड़ा गया तो छत्तीसगढ़ में हाई लेबल तक सियासत में उबाल आ गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने देश के गृहमंत्री अमित शाह को खत लिखकर नक्सल कांग्रेस संबंधों की जांच कराने की मांग कर दी। बीजापुर के पूर्व विधायक व पूर्वमंत्री महेश गागड़ा ने राजधानी के भाजपा दफ्तर में पत्रकार वार्ता में कांग्रेस पर जी भरकर आरोप लगा दिए तो जवाब में कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर भाजपा के गले में आरोपों की माला पहनाकर उस केजी सत्यम को कांग्रेस पदाधिकारी मानने से इंकार कर दिया, जो तेलंगाना में नक्सलियों के साथ पकड़ा गया। एक खास बात यह कि सत्यम के अपहरण की पटकथा भी अचानक सामने आ गई। प्रदेश कांग्रेस ने सत्यम से किनारा कर लिया लेकिन बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ने उसका कांग्रेसी होना स्वीकार किया। विधायक विक्रम शाह मंडावी ने पूर्व विधायक महेश गागड़ा पर नक्सलियों को लेकर आरोपों की झड़ी लगा दी। इस आधार पर कांग्रेस के निष्कासित नेता छत्तीसगढ़ युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह ने भाजपा और कांग्रेस के बीच कूदकर सियासी त्रिकोण को आकार दे दिया है। अजय सिंह ने बीजापुर में पत्रकार वार्ता में इस मामले में जो कुछ कहा, उसका वायरल वीडियो सियासी गलियारों में धूम मचा रहा है। अजय कांग्रेसी होते हुए भी इस समय बंधन मुक्त हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले उठाने के कारण उन्हें पार्टी से बाहर किया गया है लेकिन वे कांग्रेसी हैं और जानते हैं कि केजी सत्यम उनके निष्कासन के समय बीजापुर जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष था। वह कांग्रेस कार्यकर्ता है, यह बीजापुर इकाई के अध्यक्ष और बीजापुर विधायक ने स्वीकार किया है। अजय का कहना है कि जब भ्रष्टाचार के मामले उठाने पर उन्हें कांग्रेस निष्कासित कर सकती है तो केजी सत्यम पर कांग्रेस ने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? अजय सिंह कह रहे हैं कि आज पूर्व विधायक महेश गागड़ा और विधायक विक्रम शाह मंडावी नक्सलियों से संबंध को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं लेकिन तब विक्रम चुप क्यों थे, जब भाजपा नेता और नक्सलियों के संबंध सामने आ रहे थे? यदि मंडावी के पास सबूत हैं तो आरोप क्यों लगा रहे हैं? सत्ता में हैं, सबूत दिखाएं, जांच कराएं, कार्रवाई कराएं। अजय सिंह का यह भी कहना है कि नक्सलियों के साथ सत्यम के पकड़े जाने के बाद मंत्री कवासी लखमा ने रायपुर में दोपहर 12 बजे बयान दिया कि सत्यम का अपहरण हुआ और शाम 5 बजे उसके परिवार वाले उसके अपहरण की सूचना बीजापुर पुलिस को देते हैं तो मतलब यह कि सत्यम के अपहरण की जानकारी उसके परिवार से पहले रायपुर में मंत्री के पास पहुंच गई। वैसे किस्सा क्या है, यह पुलिस जाने और कांग्रेस। लेकिन, सियासी हलकों में कहा जा रहा है कि युवा आयोग के सदस्य और कांग्रेस से निष्कासित नेता अजय सिंह ने सौ टके की बात कह दी है कि नक्सलियों से संबंधों को लेकर आरोप प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा। स्थानीय परिस्थितियों में किसी की कोई मजबूरी हो सकती है। बेहतर यह है कि जिसके पास जो सबूत हैं, वे सबूत पेश करें। मुख्यमंत्री उन सबूतों की जांच कराएं और उसके आधार पर कार्रवाई की जाए। अब यदि राजनीतिक दांवपेंच के तहत होने वाले आरोप प्रत्यारोप की बात करें तो कांग्रेस की ओर से भाजपा पर नक्सलियों से संबंध का आरोप लगाया जाना कोई नई बात नहीं है। इसी तरह भाजपा भी कांग्रेस पर नक्सलियों से संबंध रखने और उन्हें संरक्षण देने के आरोप आए दिन लगाती रहती है। मौजूदा मामले में भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला तो कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार के मंत्री रहे लता उसेंडी और रामविचार नेताम को भी लपेटे में लिया। अब यदि सामाजिक परिदृश्य की बात करें तो नक्सल प्रभावित इलाकों में जो सामाजिक स्थिति परिस्थिति है, उसे संकुचित नजरिए से देखने की बजाय इस दृष्टि से देखना होगा कि वहां रह रहे लोग किस स्थिति में हैं और उन्हें अपनी जान बचाए रखने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है। रही बात नक्सलियों से संबंध रखने के आरोपों की तो इसकी मुकम्मल जांच करा ली जाए लेकिन ऐसा सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप के आधार पर नहीं हो सकता। यदि कोई सबूत पेश करता है तो उसकी जांच होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कहां कितना कीचड़ और कहां कितनी गंदगी है।

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