लखमा बोले नेताम करें घर में आराम… नेताम की नसीहत कवासी न करें अडानी के लिए काम

(अर्जुन झा)

जगदलपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविंद नेताम और छत्तीसगढ़ सरकार के मौजूदा मंत्री कवासी लखमा के बीच बस्तर में सियासी घमासान मचा हुआ है। मंत्री कवासी ने उन्हें घर में आराम करने की सलाह दी है, क्योंकि नेताम ने उन्हें नसीहत दी थी कि वे आदिवासियों के लिए काम करें, अडानी के लिए नहीं!वैसे लखमा बस्तर और आदिवासियों के लिए कितने सुलभ कामकाजी नेता हैं, यह हर कोई जानता है। वे भी जवाब दे रहे हैं कि अरविंद नेताम ने केंद्र में मंत्री रहते हुए बस्तरवासियों के लिए कुछ नहीं किया। पूर्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी नेताम को अहसास करा चुके हैं कि उनकी पारी खत्म हो गई है, अब औरों को खेलने दें। उन्होंने बस्तर सांसद दीपक बैज और विधायक राजमन बेंजाम के नाम का उल्लेख भी नए खिलाड़ियों के तौर पर कर दिया था। जहां तक अरविंद नेताम और कवासी लखमा के रिश्तों की बात है तो ये राजनीति में गुरु -शिष्य माने जाते हैं। मंत्री लखमा खुलकर स्वीकार करते हैं कि नेताम उनके राजनीतिक गुरु हैं। लेकिन मौजूदा दौर की राजनीति में गुरु शिष्य के बीच सियासी खटपट अत्यंत आत्मीयता वाले अंदाज में सामने आ रही है। नेताम कह रहे हैं कि कवासी उनके नाती हैं। दादा नेताम ने दादी के संबोधन से सर्वप्रिय कवासी को जो नसीहत दी, वह उन्हें अटपटी लगी। लिहाजा उन्होंने भी अपने चिरपरिचित अंदाज में नेताम को खरा जवाब दे दिया। दरअसल, कोंटा विधानसभा के सुकमा में सीपीआई नेता मनीष कुंजाम के मंच से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने छत्तीसगढ़ के उद्योग व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर जिस तरह कटाक्ष करते हुए आदिवासियों के लिए काम करने और अडानी के लिए काम नहीं करने की नसीहत दी और इसके साथ ही हवा में उड़ने और जमीन पर चलने जैसी तल्ख बातें कहते हुए ज्यादा उड़ने से परहेज़ करने कहा तो लखमा खामोशी की चादर ओढ़ कैसे सकते हैं। उन्होंने इस मामले में नेताम के प्रति सम्मान के साथ गंभीरता से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कह दिया कि नेताम मेरे राजनीतिक गुरु हैं। अब नाती-पोते से संपन्न हैं ऊल जुलूल बातें करने की बजाए घर में बैठ जाना चाहिए। लखमा ने यह भी बता दिया कि बस्तर के लिए उन्होंने क्या किया,यह किसी से छिपा नहीं है और नेताम ने कुछ नहीं किया, यह सब जानते हैं। इस प्रसंग के मद्देनजर अब बस्तर की कांग्रेस राजनीति के वर्तमान पर निगाह डाली जाए तो साफ झलकता है कि इंद्रावती में बहुत पानी बह चुका है। कभी बस्तर के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे नेताम के दिन अब पहले जैसे नहीं रहे। राजनीति का तकाजा है कि अपना सम्मान सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए। समय सदा एक सा नहीं रहता। अगली पीढ़ी को भी अवसर प्रदान करने की सोच ही सम्मान बढ़ा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *