कैट ने माप तोल अधिकारीयों की डिजिटल तकनीक युक्त करने का किया आग्रह…

0 माप तोल क़ानून एवं नियमों के कुछ प्रावधानों को आपराधिक श्रेणी से बाहर किया जाएगा
 

रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि माप तोल क़ानून के अनेक प्रावधानों को क्रिमिनल अपराध की श्रेणी से बाहर करने के मुद्दे पर केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने कल नई दिल्ली में एक बुलाई गई मीटिंग में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जोर देकर कहा की उक्त क़ानून की अनेक धाराओं में छोटी मोटी भूलों अथवा गलतियों के लिए भी सिविल धाराओं की बजाय क्रिमिनल धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज़ किया जाता है जो न्यायोचित नहीं है। कैट ने कहा की माप तोल विभाग के अधिकारीयों को भी चालान करने के मामलों में इलेक्ट्रॉनिक मशीन दी जाए जिसे ट्रैफिक पुलिस को दी गई हैं। कैट ने माप तोल क़ानून में आवश्यक संशोधन करने के केंद्रीय मंत्री श्री पियूष गोयल के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा की वर्ष 2011 में बने इस क़ानून में न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत की अनदेखी की गई थी जिसे मोदी सरकार ने ठीक करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से देश के व्यापारी वर्ग को बड़ा लाभ होगा।

कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने बताया की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इज ऑफ डूइंग बिज़नेस विज़न के तहत मंत्रालय माप तोल क़ानून एवं नियमों के कुछ प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखे जाने के बारे में सक्रिय रूप से विचार कर रहा है। उन्होंने बताया की इस मामले में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री पियूष गोयल ने अधिकारीयों को इस दिशा में तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं जिसके अनुसार विभाग में शीर्ष स्तर पर स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा कर ऐसे प्रावधानों को चिन्हित किया गया है और उनमें संशोधन करने की प्रक्रिया पर काम जारी है।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि कैट ने मीटिंग में कहा की कानून की धारा 25 , 28 से 37 तथा 41 से 47 में आपराधिक प्रावधान है। माप तोल क़ानून के अंतर्गत यदि पैक्ड वस्तु पर कोई विवरण लिखा न जाए अथवा कुछ छूट जाए या कोई तकनीकी गलती भी हो जाए तो उनमें भी वित्तीय दंड एवं सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा की आपराधिक मामले में धोखा देने की नीयत का होना जरूरी है जबकि माप तोल क़ानून में इस तथ्य को फ़िलहाल दरकिनार रखा गया है और माप तोल इंस्पेक्टर को उनके विवेक के आधार पर कार्रवाई करने की छूट दी गई है। इस पर अंकुश लगाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा की जो आदतन अपराधी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए लेकिन मानवीय भूल या तकनीकी त्रुटि को आपराधिक मामले की श्रेणी से बाहर किया जाना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा की व्यापारी जो पैक्ड वस्तु बेचते हैं वो उन्हें उसी प्रकार से निर्माता से प्राप्त होती हैं, लिहाजा पैक्ड वस्तुओं पर व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई न करके निर्माता के विरुद्ध करवाई होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा की वित्तीय दंड के मामलों में व्यापारी अथवा बड़ी कंपनियों को एक समान रखा गया है। जो वित्तीय दंड छोटे व्यापारियों के लिए बड़ा हो सकता है वहीं बड़ी कंपनियों के लिए मामूली होता है, लिहाजा वित्तीय दंड का वर्गीकरण किया जाना बेहद जरूरी है। एक तरह से माप तोल क़ानून को तार्किक बनाना जरूरी है।

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