0 मैनपाट महोत्सव और भव्य व आकर्षक होगा:भगत
0 मैनपाट महोत्सव 11 से 13 मार्च तक: शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री का आगमन प्रस्तावित
मैनपाट । मैनपाट महोत्सव 2022 का तीन दिवसीय आयोजन मैनपाट के रोपाखार जलाशय के समीप 11, 12 एवं 13 मार्च को होगा। महोत्सव में स्थानीय कलाकारों के साथ नामचीन कलाकारों की प्रस्तुति होगी। खाद्य एवं संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने अम्बिकापुर में मैनपाट महोत्सव की आयोजन की तैयारियों की समीक्षा में बैठक में यह निर्णय लिया।
मंत्री श्री भगत ने कहा कि मैनपाट महोत्सव और अधिक भव्य व आकर्षक बनाने के लिए प्रभावी बनाये। विगत वर्षों से इस बार का आयोजन अलग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैनपाट महोत्सव की लोकप्रियता हर साल बढ़ रही है, यही कारण है कि इसकी प्रसिद्धि प्रदेश ही नहीं पूरे देश तक फैली है। मैनपाट महोत्सव का आयोजन केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं है बल्कि यह विकास के मॉडल का पैमाना भी है। यहां सड़कों का जो जाल बिछा है तथा विकास के जो अन्य कार्य हुए हैं वह महोत्सव की ही देन है। श्री भगत ने कहा कि तैयारी में कोई कमी न रखें जिस अधिकारी को जो दायित्व सौंपा गया है उसका ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करें। उन्होंने मैनपाट के सभी टूरिस्ट पॉइंट तक पहुंच मार्ग दुरस्त करने साइन बोर्ड लगवाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही सामुदायिक शौचालय भी बनवाएं। सामुदायिक शौचालय का संचालन महिला समूहों को दे ताकि रोजगार के साथ देख-रेख भी हो सके। सभी पॉइन्ट पर हाई मास्क लाइट लगवाए। दरिमा-नवानगर रोड को तेजी से ठीक कराएं।
मंत्री श्री भगत ने कहा कि महोत्सव में कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद हो। पुलिस की पर्याप्त तैनाती रखें। सुरक्षा व्यवस्था में यह भी ध्यान रखें कि अनावश्यक किसी को परेशानी न हो। विवाद की स्थित निर्मित न होने पाए। उन्होंने अधिकारी-कर्मचारी के परिवार के सदस्यों के लिए एक दिन विशेष बैठक व्यवस्था रखने कहा ताकि महोत्सव ड्यूटी में लगे अधिकारी कर्मचारी भी परिवार के साथ बैठकर महोत्सव का आनंद ले पाए।
पहली बार होगी कुश्ती प्रतियोगिता
मैनपाट महोत्सव में पहली बार कुश्ती प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा, इसके लिए आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी गई है। सभी तैयारियां 9 मार्च तक पूरी हो जाएंगी तथा 10 मार्च को सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं अन्य कार्यक्रम का पूर्वाभ्यास भी किया जाएगा। इस बार महोत्सव में संस्कृति, पर्यटन, स्थानीय खान-पान को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। छतीसगढ़ी कला संस्कृति के विविध आयाम रहेंगे।