आदिवासियों के कुलदीपक ने वंचितों को दिला दिया हक …

0 बस्तर सांसद बैज ने लोकसभा में मांगा था 12 समुदाय का अधिकार

(अर्जुन झा)

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल किए जाने पर श्रेय की राजनीति शुरू हो गई है लेकिन यह तथ्यात्मक सच्चाई है कि बस्तर सांसद दीपक बैज ने लोकसभा में इन जाति समूहों को उनका मूलभूत अधिकार देने के लिए पुरजोर आवाज उठाते हुए उनकी पीड़ा को व्यक्त किया था। उन्होंने मांग की थी कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा केंद्र सरकार को भेजे गये प्रस्ताव में जिन जिन जातियों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाना है, उन्हें शामिल कर तत्काल विधेयक पास किया जाए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आदिवासी हितैषी सोच के अनुसार बस्तर के यंग टाइगर ने दहाड़ते हुए जो न्याय इन वंचितों के लिए मांगा था, वह अब मिल गया है। आदिवासी कुलदीपक की रोशनी से आदिवासी समाज प्रफुल्लित होकर जगमगा रहा है। आदिवासी समाज में उमंग हिलोरें मार रही हैं।

भारत की जनजातीय चेतना के अग्रदूत बस्तर की धरती अतीत से आज तक आदिवासी समाज के हितों की रक्षा करने वाले ओजस्वी नेतृत्व देती रही है। मौजूदा वक्त में बस्तर सांसद दीपक बैज आदिवासी समाज के हित के लिए दीपक नाम को सार्थक कर रहे हैं। बस्तर के इस लोकनेता ने आदिवासी हितों की रक्षा की दिशा में प्रयास करते हुए लोकसभा में एसटी बिल पर जबरदस्त तरीके से पक्ष रखा था। जनहित, क्षेत्रहित और आदिवासी समाज के हित में सदा प्रखर ओज प्रदर्शित करने वाले सांसद दीपक बैज ने इस मामले में भी छत्तीसगढ़ सरकार की भावना को संसद में स्वर दिया था। उन्होंने सदन में छत्तीसगढ़ व देश के आदिवासी मुद्दों पर सारगर्भित तरीके से अपनी बात रखते हुए कहा था कि आदिवासियों को सुरक्षित व संरक्षित करना बेहद जरूरी है।आदिवासी देश की धरोहर है। उन्होंने कहा था कि आदिवासियों का नारा जल जंगल जमीन हमारा है। गोली चाहे नक्सली की हो या पुलिस की मगर मारा तो आदिवासी जाता है। उन्होंने तीन साल पहले के हालात की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि छत्तीसगढ़ के वो पंद्रह साल भाजपा सरकार में आदिवासियों पर अनेकों अत्याचार हुए। झीरम कांड में 32 जवान और हमारे कई नेता शहीद हुए, ताड़मेटला कांड में 200 आदिवासियों के घरों को जला दिया गया, सार्केगुड़ा कांड में निर्दोष आदिवासियों की हत्या हुई। 15 साल में आदिवासियों के ऊपर कई फर्जी एनकाउंटर, फर्जी नक्सली केस में हजारों आदिवासी जेल में बंद हुए लेकिन पिछली सरकार मूकदर्शक बनी देखती रही।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना करते हुए सांसद दीपक बैज ने कहा था कि आज छत्तीसगढ में भूपेश बघेल की सरकार में फर्जी एनकाउंटर बंद हुए, फर्जी नक्सली केस में बंद आदिवासियों को रिहा किया जा रहा है। बस्तर के अंदरूनी गांव में कैंप लगाकर लगातार आदिवासियों के आधार कार्ड व राशन कार्ड बन रहे हैं। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की टाटा को दी गई जमीन वापस हुई। हमारी राज्य सरकार ने पिछली सरकार में हुई फर्जी ग्राम सभा को शून्य घोषित कर नंदराज पहाड़ आदिवासियों को लौटाया।बस्तर सांसद ने कहा था कि बस्तर में खनिज संपदा की कमी नहीं है। 60 साल से दोहन हो रहा है। फिर हमारे लोगों को प्रथम प्रथमिकता क्यों नही..? एनएमडीसी में स्थानीय लोगों को आरक्षण व प्राथमिकता और भर्ती मिले। सांसद बैज ने निजीकरण का विरोध करते हुए कहा था कि निजीकरण में आदिवासियों का भविष्य क्या सुरक्षित रहेगा..? हमारा आरक्षण आज भी खतरे में है। महार, मेहरा, मेहर के साथ साथ महरा, माहरा को भी अनुसूचित जाति की सूची क्रमांक 33 में प्रतिस्थापित किया जाए।
छत्तीसगढ़ की इन जातियों को जैसे साैंरा-संवरा, भूईया-भूईयां -भूयां, धनुहार-धनुवार, किसान, धागड़, बिंझीया, कोडाकू, कोंद,भारिया- भरिया, पंडो/पण्डो, गोंड/गोंड, गदबा,नगवंशी/नागबंसी को भी अनुसूचित जनजाति में शामिल कर विधेयक पास किया जाए। बस्तर की जाति अमनीत-अमनित को भी अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। इसके अलावा बस्तर सांसद दीपक बैज के नेतृत्व में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री से मिलकर माहरा जाति को सूची में शामिल कर आरक्षण प्रदान करने चर्चा की गई थी। सांसद दीपक बैज ने अपने नेता भूपेश बघेल की मंशा के मुताबिक वंचित जनजातीय समुदाय को उनका अधिकार दिला दिया है और अब वे बस्तर में निजीकरण का विरोध करने के साथ ही आदिवासी हितों की रक्षा के लिए प्रयास तेज करेंगे, ऐसा भरोसा बस्तर में व्यक्त किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *