अब बस्तर जिला भी भरेगा तरक्की की ऊंची उड़ान

0  रावघाट रेल लाइन और बोधघाट परियोजना से पर्यटन और औद्योगिक विकास को लगेंगे पंख
0  बढ़ेगी सिंचाई क्षमता और रेल कनेक्टिविटी
(अर्जुन झा)जगदलपुर। दशकों तक नक्सलवाद का दंश झेल चुके बस्तर के विकास को अब नए पंख लगने वाले हैं। यहां से नक्सलवाद का सफाया होने के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार ने यहां की पुरानी परियोजनाओं को फिर से शुरू कर पूरे बस्तर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का काम शुरू कर दिया है। 46 साल पुरानी बोधघाट परियोजना और वर्षाे पुरानी रावघाट रेल लाइन भी इसी कड़ी में मुकाम हासिल करने की पहल हैं।
बस्तर में अब यातायात के साधनों का तेजी से विकास हो रहा है। आधारभूत संरचनाओं में भी प्रगति देखी जा रही है। बस्तर को लेकर मोदी सरकार लगातार कई बड़े फैसले कर रही है। इससे बस्तर के यातायात, पर्यटन और औद्योगिक विकास को पंख लगेंगे। रावघाट और जगदलपुर को रेल लाइन से जोड़ने की मंजूरी मिल गई है। 140 किमी लंबी रावघाट जगदलपुर नई रेल लाइन परियोजना पर 3500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बस्तर के लोगों का मानना है कि इस रेल लाइन के पूरा होने से बस्तर का विकास दुर्ग भिलाई जैसा हो जाएगा। जैसे दुर्ग में भिलाई स्टील प्लांट के बनने से विकास हुआ है और वह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के समकक्ष हो गया है। उसी तरह बस्तर और रायपुर के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी।

परियोजना कराएगी विकास का बोध
यातायात और संचार सुविधा को बढ़ाने की पहल के साथ बस्तर संभाग में सिंचाई साधनों की समस्या को दूर करने और बस्तर क्षेत्र के चहुमुखी विकास के लिए बोधघाट बहुउद्देशीय बांध परियोजना निर्णायक साबित होगी। यह परियोजना लंबे समय से इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है। इंद्रावती, गोदावरी नदी की बड़ी सहायक नदी है। गोदावरी जल विवाद अभिकरण के वर्ष 1980 के अवॉर्ड में भी अन्य योजनाओं के साथ इस परियोजना का उल्लेख है। इस अवॉर्ड में उल्लेखित अन्य परियोजनाओं का क्रियान्वयन दूसरे राज्यों द्वारा किया जा चुका है परंतु दूरस्थ अंचल में होने एवं नक्सल समस्या के कारण इस परियोजना को प्रारंभ नहीं किया जा सका। छत्तीसगढ़ सरकार बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना और इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना पर काम कर रही है।

बस्तर में होगा बिजली उत्पादन
बोधघाट बांध परियोजना से संभाग में सिंचाई साधनों का दायरा बढ़ने के साथ ही बस्तर के विकास को डबल रफ्तार मिलेगी। इस परियोजना से 125 मेगावाट बिजली उत्पादन, 4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन जैसे अतिरिक्त रोजगार, खरीफ एवं रबी मिलाकर 3 लाख 78 हजार 475 हेक्टेयर में सिंचाई विस्तार एवं 49 मिलियन घन मीटर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगा। वहीं इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले की भी 50 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सहित कुल 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

अब बस्तर बनेगा आत्मनिर्भर
बस्तर को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में दोनों परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम होगा। बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना, गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है। राज्य में इंद्रावती नदी कुल 264 किमी क्षेत्र में प्रवाहित होती है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले की तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 किमी एवं जगदलपुर शहर से लगभग 100 किमी दूरी पर प्रस्तावित है। परियोजनाओं की अनुमानित लागत 49 हजार करोड़ रूपए है। जिसमें इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना की लागत लगभग 20 हजार करोड़ रुपए एवं बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना में लगभग 29 हजार करोड़ रुपए की लागत संभावित है। जिसमें हाइड्रोपावर इलेक्ट्रो मैकेनिकल कार्य, सिविल कार्य (सिंचाई) भी शामिल हैं। परियोजना में उपयोगी जल भराव क्षमता 2009 मि.घ.मी, कुल जल भराव क्षमता 2727 मि.घ.मी, पूर्ण जल भराव स्तर पर सतह का क्षेत्रफल 10440 हेक्टेयर सम्भावित है।

इन जिलों का होगा लाभ
बोधघाट बांध परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा जिले के 269 गांवों को बड़ा लाभ होगा। जबकि इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले के अनेक गांवों में सिंचाई सुविधा का विस्तार हो सकेगा। बस्तर संभाग को विकसित, आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने की दिशा में दोनों परियोजनाएं एक महत्वपूर्ण कदम होंगी।

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