किसान विरोधी है, मोदी सरकार – कांग्रेस

0 मोदी सरकार ने यूपीए की तुलना में धान का समर्थन मूल्य कम बढ़ाया

रायपुर। मोदी के पहले दो कार्यकाल में धान की एमएसपी वृद्धि दर कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान की गई एमएसपी वृद्धि की तुलना में आधे से कम थी, अब तीसरे कार्यकाल में और भी घटकर एक चौथाई से भी कम है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में वर्ष 2003-04 में धान का एमएसपी 550 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो यूपीए सरकार के दौरान ही वर्ष 2013-14 में 1310 तक पहुंच गई, 10 वर्षों में 550 पर 760 रुपए की वृद्धि, अर्थात कुल वृद्धि 138.18 प्रतिशत थी, प्रतिवर्ष औसत वृद्धि उन 10 वर्षों में 13.81 थी। मोदी सरकार के पहले 10 वर्षों के दौरान धान की एमएसपी 2013-14 में 1310 से लेकर 2023-24 में 2183 तक पहुंची, अर्थात कुल वृद्धि 66.64 प्रतिशत मात्र। प्रति वर्ष का औसत 6.6 प्रतिशत जो यूपीए के 13.81 की तुलना में आधे से भी कम 6.6 प्रतिशत है। धान के साथ ही बाकी फसलों के एमएसपी में यूपीए सरकार के दौरान 108 प्रतिशत से लेकर 228 प्रतिशत तक की वृद्धि विभिन्न फसलों के एमएसपी में हुई थी, लेकिन मोदी सरकार के पहले 10 वर्षों में यह घटकर 59 से मात्र 156 प्रतिशत तक रह गई। तीसरे कार्यकाल में तो यह और भी कम है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी के तीसरे कार्यकाल में धान के एमएसपी के औसत वृद्धि में और अधिक कटौती कर दी गई है। इस वर्ष खरीफ सीजन 2025-26 के लिए मात्र 3 प्रतिशत की वृद्धि धान के एमएसपी में किया गया है। खरीफ सीजन 2024-25 में 5.36 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी, इस बार केवल तीन प्रतिशत? 2023-24 के 2183 से 2025-26 में मात्र 2369, विगत दो वर्षों में कुल वृद्धि मात्र 8.52 प्रतिशत है, अर्थात औसत प्रतिवर्ष का मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मात्र 4.26 प्रतिशत है जो यूपीए की तुलना में धान के एमएसपी वृद्धि 13.81 प्रतिशत का एक चौथाई से भी कम है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार केवल झूठे दावे करती है, इसका उदाहरण है कि मोदी राज में यदि किसी फसल की एमएसपी में सर्वाधिक वृद्धि 156 प्रतिशत की हुई तो वह नाइजर सीड अर्थात रागी की है, लेकिन उसकी एमएसपी पर खरीदी लगभग शून्य हैं, केवल एमएसपी घोषित करके किसानों को ठग लिया गया, खरीदी की कोई व्यवस्था नहीं की गई।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यही नहीं वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार के द्वारा उर्वरकों पर कुल सब्सिडी 2 लाख 55 हजार करोड़ था, जिसे उसके बाद के साल में घटकर 1 लाख 64 हजार करोड़ किया गया, दुर्भावना पूर्वक उर्वरक सब्सिडी लगातार घटाया जा रहा है। कॉर्पोरेटपरस्त मोदी सरकार नए बीज, नए खाद का विकल्प और नए-नए खतरनाक कीटनाशकों के नाम पर किसानों को ठगने का काम कर रही है। फसलों के जिन धंधों में सर्वाधिक वृद्धि होती है, वे सभी सत्ता के संरक्षण में कॉर्पोरेट के नियंत्रण में है। नकली खाद, गुणवत्ताहीन बीज, अमानक कीटनाशक दवाओं और नैनो उर्वरक के नाम पर किसानों को ठगा जा रहा है।

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