केशकाल । राजसिंहासन का सुख सम्मान वैभव विलास का परित्याग कर संसार को शांति अहिंसा सदभावना का संदेश देने वाले बुद्ध का अतिप्राचीन पवित्र स्थल भोंगापाल जो नक्सली आतंक के खौफ के चलते देश दुनिया वालों की पंहुच से दूर रहने के विडम्बनाजनक अभिशाप से ग्रसीत हो गया था और जहां के गौरवशाली अतिप्राचीन पवित्र पुरातात्विक धरोहर धीरे धीरे अपनी पहचान को खोते अपने अस्तित्व रक्षा के लिए संघर्ष करने को लाचार हो गये थे वहां अब प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष डां.रमनसिंह एवं प्रदेश सरकार के मंत्रियों तथा वरिष्ठ अधिकारियों को लाकर केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम बुद्ध शांति पार्क स्थापित करने की आधारशिला रखवाकर विकास की दौड़ से कोसों दूर रहने वाले क्षेत्र के विकास और प्रसिद्धि -समृद्धि का नया अध्याय आरंभ कराने का भागीरथी प्रयास कर रहे हैं ।
1 जून को भोंगापाल में मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर महज कोंडागांव जिला के ही नहीं बल्कि नारायणपुर जिला कांकेर जिला के सीमावर्ती उन सैकड़ों गांव के लोग उत्साहित हैं जो नदी नाला जंगल पहाड़ से घिरे रहने तथा नक्सली दहशत के काली छाया के चलते विकास की दौड़ से कोसों दूर रहकर आज भी विकास की बाट जोह रहे हैं । भोंगापाल कोंडागांव जिले के अंतिम छोर पर है जंहा से कांकेर और नारायणपुर जिला सटा हुआ है । आजादी के बाद पहली बार प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री मंत्री का भोंगापाल और इस दुर्गम संवेदनशील क्षेत्र में आगमन होने से पूरे क्षेत्रवासियों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है ।
प्राचीन पवित्र पुरातात्विक धरोहर स्थली है भोंगापाल
भोंगापाल में बुद्ध की प्रतिमा के सांथ भव्य शिवलिंग एवं सप्तमातृका की प्राचीन पाषांण प्रतिमा मिली हैं । जहां अपने निर्माण काल के प्राचीन बड़े बड़े ईंट से निर्मित किए गये मंदिरों का भग्नावशेष आज भी मौजूद है जिन्हें देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं । भोंगापाल में स्थित बुद्ध की प्रतिमा को स्थानीय लोग गांडा देव एवं डोकरा बाबा के नाम से जानते और पूजते आ रहे हैं l जिस वन क्षेत्र में यह बुद्ध की प्रतिमा है उस वन क्षेत्र को मुदियाल कुटुम जंगल के नाम से जानते हैं बुद्ध की प्रतिमा का स्थान दो नदी तमुर्रा एवं लासुरा संगम के निकट तथा तमुर्रा नदी के तट पर है l आसपास के भग्न अवशेष का अवलोकन कर चैत्य विहार होने का अनुमान लगाया जाता हैं l बुद्ध की प्रतिमा पूर्वाभिमुखी है l बलुआ पाषाण से निर्मित यह प्रतिमा पद्मासन में ध्यान मुद्रा में है l प्रतीत होता है कि यह बौद्ध धर्म के महायान से संबंधित है l कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पाल वंश के राजाओं ने हिन्दू धर्मावलंबी होने पर भी बौद्ध धर्म को प्रसारित प्रचारित करने में सक्रिय योगदान देते मंदिर और चैत्य विहार का निर्माण कराया था l भोंगापाल ग्राम के नामकरंण को इस प्रकार समझ सकते हैं-भोंगा का आशय करुणा का प्रतीक एवं पाल का आशय पाल वंश काल में ग्राम के नाम के साथ प्रत्यय के रूप लगने वाला शब्द l इस प्रकार यह ग्राम भोंगापाल , करुणावतार गौतमबुद्ध को समर्पित है इस क्षेत्र में दो शिवलिंग भी मिले हैं , एक पूर्वाभिमुख एवं दूसरा पश्चिम मुखी भग्नावशेष मंदिर मे अवस्थित हैं l उत्खनन में एक पाषाण प्रस्तर मिला है इसमे आठ देवियों की आकृति उकेरी गई है अधिकांश पुरातत्व लेख में इन प्रतिमाओं को काल पाँचवीं – छठवीं शताब्दी का माना गया है l
5वीं -6वींशदी के पुरातात्विक धरोहरों स्थलों से परिपूर्ण है पूरा अंचल–
भोंगापाल में जिस तरह से पांचवीं छठवीं शताब्दी का अतिप्राचीन पुरातात्विक प्रतिमा एवं मंदिरों का भग्नावशेष है उसी तरह से केशकाल विधानसभा क्षेत्र के गढधनौरा गोबरहीन – बदवर- बड़े खौली -बड़े ओड़ागांव में भी पुरातात्विक धार्मिक धरोहरों है जिन्हें देखने लोग बड़ी श्रद्धाभाव से पूजते हैं और बड़ी दूर दूर से देशी विदेशी पर्यटक एवं धार्मिक आस्था रखने वाले श्रद्धालु भक्तजन पंहुचते रहते हैं । भोंगापाल में बुद्ध शांति पार्क की स्थापना करने के सांथ सांथ अंचल के प्राचीन पवित्र पुरातात्विक धरोहर स्थलों के विकास की योजना बनाकर कार्य करा देने से केशकाल विधानसभा क्षेत्र प्रदेश ही नहीं देश विदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में विशिष्ट स्थान अर्जित कर सकता है । भोंगापाल के समीप स्थित बस्तर रियासत की प्रथम राजधानी और मां दंतेश्वरी का प्राचीन पवित्र धाम बड़े डोंगर तथा पावडा परोडा भी आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है जिससे पर्यटन विकाश को नया आयाम मिल सकता है ।
इको टूरिज्म हब के तौर पर विकसित किए जाने की फिर जागृत हुई अपेक्षा
कोंडागांव जिले का केशकाल पर्यटन विकास के संसाधन एवं संभावना से परिपूर्ण है । पुरखों द्वारा छोड़ गये प्राचीन पवित्र धार्मिक पुरावशेष जंहा धार्मिक आस्था रखने वालों को और बस्तर के प्राचीन इतिहास सभ्यता संस्कृति पर अभिरुचि रखने वालों को आकर्षित करते आमंत्रित करता है वहीं प्रकृति ने केशकाल अंचल को इतनी सौंदर्यता एवं भौगौलिक विशिष्ठता तोहफे के तौर पर दे दी है जिसके चलते सात समुंदर पार से आने वाले विदेशी पर्यटकों और देश के विभिन्न स्थानों से पर्यटन के लिए निकलने वालों को केशकाल की सुंदर सुरम्य मनोरम बारह मोड़ों वाली सर्पाकार घाटी , पंचवटी , टाटा मारी , मांझीनगढ तथा हरे-भरे जंगल की वादी के बीच बहते जल प्रवाह एवं जलप्रपात रोमांचित और आनंदित कर देती है ।
प्रदेश के मानचित्र में केशकाल विधानसभा के पर्यटन हब के तौर पर विकसित होने से प्रसिद्धि मिलने के सांथ सांथ रोजगार एवं आय का जरीया भी बनेगा जो समृद्धि एवं खुशहाली का आधार भी बनेगा । मुख्यमंत्री के आने से लम्बे समय से लम्बित मांग पूरी होने और विकास की सौगात मिलने की उम्मीद से लोग मांग पत्र तैय्यार करने में जुट गये हैं और 1जून को भोंगापाल पहुंचकर मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी उम्मीदों भरी अर्जी को सौंपेंगे।