काजू प्रोसेसिंग प्लांट में छह माह से लटक रहा है ताला, डेढ़ सौ आदिवासी महिला मजदूर रोजगार से बेदखल

0 बाजार में तेजी के चलते सरकारी रेट पर नहीं हो पाई काजू गुठली की खरीदी 

0 विधायक बघेल ने दी आंदोलन की चेतावनी 

बकावंड। वर्ष 2013 से वन परिक्षेत्र कार्यालय परिसर बकावंड में संचालित काजू प्रोसेसिंग प्लांट पर पिछले दिसंबर माह से ताला लटक रहा है और मशीनों में जंग लग रही है। प्लांट बंद होने से करीब डेढ़ सौ आदिवासी महिला मजदूर रोजी-रोटी के लिए मोहताज हो गई हैं। ऐसे हालात राज्य सरकार की गलत नीति की वजह से पैदा हुए हैं।
बताया गया है कि प्रोसेसिंग के लिए जो काजू गुठली की जरूरत पड़ती है, उसकी रेट ग्रेड के अनुसार सरकार ने 115, 120 रुपये निर्धारित कर रखी है। जबकि बाजार में तेजी की वजह से काजू गुठली 138 से 150 रुपये की दर पर बिक रही है। इससे प्रोसेसिंग प्लांट के लिए काजू खरीद रही समितियों के हाथ खाली हैं।कच्चा माल नहीं होने की वजह से प्रोसेसिंग प्लांट बंद पड़ा है। इस संबंध में प्रोसेसिंग का काम संचालित कर रही मां धारणीकरिन महिला स्व सहायता समूह बकावंड की महिलाओं ने कई दफा फारेस्ट के अधिकारियों से मिलकर काजू की उपलब्धता सुनिश्चित कर प्रोसेसिंग का काम शुरू कराने की गुहार लगाई पर नियमों में रद्दोबदल कर खरीदी नीति को बाजार के समदर्शी बनाने की पहल किसी ने नहीं की। महिला समूह के प्रतिनिधि मंडल ने बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल को ज्ञापन सौंपकर प्रोसेसिंग प्लांट को जल्द शुरू कराने और महिला मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की है।विधायक लखेश्वर बघेल ने उच्च अधिकारियों से चर्चा कर प्रोसेसिंग प्लांट जल्द शुरू न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। श्री बघेल ने कहा कि इस प्रोसेसिंग प्लांट की चर्चा देश ही नहीं विदेशों तक है समूह की दो महिलाओं ने सिंगापुर तक अपना लोहा मनवाया है। विभाग ने भी बस्तर के छोटे काजू को बड़े पैमाने पर प्रचारित कर अपना रोल मॉडल बना रखा है। यह काम बंद कैसे हो गया? राज्य सरकार नए रोजगार का सृजन तो नहीं कर पा रही है और जो रोजगार के साधन उपलब्ध है उसे भी छीन रही है।

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