रायपुर में 27 लाख की सनसनीखेज चोरी का पर्दाफाश: पूर्व ड्राइवर विजय कश्यप उर्फ गुड्डा गिरफ्तार, पूरी रकम और बाइक बरामद

रायपुर। राजधानी के माना थाना क्षेत्र स्थित डुमरतराई की औषधि वाटिका में हुई 27 लाख रुपए की चोरी की गुत्थी को चंद घंटों में सुलझाते हुए रायपुर पुलिस ने आरोपी को धर दबोचा। चौंकाने वाली बात यह रही कि यह चोरी किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि शॉप मालिक का पूर्व कर्मचारी ड्राइवर विजय कश्यप उर्फ गुड्डा ने ही अंजाम दिया था।

पूर्व में एजेंसी में ड्राइवर रह चुका विजय कश्यप पांच महीने पहले काम छोड़ चुका था, लेकिन उसे शॉप के पैसों और चाबी की जगहों की पूरी जानकारी थी। मौका पाकर उसने शातिर तरीके से दुकान में घुसकर लाखों रुपए उड़ा दिए और दोपहिया वाहन से फरार हो गया।

घटना का खुलासा ऐसे हुआ:

27 मई की रात जब एजेंसी संचालक संजय आहूजा अपने घर लौटे, तो उन्होंने कार की चाबी और दुकान की चाबी गायब पाई। शक होने पर वे रात में ही डुमरतराई पहुंचे और नया ताला लगाकर लौट आए। अगले दिन जब दुकान खोली गई तो दराज टूटी हुई थी और 27 लाख रुपए गायब थे।

रायपुर पुलिस के आला अधिकारियों आईजी अमरेश मिश्रा और एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह के निर्देश पर क्राइम ब्रांच, एंटी क्राइम एवं साइबर यूनिट और थाना माना की टीम ने ताबड़तोड़ जांच शुरू की।

सीसीटीवी फुटेज से हुआ सुराग:

घटना स्थल के आस-पास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर एक संदिग्ध युवक की पहचान हुई, जो कोई और नहीं बल्कि एजेंसी का पूर्व ड्राइवर विजय कश्यप निकला। जानकारी मिली कि वह अपने गांव मलदा कला (जिला सक्ती) भाग गया है।

तीन जिलों की पुलिस के समन्वय से धराया आरोपी:

रायपुर, सक्ती और जांजगीर-चांपा पुलिस के साझा ऑपरेशन में ग्राम मलदा कला में दबिश देकर आरोपी को धर दबोचा गया। आरोपी के पास से चोरी की पूरी रकम 27 लाख रुपए और घटना में प्रयुक्त दोपहिया वाहन भी जब्त किया गया है।

आरोपी ने कबूला जुर्म:

पूछताछ में आरोपी विजय कश्यप ने जुर्म कबूलते हुए बताया कि उसे पैसों की सख्त जरूरत थी और वह प्रार्थी की आदतों व पैसों के ठिकानों से भली-भांति परिचित था। इसी का फायदा उठाकर उसने चोरी की साजिश रची और सफलतापूर्वक उसे अंजाम दिया।

कुल जप्ती:

  • नगद राशि: ₹27,00,000

  • दोपहिया वाहन: ₹50,000 (अनुमानित)

  • कुल जब्ती: ₹27.5 लाख

पंजीबद्ध अपराध:

थाना माना में आरोपी के विरुद्ध अपराध क्रमांक 157/25, धारा 331(4), 305 बी.एन.एस. के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

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