आयुष्मान योजना में सेवाएं दे रहे 750 स्वास्थ्य मितान बेरोजगार, मंत्री ने दिया समायोजन का भरोसा

रायपुर। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कार्यरत करीब 750 स्वास्थ्य मितानों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है। तीस अप्रैल को थर्ड पार्टी FHPL कंपनी का टेंडर समाप्त हो जाने के बाद इन मितानों को न तो नया अनुबंध मिला और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। इसके चलते ये सभी मितान पिछले तीन महीनों से वेतन से भी वंचित हैं।

इस स्थिति से आक्रोशित स्वास्थ्य मितान स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से मिलने उनके सरकारी निवास पहुंचे और अपनी समस्याएं रखते हुए ज्ञापन सौंपा। मितानों ने मांग की कि उन्हें स्टेट नोडल एजेंसी में कलेक्टर दर पर समायोजित किया जाए।

स्वास्थ्य मंत्री ने मुलाकात के दौरान मितानों के अनुभव को महत्वपूर्ण बताते हुए आश्वासन दिया कि विभागीय स्तर पर उनके समायोजन की प्रक्रिया नियमानुसार परीक्षण के बाद की जाएगी। मंत्री ने कहा इन लोगों का काम का अनुभव लंबा है। यदि विभागीय आवश्यकता हुई, तो अनुभव के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी।

स्वास्थ्य मितानों का कहना है कि वे पहले कियोस्क ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे और पिछले 10–12 वर्षों से प्रदेश के सभी 33 जिलों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने आयुष्मान कार्ड, व्यय वंदना कार्ड, आभा कार्ड निर्माण, क्लेम प्रोसेसिंग, वेरिफिकेशन, ऑडिटिंग और ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से मरीजों को लाभ दिलाने जैसे अहम दायित्व निभाए हैं।

मंत्री जायसवाल ने यह भी स्वीकार किया कि तीसरी पार्टी एजेंसियों के कारण अक्सर 3-4 महीने वेतन भुगतान में देरी की शिकायतें आती हैं। उन्होंने कहा, “हम लगातार भुगतान कर रहे हैं। भविष्य में यदि नई एजेंसी नहीं आती है, तो भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार या कलेक्टर दर पर ही इन कर्मचारियों को काम सौंपा जाएगा।

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