जगदलपुर। सूर्य महाविद्यालय, जगदलपुर में आज से दो दिवसीय शैक्षणिक संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन डिजिटल युग में शिक्षा के बदलते स्वरूप और छात्र-शिक्षक संबंधों की दिशा को समझने तथा तकनीक के प्रभाव पर विचार-विमर्श हेतु एक सशक्त मंच सिद्ध हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत मां सरस्वती की वंदना से हुई, जिसके बाद अतिथियों ने मंच साझा करते हुए अपने विचार और अनुभव प्रस्तुत किए।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. एन. पापा राव (कल्याण महाविद्यालय,भिलाई) ने डिजिटल शिक्षा की दिशा में हो रहे परिवर्तनों, अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
डॉ. राजेश लालवानी (कुलसचिव, शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर) ने कहा कि नई शिक्षा नीति में तकनीक एक प्रमुख स्तंभ बनकर उभरी है, जो शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता दोनों को सशक्त कर रही है। विशिष्ट अतिथि श्री नितिन दंडसेना (प्राचार्य, बस्तर डाइट) ने अपने वक्तव्य में कहा कि तकनीक अब केवल साधन नहीं, बल्कि शिक्षा का दृष्टिकोण बदलने वाला माध्यम बन चुकी है।
महाविद्यालय के प्राचार्य श्रीकांत भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसी संगोष्ठियाँ शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को सोचने, सीखने और बदलते समय के साथ कदम मिलाने का अवसर देती हैं।
कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. हेमलता नागेश एवं संयोजक शैलजा शुक्ला, शिक्षिका दीपिका दास,शिल्पा गौर, कनक सिंह, सारंग मरकाम, मणिप्रभा राय और सहायक शिक्षक ईश्वर लाल साहू ने आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की और उसे सफल बनाने में अहम योगदान दिया।
इस संगोष्ठी में डिजिटलीकरण से जुड़े विभिन्न विषयों पर भी व्यापक चर्चा हुई। शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और छात्र प्रतिनिधियों ने ऑनलाइन लर्निंग, वर्चुअल क्लासरूम, तकनीकी दक्षता, डिजिटल गैप, और शिक्षक प्रशिक्षण जैसे विषयों पर अपने-अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा किए। इस विमर्श ने शिक्षा के डिजिटल भविष्य की स्पष्ट और सशक्त तस्वीर प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की एक विशेष प्रस्तुति में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के गणित व्याख्याता राहुल कुमार पांडे ने डिजिटल युग में छात्र-शिक्षक संबंधों में बदलाव विषय पर प्रभावशाली वक्तव्य रखा। उनके विचारों की खुले मन से सराहना की गई। प्रोफेसर डॉ. एन पापा राव ने मुस्कुराते हुए टिप्पणी की यदि ऐसे शिक्षक हमें गणित पढ़ाते, तो हम कभी गणित से नहीं डरते! यह टिप्पणी प्रेरणा और मान्यता दोनों का प्रतीक बनी।
कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया मुंबई से पधारे संतोष शुक्ला की उपस्थिति ने, जिन्होंने शिक्षा में हो रहे राष्ट्रीय नवाचारों और डिजिटल युग की आवश्यकताओं पर विचार साझा किया।
संगोष्ठी का यह पहला दिन संवाद, तकनीकी चिंतन और प्रेरक विचारों से परिपूर्ण रहा। अगले दिन भी शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए जाएंगे।