0 सेंट्रल पुलिस बल के जवानों का बड़ा योगदान
0 केंद्र सरकार के संकल्प को पूरा कर रही है फोर्स
(अर्जुन झा) जगदलपुर। सीआरपीएफ ने बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में जिस शौर्य का प्रदर्शन किया है, वह काबिले तारीफ है। एक ओर देश की सेना जहां ऑपरेशन सिंदूर चलाकर आतंकवादियों पर करारा प्रहार कर रही थी, वहीं दूसरी ओर बस्तर की सैकड़ों माता बहनों का सिंदूर पोंछने वाले नक्सलियों के सफाये में सीआरपीएफ के जवान लगे रहे। ऑपरेशन कर्रेगुट्टा हिल उसी तरह कामयाब रहा जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर। यहां सीआरपीएफ जवानों ने न सिर्फ 31 दुर्दांत नक्सलियों को ढेर कर दिया, बल्कि उनके हथियार भंडारों, हथियार बनाने के कारखाने, बड़े नक्सली संगठनों के हेड क्वाटर, पीएलजीए की टेक्निकल डिपार्टमेंट यूनिट, शस्त्र भंडार को भी मिट्टी में मिला दिया है। ऑपरेशन कर्रेगुट्टा हिल ने नक्सलियों को अब अधमरा करके रख दिया है। जिस पहाड़ी पर लाल आतंक का लाल झंडा लहराया करता था, वहां अब शान से तिरंगा लहरा रहा है। सबसेअहम बात तो यह है कि इतने बड़े ऑपरेशन में सिर्फ 6 जवान घायल हुए हैं।
नक्सलमुक्त भारत के संकल्प में एक ऐतिहासिक सफलता प्राप्त करते हुए सुरक्षाबलों ने नक्सलवाद के विरुद्ध अबतक के सबसे बड़े ऑपरेशन में छत्तीसगढ़- तेलंगाना सीमा पर स्थित बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के कुर्रेगुट्टालू पहाड़ यानि कर्रेगुट्टा हिल पर 31 नक्सलियों को मार गिराया।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जिस कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था, वहां आज शान से तिरंगा लहरा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम नक्सलवाद को जड़ से मिटाने के लिए संकल्पित हैं, 31 मार्च 2026 तक भारत का नक्सलमुक्त होना तय है।नक्सल विरोधी इस सबसे बड़े अभियान को हमारे सुरक्षा बलों ने मात्र 21 दिनों में पूरा किया और इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों में एक भी कैजुअल्टी नहीं हुई।
खराब मौसम और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में भी अपनी बहादुरी और शौर्य से नक्सलियों का सामना करने वाले हमारे सीआरपीएफ, एसटीएफ और डीआरजी के जवानों को बधाई, पूरे देश को आप पर गर्व है। यह अभियान राज्य एवं केंद्र की विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय और मोदी सरकार की होल ऑफ गवर्नमेंट एप्रोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। केजीएच की बेहद कठिन परिस्थितियों और 45 डिग्री से अधिक तापमान के बावजूद जवानों का मनोबल उत्कृष्ट बना रहा और उन्होंने पूरे साहस के साथ ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया। कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पीएलजीए बटालियन-1 डीकेएसजेडसी, टीएससी और सीएआरसी जैसे बड़े नक्सल संगठनों का यूनिफाइड हेडक्वार्टर था, जहां नक्सल ट्रेनिंग के साथ-साथ रणनीति और हथियार भी बनाए जाते थे। ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, महानिदेशक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल, अरुण देव गौतम पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ और एडीजी एंटी नक्सल ऑपरेशंस छत्तीसगढ़ ने बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने नक्सलियों का अभेद्य गढ़ समझे जाने वाले कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर 21 दिन तक चली 21 मुठभेड़ों में 16 वर्दीधारी महिला नक्सलियों समेत कुल 31 वर्दीधारी नक्सलियों के शव और 35 हथियार बरामद किए हैं। अब तक 28 नक्सलियों की शिनाख्त हो चुकी है जिन पर कुल 1 करोड़ 72 लाख रूपए के इनाम घोषित थे। 21 अप्रैल से 11 मई तक चले नक्सल विरोधी अभियान में संकेत मिले हैं कि मुठभेड़ स्थल से बरामद शव प्रतिबंधित, अवैध और नक्सलियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी के काडर के हो सकते हैं। नक्सलियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी सहित अनेक शीर्ष काडर्स की शरणस्थली सुकमा एवं बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में थी। इस क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सुरक्षाबलों द्वारा अनेक नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना की गई जिससे उनका पलायन बढ़ा और नक्सलियों ने यूनिफाइड कमांड का गठन कर वहां से बीजापुर, छत्तीसगढ़ एवं मुलुगू, तेलंगाना की सीमा पर अभेद्य समझे जाने वाले कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर शरण ली। केएचजी लगभग 60 किमी लम्बा एवं 5 किमी से लेकर 20 किमी चौड़ा अत्यन्त दुष्कर पहाड़ी क्षेत्र है, जिसकी भौगोलिक परिस्थिति बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण है। नक्सलियों ने पिछले ढाई वर्ष में इस क्षेत्र में अपना बेस तैयार किया, जहां उनके लगभग 300-350 आर्म्ड काडर्स सहित PLGA बटालियन के टेक्निकल डिपार्टमेंट एवं अन्य महत्वपूर्ण संगठनों की शरणस्थली थी। पुख्ता योजना तैयार कर छत्तीसगढ़ पुलिस एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने व्यापक ज्वाईंट ऑपरेशन शुरु किया। ऑपरेशन में विभिन्न आसूचना एजेंसियों से प्राप्त टेक्निकल, हिंट ट एवं फील्ड इनपुट के कलेक्शन और एनालिसिस के लिए एक मल्टी एजेंसी विशेष दल का गठन किया गया। इस बल ने प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऑपरेशन की विस्तृत प्लानिंग की गई और तैनात बलों की संख्या का निर्धारण, लगातार मोबिलइजेशन और निर्धारित समयावधि में रिप्लेसमेंट किया। सूचनाओं का निरंतर विश्लेषण कर उन्हें फील्ड में ऑपरेशनल कमांडरों को रियल टाइम पर भेजा गया, जिससे सुरक्षा बलों को न केवल नक्सलियों, उनके हाईड आउट्स एवं डंप का पता चला, बल्कि कई मौकों पर सुरक्षाबलों का आईईडी से बचाव भी संभव हो सका। इन सूचनाओं के आधार पर सुरक्षाबलों को बड़ी संख्या में आई ईडी, बीजीएल शेल और बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद करने में भी सफलता हासिल हुई। यह अभियान अब तक का सबसे बड़ा, व्यापक एवं समन्वित नक्सल विरोधी अभियान रहा।
241 नक्सली ठिकाने ध्वस्त
इस अभियान में अब तक कुल 214 नक्सली ठिकाने और बंकर नष्ट किए जा चुके हैं। तलाशी के दौरान कुल 450 आईईडी, 818 बीजीएल शेल, 899 बंडल कॉडेक्स, डेटोनेटर और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की जा चुकी है। इसके अलावा लगभग 12 हज़ार किलोग्राम खाने-पीने का सामान भी बरामद किया गया है। 21 दिनों तक लगातार चले इस ऐतिहासिक नक्सल विरोधी अभियान के दौरान हासिल की गई जानकारियों के विश्लेषण से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस अभियान के दौरान कई वरिष्ठ नक्सली काडर या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हालांकि, कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सुरक्षाबल अभी तक सभी घायल या मारे गए नक्सलियों के शव बरामद नहीं कर पाए हैं। इस ऐतिहासिक अभियान के एक्शन प्लान के क्रियान्वयन के लिए बड़ी संख्या में बलों, उपकरणों और अन्य लॉजिस्टिक्स का मोबिलइजेशन प्रोफेशनल तरीके से किया गया। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की चार तकनीकी इकाईयों को भी नष्ट किया जिनका उपयोग बीजीएल शेल, देसी हथियार, आईईडी और अन्य घातक हथियारों के निर्माण के लिए किया जा रहा था। अभियान के दौरान विभिन्न नक्सली ठिकानों और बंकरों से बड़ी मात्रा में राशन सामग्री, दवाएं एवं दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी बरामद की गई हैं। कुर्रेगुट्टालू पहाड़ी की परिस्थितियां बेहद कठिन हैं और वहां दिन का तापमान 45 डिग्री से अधिक होने के कारण अनेक जवान डिहाईड्रेशन के शिकार हुए। इसके बावजूद जवानों के मनोबल में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने पूरे साहस और जोश के साथ नक्सलियों के विरूद्ध अभियान जारी रखा।
नक्सल इको सिस्टम ध्वस्त
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के निर्देशन में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा, ज्वाईंट एक्शन प्लान के अंतर्गत नक्सली विरोधी अभियान का संचालन किया जा रहा है। इस अभियान के मुख्य आयाम हैं- नए सुरक्षा कैम्पों की स्थापना कर सुरक्षा गैप्स को भरना, क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए नक्सलवाद प्रभावित जिलों में विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करना जिससे स्थानीय नागरिकों को इसका लाभ मिल सके और सुरक्षाबलों द्वारा नक्सलियों के आर्म्ड काडर एवं उनके सम्पूर्ण इको सिस्टम के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करना। इस एक्शन प्लान के क्रियान्वयन के फलस्वरूप सुरक्षाबलों ने नक्सलवादियों के आर्म्ड काडर एवं इकोसिस्टम को भारी क्षति पहुंचाई है, जिससे नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र में काफी कमी आई है।
आंकड़े हैं कामयाबी के गवाह
वर्ष 2024 में नक्सल विरोधी अभियान में प्राप्त सफलता को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2025 में भी सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों के परिणामस्वरूप पिछले 04 महीने में 197 हार्डकोर नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़्ड किया गया है। वर्ष 2014 में जहां 35 ज़िले नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित थे, 2025 में ये संख्या घटकर मात्र 6 रह गई है। इसी प्रकार नक्सलवाद प्रभावित ज़िले 126 से घटकर मात्र 18 रह गए हैं। 2014 में 76 ज़िलों के 330 थानों में 1080 नक्सली घटनाएं दर्ज की गईं जबकि 2024 में 42 ज़िलों के सिर्फ 151 थानों में 374 घटनाएं ही दर्ज हुई हैं। 2014 में 88 सुरक्षाकर्मी नक्सली हिंसा में शहीद हुए थे, जो 2024 में घटकर 19 रह गई है। मुठभेडों में मारे गए नक्सलियों की संख्या 63 से बढ़कर 2089 तक पहुंच गई है। वर्ष 2024 में 928 और 2025 के पहले 4 महीनों में अब तक 718 सरेंडर हो चुके हैं। केंद्रीय बलों ने राज्य पुलिस के साथ मिलकर 2019 से 2025 के दौरान विभिन्न प्रकार के कुल 320 कैंप नक्सल प्रभावित राज्यों में स्थापित किए हैं। इन कैंपों में 68 नाइट लैंडिंग हैलीपैड भी बनाए गए हैं। फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन्स की संख्या जो 2014 में 66 थी, वह अब बढ़कर 555 हो गई है। नक्सलियों के विरूद्ध इस व्यापक अभियान के दूरगामी परिणाम देखे जा रहे है, जैसे नक्सलियों की बड़ी एवं सशस्त्र इकाईयां अब कई छोटी-छोटी इकाईयों में विभाजित हो गई हैं। इन क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की पकड़ मजबूत हुई है और सुरक्षाबल बीजापुर जिले के अंतर्गत नेशनल पार्क तथा नारायणपुर जिले के अंतर्गत माड़ क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।