रायपुर। माओवादियों की ओर से शांति वार्ता की पांचवीं अपील पर छत्तीसगढ़ सरकार ने इस बार सख्त रुख अपना लिया है। उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने दो टूक शब्दों में कहा है – वार्ता उन्हीं से होगी जो सामने आकर खुद पहल करेंगे। पर्दे के पीछे से निर्देश देने वालों से नहीं।
गृह मंत्री ने माओवादियों की कथित वार्ता की पहल पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा जो लोग कभी बस्तर के दर्द में सहभागी नहीं बने, न चिंगावरम, घोड़ा गांव, एर्राबोर, दरभा गुड़ा, ताड़मेटला और झीरम जैसे नरसंहारों पर एक शब्द नहीं बोले, आज वही लोग वार्ता की बातें कर रहे हैं – यह हमें मंजूर नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि वार्ता की बातें कुछ व्यक्तिगत और कुछ संस्थागत माध्यमों से सामने आती हैं, लेकिन वे वही लोग हैं जो बस्तर की असली पीड़ा से हमेशा बेखबर रहे। चिंगावरम और घोड़ा गांव के आदिवासियों की हत्या, एर्राबोर में जिंदा जलाए गए मासूम, दरभा गुड़ा में निर्दोषों की लाशें, झीरम घाटी में छत्तीसगढ़ के नेतृत्व की बलि – इन पर जिन्होंने कभी कोई संवेदना नहीं जताई, अब वे हमें बताएं कि राज्य सरकार को क्या करना चाहिए?
बस्तर की मिट्टी से उठने वाले दर्द को महसूस करने वाले ही वार्ता के पात्र हैं, गृह मंत्री ने जोर देकर कहा। उन्होंने कहा माओवादी यदि सच में बात करना चाहते हैं, लोकतंत्र में भरोसा रखते हैं, तो सीधे सामने आएं। केंद्र और राज्य सरकार दोनों की मंशा स्पष्ट है – हम गोली नहीं, संवाद चाहते हैं। लेकिन यह संवाद दिखावे या एजेंडाधारी संस्थाओं के माध्यम से नहीं होगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई दबे हैं, कोई हार रहे हैं – ऐसा कहने का सवाल ही नहीं उठता। वे भारत के ही भटके हुए नागरिक हैं, और हमें उन्हें वापस मुख्यधारा में लाना है। हम आत्मसमर्पण की बात नहीं करते, हम पुनर्वास और सम्मानजनक वापसी की बात करते हैं।
गृह मंत्री ने हैदराबाद में हुई कुछ बैठकों का जिक्र करते हुए कहा कुछ लोग अचानक सक्रिय हो गए हैं, जिनका बस्तर से कोई लेना-देना नहीं। न ज़मीन का दर्द समझा, न खून की कीमत। आज वे हमें दिशा दिखा रहे हैं – यह स्वीकार्य नहीं।
माओवादी सामने आकर बात करें – हम तैयार हैं। पर बिचौलियों और कथित बुद्धिजीवियों के माध्यम से नहीं।
अंत में विजय शर्मा ने एक बड़ा संदेश दिया – बस्तर के कोने-कोने तक संविधान और विकास की रोशनी पहुंचानी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में हम यह संकल्प लेकर चल रहे हैं – बस्तर अब आगे बढ़ेगा, और माओवाद अतीत बनेगा।