0 सीपीआई (माओवादी) के 38 नक्सलियों ने तेलंगाना में किया आत्मसमर्पण
0 छग के मुख्यमंत्री साय, गृहमंत्री शर्मा और सुरक्षा बलों के एक्शन का खौफ
(अर्जुन झा) जगदलपुर। इन दिनों बस्तर के नक्सलियों में यहां चलाए जा रहे आक्रामक ऑपरेशन का ऐसा खौफ छाया हुआ है कि वे पड़ोसी राज्य तेलंगाना की ओर न सिर्फ कूच करने लगे हैं, बल्कि वहां जाकर थोक में आत्मसमर्पण भी कर रहे हैं। थोक में आत्मसमर्पण इसलिए कि यहां ठोक दिए जाने का खतरा है। आज 9 मई को एकसाथ सीपीआई (माओवादी) के 38 नस्क्सलियों ने तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुड़ेम के पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
विभिन्न कैडर के 38 नक्सलियों ने आज तेलंगाना में सरेंडर किया है। इनमें पार्टी सदस्य 02, मिलिशिया सदस्य 16, वीसीएमएस 7, केएएमएस सदस्य 6, सीएनएम 3 और जीआरडी 4 सदस्य शामिल हैं। इन्होंने नक्सलवाद का रास्ता छोड़ने और अपने परिवार के सदस्यों के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने का फैसला किया है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के हित में किए जा रहे कल्याणकारी उपायों और आदिवासियों के लिए विकास और कल्याण गतिविधियों के बारे में जानने के बाद यह कदम उठाया है इन नक्सलियों को भद्राद्री कोठागुड़ेम जिला पुलिस, 81 वीं बटालियन और सीआरपीएफ की 141 बटालियन द्वारा ऑपरेशन च्यूता के तहत सारी सुविधाएं प्रदान कi जा रहi हैं। वहीं तेलंगाना सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी सदस्यों को दी जा रही पुनर्वास सुविधाओं से आकर्षित होकर माओवादियों के विभिन्न कैडर अपने हथियार छोड़ रहे हैं और तेलंगाना जाकर आत्मसमर्पण करना पसंद कर रहे हैं। साथ ही, उन्हें यह भी अहसास हो रहा है कि तेलंगाना पुलिस विभाग तेलंगाना सरकार की ओर से काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आत्मसमर्पण करने के तुरंत बाद उन्हें वह पुरस्कार मिले जिसके वे हकदार हैं। आत्मसमर्पण करने वाले लोग तेलंगाना सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का आनंद लेते हुए अपने परिवार के सदस्यों के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं। इस साल अब तक प्रतिबंधित माओवादी पार्टी के विभिन्न कैडरों में काम करने वाले कई नेताओं और सदस्यों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर किया है। इस साल अब तक यानि जनवरी-2025 से प्रतिबंधित माओवादी पार्टी में विभिन्न कैडरों में काम करने वाले कुल 265 माओवादी सदस्यों ने कोठागुडेम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। इनमें डीवीसीएम का 1, एसीएमएस के 11, पीएम के 29, मिलिशिया सदस्य 92, आरपीसी समिति सदस्य 33, डीएकेएमएस, केएमएस के 47, सीएनएम सदस्य30 और जीआरडी के 22 नक्सली शामिल हैं। पिछले कुछ समय से प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी पार्टी ने आदिवासियों के बीच अपना विश्वास और समर्थन और विश्वास खोते जा रहे हैं। नक्सली मामने लगे हैं कि अपनी पुरानी विचारधारा के साथ-साथ आदिवासी क्षेत्र के विकास में वे बाधा डाल रहे हैं। उनका मानना है कि अगर आदिवासी क्षेत्र का विकास हुआ तो वे जीवित नहीं रह पाएंगे। वे उन जगहों पर बारूदी सुरंगें बिछाकर निर्दोष आदिवासियों को आतंकित करte रहे हैं, जहां वे अपनी आजीविका के लिए नियमित रूप से आते-जाते हैं। माओवादी पार्टी के नेताओं की करतूतों के कारण आदिवासी आतंकित होते रहे हैं और उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता रहा है। माओवादियों द्वारा पुलिस मुखबिरी के नाम पर कुछ निर्दोष आदिवासियों की हत्या और उन पर अत्याचार किया जाता रहा है। तेलंगाना पुलिस ने पार्टी के उन सदस्यों से अपील की जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं और सामान्य जीवन जीना चाहते हैं, वे अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से या व्यक्तिगत रूप से अपने निकटतम पुलिस स्टेशन या जिले के उच्च अधिकारियों से संपर्क करें। जिला पुलिस प्रशासन हमेशा यह सुनिश्चित करेगा कि आत्मसमर्पण करने वाले पार्टी सदस्यों की आजीविका और पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से सभी प्रकार के लाभ उपलब्ध हों। यदि तेलंगाना क्षेत्र के शीर्ष माओवादी नेता मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं, तो पुलिस विभाग उन्हें तुरंत विशेष नकद पुरस्कार और अन्य पुनर्वास सुविधाएं प्रदान करने के लिए काम करेगा।
छत्तीसगढ़ के शौर्य का नतीजा
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली अपने हृदय परिवर्तन की भले ही जो कुछ भी कहानी गढ़ रहे हों, मगर सच्चाई यही है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, छत्तीसगढ़ सरकार, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की दृढ़ इच्छाशक्ति और यहां एंटी नक्सल ऑपरेशन में जांबाजी के साथ लगे सुरक्षा बलों के शौर्य ने उन्हें बुरी तरह डरा दिया है। बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर जारी ऑपरेशन ने तो नक्सलियों की कमर ही तोड़ डाली है। यही वजह है कि नक्सली अब तेलंगाना भाग रहे हैं और वहां जाकर समर्पण कर रहे हैं।