कोंडागांव। छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के लगातार चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन और सरकार की पुनर्वास नीतियों के परिणामस्वरूप आज एक और नक्सल दंपत्ति ने हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। इन दोनों ने माओवादी संगठन की खोखली विचारधारा और शोषण से तंग आकर सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का नाम रैसिंग कुमेटी और पुनाय आचला है। इन पर कोंडागांव, कांकेर, राजनागांव, गरियाबंद, धमतरी और नारायणपुर के इलाकों में कई नक्सली घटनाओं में शामिल होने का आरोप था। दोनों पर 8-8 लाख रुपए का ईनाम भी रखा गया था। लेकिन अब इन दोनों ने कोंडागांव पुलिस के पास जाकर आत्मसमर्पण किया, जो माओवादी संगठन की विचारधारा से ऊब चुके थे और शांति की ओर लौटने का निर्णय लिया।
आत्मसमर्पण के बाद, दोनों ने पुलिस के सामने अपनी पीड़ा जाहिर की और बताया कि एक ओर सुरक्षा बलों का बढ़ता दबाव और दूसरी ओर माओवादी संगठन द्वारा किया जा रहा शोषण, इनका जीवन नरक बना चुका था। इसके साथ ही, साय सरकार द्वारा चलाई जा रही पुनर्वास योजना से भी उन्हें एक नया जीवन शुरू करने की उम्मीद जगी। इन योजनाओं ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वे अब एक सामान्य और सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं, बिना हिंसा और आतंक के बीच फंसे हुए।
पुलिस सूत्रों के अनुसार रैसिंग और पुनाय ने कहा, “हमें एहसास हुआ कि जो रास्ता हम चुन रहे थे, वह सिर्फ नष्ट करने का था। अब हमें शांति की ओर बढ़ने का फैसला करना था। सरकार की पुनर्वास योजना ने हमें एक मौका दिया है, और हम चाहते हैं कि अन्य नक्सली भी इस रास्ते पर चलें।