0 बस्तर संभाग के दूरस्थ अंचलों में हो रही सरकारी दफ्तरों की पुनः स्थापना
0 ऎसी है साय सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति: केदार कश्यप
0 सरकारी कार्यालयों के संचालन होने से बस्तर में बहेगी विकास की धारा
(अर्जुन झा) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नक्सलमुक्त बस्तर अभियान आज सफल होता दिख रहा है। बस्तर संभाग में लगभग तीन दशकों से चल रहे नक्सली आतंक समाप्त हो रहा है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे नक्सल उन्नमूलन अभियान के परिणाम स्वरूप आज बस्तर की जनता राहत की सांस ले रही है। वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देश पर वन मुख्यालयों को उनके अधिसूचित मुख्यालयों में पुनः स्थापित किया गया है।
हमेशा से छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग आदिवासी एवं वनवासी को वनों के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने में अग्रणी रहा है। बस्तर संभाग में जब से नक्सलियों आगमन हुआ, तब से लगातार नक्सलियों द्वारा संभाग के अंदरूनी क्षेत्र जहां पूर्व में शासकीय कार्यालय स्थापित थे। सुकमा जिले के जगरगुंडा, गोलापल्ली, किस्टाराम परिक्षेत्र कार्यालय, बीजापुर जिले के गंगालुर एवं पामेड़ परिक्षेत्र तथा नारायणपुर के सोनपुर परिक्षेत्र जैसे अन्य जगहों पर 1980 के दशक के पूर्व के स्थापित शासकीय कार्यालयों, विश्राम गृहों को तोड़फोड़ करना, शासकीय संपत्ति को नष्ट करना, काष्ठ कूपों एवं डिपो में आगजनी एवं शासकीय कर्मचारियों को भारी नुकसान पहुंचाना ये नक्सलियों का काला कारनामा था। जिसके चलते वन विभाग के उन अंदरूनी क्षेत्र के पदस्थ कई शासकीय कर्मचारी शहीद भी हुए थें। कर्मचारी अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा और शासकीय कार्य के प्रभावी ढंग से संचालन हेतु सभी मैदानी कार्यालयों को मुख्यालयों एवं विकासखंडों में स्थानांतरित कर सुकमा वन मंडल के जगरगुंडा वन परिक्षेत्र कार्यालय को दोरनापाल से गोलापल्ली, किस्टाराम परिक्षेत्र कार्यालय को कोंटा से गंगालुर परिक्षेत्र कार्यालय को बीजापुर से तथा सोनपुर परिक्षेत्र कार्यालय को नारायणपुर से संचालित किया जा रहा था।।
नक्सलियों के भय, आतंक के चलते क्षेत्रीय कार्यालयों का जिला मुख्यालयों में स्थानांतरित होने से बस्तर संभाग की उन अंदरूनी क्षेत्र के रहवासियों एवं वनवासियों से सरकार की पहुंच की दूरी बढ़ गई थी। वन विभाग के कई कार्य जिसमें वनों की देख रेख, वानिकी कार्य, वन्य जीवों की सुरक्षा तथा वनवासियों से रोजगार भी प्रभावित हुए। इन घने जंगलों में निवासरत वनवासियों को वन विभाग से संबंधित कार्य अन्य सरकारी कार्य हेतु 40 से 50 किमी की दूरी तय कर शहरी क्षेत्र में स्थित कार्यालयों में आना पड़ता था जिससे उनको कठिनाई का सामना करना पड़ता था। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के लगभग 25 वर्ष पश्चात मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार के दृढ़ संकल्प के कारण ही आज बस्तर संभाग माओवाद से पूरी तरह भयमुक्त हो चुका है। जैसे जैसे बस्तर में शांति बहाल हो रहा है, वनमंत्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार वन विभाग द्वारा अन्य जगहों पर संचालित वन परिक्षेत्र कार्यालयों एवं उप वन मंडल कार्यालयों को तत्काल वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्र के उन आदिवासियों के हित में विभाग द्वारा रोजगार उपलब्ध करने, वनों एवं वन्य जीवों की सुरक्षा तथा उन्हें संरक्षित करने का दृढ़ संकल्प लेकर पुनः परिक्षेत्र कार्यालयों को स्थापित कर संचालित किया जा रहा है। वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देश के पश्चात वन विभाग के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए सुकमा जिले के जगरगुंडा, गोलापल्ली, किस्टाराम, बीजापुर जिले के गंगालुर एवं पामेड़ तथा नारायणपुर के सोनपुर परिक्षेत्र कार्यालयों को स्थापित कर शासकीय कार्यों का सुचारू रूप से संचालन शुरू कर दिया है। शासकीय कार्यालयों की स्थापना से बस्तर संभाग के आदिवासियों एवं वनवासियों को शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ जैसे लघु वनोपज संग्रहण एवं वन विभाग से संबंधित अन्य योजनाओं का लाभ सीधा ग्रामीणों को प्राप्त हो रहा है। स्थानीय आदिवासियों हेतु वन विभाग द्वारा वानिकी कार्य एवं काष्ट कूपों के विदोहन कार्य से रोजगार भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं। उन क्षेत्रों से विलुप्त की कगार पर पहुंच चुके वन्य प्राणी एवं जीव जंतुओं का भी संरक्षण एवं सवंर्धन हो रहा है।
वन संपदा का होगा संरक्षण
वनमंत्री केदार कश्यप ने वन विभाग के दफ़्तरों की पुनः स्थापना को लेकर कहा कि सरकार की दृढ इच्छाशक्ति के कारण आज बस्तर क्षेत्र से नक्सलवाद सिमटता जा रहा है। आज विष्णुदेव साय सरकार की नियद नेल्ला नार योजना का परिणाम है कि दूसरथ अंचलों में आवश्यक सुविधाएं सुचारु रूप से संचालित होने लगी हैं। वही हमारे वन विभाग ने भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुनः अपने कार्यालय का स्थापना किया है। उन्होंने कहा कि निश्चित ही विभागीय काम काज के बहाल होने से वन्य सम्पदा का विकास होगा और वन्य जीवों का संरक्षण सुनिश्चित होगा। वनमंत्री केदार कश्यप ने इस उपलब्धि के लिए वन विभाग के अधिकारियों को बधाई दी।