पचासों क्विंटल सरकारी चना गटक गए भ्रष्टाचारी घोड़े: साय के सुशासन के रथ को रोकने की कोशिश

० बकावंड विकासखंड के ग्रामीणों को वितरित नहीं किए गए चने के पैकेट्स 
(अर्जुन झा) बकावंड। एक ओर जहां छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सुशासन त्यौहार मनाया जा रहा है, इसके तहत कलेक्टर बस्तर द्वारा भी सभी अधिकारी कर्मचारियों से लोगो की समस्याओं का निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं दूसरी ओर बकावंड के भ्रष्टाचारी घोड़े सरकारी चने को गटक रहे हैं। आदिवासी उपभोक्ताओं को चने के पैकेट्स न देकर चना की कालाबाजारी राशन दुकानदार कर रहे हैं। राशन माफिया साय सरकार कर सुशासन रथ को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
बस्तर के आदिवासियों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने और कुपोषण दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से गरीब परिवारों को प्रति राशन कार्ड पैकेटबंद दो किलोग्राम चना उपलब्ध कराया जाता रहा है। मगर बकावंड विकासखंड की राशन दुकानों द्वारा चना वितरण में जमकर गड़बड़ी की जा रही है। कुछ माह पहले यहां के गरीबों के हिस्से के चने को ओड़िशा के बेसन निर्माताओं के पास खापाए जाने का मामला उजागर हुआ था। अब एक और घपलेबाजी सामने आई है। वर्ष 2024 के अंतिम चार माह के चने का आवंटन राशन दुकानों को नहीं हुआ था। इन चारों माह का चना अब अप्रैल माह में आवंटित किया गया है। इस लिहाज से हर राशन कार्डधारी को चार माह के बकाया चार पैकेट चने के साथ मौजूदा माह का एक पैकेट मिलाकर कुल 8 पैकेट चना दिया जाना चाहिए, मगर राशन दुकानदार किसी को 1, किसी को 2 तो किसी को 3 पैकेट चना देकर बाकी चने को दबा रहे हैं।

80 लाख की काली कमाई
बकावंड ब्लॉक में कुल 95 शासकीय उचित मूल्य की दुकानें हैं और जानकारी के अनुसार केवल 3 पंचायतों की राशन दुकानों से शत प्रतिशत चने का वितरण किया गया है। बाकी 92 दुकानों में घपलेबाजी की गई है। मामले की शिकायत टलनार के उपभोक्ता बृजलाल सेठिया और नरसिंह पुजारी ने कलेक्टर से की है। शिकायत के मुताबिक ग्राम टलनार, करीत ग्ओर चितालूर में ही चने का सही वितरण हुआ है। इस तरह राशन दुकानदार क्विंटलों चने की हेराफेरी कर चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि पूरे बस्तर जिले में ऐसा ही कारनामा हुआ है और करीब 80 लाख से ज्यादा की काली कमाई अकेले बकावंड ब्लॉक में दुकान संचालकों और विभागीय अधिकारियों द्वारा की गई है।

वर्जन:
निर्धारित मात्रा में चने का वितरण न होने की जानकारी मुझे भी मिली है। कुछ तकनीकी कारण से ऐसा हुआ है। मामले की जांच की जाएगी।
हेमंत कुमार,
फूड इंस्पेक्टर, बकावंड

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