जगदलपुर। बस्तर की जीवनरेखा इंद्रावती नदी के सूखने से नाराज़ कांग्रेस ने ऐतिहासिक पदयात्रा के बाद कलेक्ट्रेट का घेराव किया। धूप में 40 किलोमीटर की यात्रा कर कांग्रेसजन, किसानों और आमजन ने बस्तर में जलसंकट के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य ने प्रेसवार्ता में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, अगर इंद्रावती नदी सूखी रही, तो बस्तरवासी पलायन को मजबूर होंगे। जब तक नदी में जलप्रवाह शुरू नहीं होता, तब तक कांग्रेस का संघर्ष जारी रहेगा।
मौर्य ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि बस्तर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप और सांसद महेश कश्यप सिर्फ कागजी कार्रवाई कर रहे हैं। इंद्रावती पर ना कोई ठोस पहल की गई, ना ओडिशा सरकार से पानी छोड़वाने का प्रयास। उन्होंने कांग्रेस सरकार में तैयार की गई देउरगांव DPR और मटनार बैराज के प्रस्तावों को रेखांकित करते हुए भाजपा की निष्क्रियता उजागर की।
प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदु ने सरकार से तीखे सवाल पूछे–डेढ़ साल की सरकार में इंद्रावती के लिए क्या किया? इंद्रावती विकास प्राधिकरण पर ताला क्यों? मटनार बैराज की प्रगति क्यों रुकी है? उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ सत्ता की भूखी है, बस्तर के किसानों की नहीं सुन रही।
प्रेमशंकर शुक्ला ने कहामहानदी विवाद पर बैठक हो सकती है तो इंद्रावती पर क्यों नहीं? कांग्रेस ने इंद्रावती को ‘मां’ का दर्जा दिया, भाजपा ने 15 वर्षों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राजीव शर्मा ने भी डबल इंजन सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा बस्तर से भाजपा के तीन शीर्ष नेता होने के बावजूद इंद्रावती के लिए कोई दबाव नहीं बनाया गया। यह बस्तरवासियों के साथ विश्वासघात है।
इस आंदोलन में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता शामिल हुए। बस्तर में जलसंकट गहराता जा रहा है और कांग्रेस ने यह साफ कर दिया है कि जब तक इंद्रावती में पानी नहीं बहता, आंदोलन थमने वाला नहीं है।