वन विभाग में भ्रष्टाचार और विधानसभा में गलत जानकारी देने के मामले में छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर लीपापोती की तैयारी – वर्मा

0 कार्यवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति, भ्रष्टाचार के सूत्रधार और असल गुनहगारों को मिल रहा है सरकार का संरक्षण

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि विगत दिनों विधानसभा के बजट सत्र 2025 के दौरान सदन में गलत जानकारी प्रस्तुत करने के मामले में वन मंत्री ने सदन के भीतर जांच और कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन जमीनी हकीकत उसके उलट है। इतने बड़े भ्रष्टाचार और संगठित झूठ के मामले में केवल छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर लीपा पोती करने की कोशिश जा रही है, जबकि असल जिम्मेदार बड़े अधिकारी हैं जिन पर ठोस कार्रवाई करने से साय सरकार बच रही है। इंदिरा निकुंज माना रोपणी में हुए भ्रष्टाचार पर कांग्रेस विधायक के द्वारा लगाए गए सवाल के जवाब में गलत तथ्य प्रस्तुत किया जाना सदन के भीतर प्रमाणित हुआ, जिस पर जांच और कठोर कार्रवाई का निर्देश विधानसभा की कार्रवाई में दर्ज है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पीसीसीएफ की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट को लेकर बड़ा सवाल यह है कि डीएफओ और एसडीओ पर इतनी कृपा क्यों? इस फर्जीवाड़े में शामिल समिति का गठन करने वाले अधिकारी क्यों बख्शे जा रहे हैं? जिस कुंवारादेव समिति के अस्तित्व में नहीं होने की गलत जानकारी विधानसभा में दी गई, उसके माध्यम से 50 करोड़ से अधिक का लेनदेन किया गया, जिसका हिसाब सतत रूप से वन विभाग के मुख्यालय तक जाता था, तो क्या वन मुख्यालय के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं होनी चाहिए? क्या केवल विभागीय जांच पर्याप्त है? इतने बड़े भ्रष्टाचार और विधानसभा में झूठे तथ्य प्रस्तुत करने के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उच्च स्तरीय जांच नहीं होनी चाहिए?

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस भाजपा का जुमला है, असलियत यह है कि भाजपा के नेता, मंत्रियों की सहभागिता और संरक्षण में ही सब कुछ हो रहा है। भाजपा की सरकार में विधानसभा में प्रस्तुत जानकारी की सत्यता और प्रामाणिकता पर जनता का भरोसा उठ चुका है। जांच और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ रेंजर, फॉरेस्ट गार्ड और लिपिक जैसे निरीह कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़कर पूरे मामले में परदेदारी की जा रही है। असल गुनहगारों को सत्ता का संरक्षण है। केवल छोटे कर्मचारियों के निलंबन से भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा, मामले में संलिप्त अधिकारियों पर भी तत्काल कठोर कार्रवाई आवश्यक है, दोषियों को सजा मिले, उनसे रिकवरी किया जाए, ताकि जनता का भरोसा विधानसभा और प्रशासन पर कायम हो सके।

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