0 कांग्रेस, नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया के जरिए गांधी परिवार ने रचा बड़ा कॉर्पोरेट षड्यंत्र, ईडी की जांच में हुआ खुलासा : उप मुख्यमंत्री अरुण साव
0 गांधी परिवार हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक कैसे बन गए, करोड़ों देशवासियों को दें जवाब : डिप्टी सीएम अरुण साव
रायपुर। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने आज पत्रकार वार्ता कर कहा कि नेशनल हेराल्ड के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) विधि सम्मत कार्रवाई कर रही है। कांग्रेस ने अब धरना प्रदर्शन को अपराध संरक्षण का हथियार बना लिया है। पर यह नहीं भूला जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में जाँच एजेंसियाँ स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और धरनों से ईडी पर दबाव नहीं पड़ेगा।
नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी अभी जमानत पर हैं और 21 व 25 अप्रैल को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इस मामले को लेकर कांग्रेस एक बार फिर धरना-आंदोलन करके दबाव बनाने का प्रपंच रच रही है। इस पूरे मामले की बारीकियों को समझने से पहले इसकी पृष्ठभूमि पर गौर करना लाजिमी होगा।
नेशनल हेराल्ड की स्थापना 1937 में हुई, तब इसके 5000 शेयर होल्डर थे। इनमें पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से लेकर पूर्व आंदोलन के नेता, जो बाद में मुख्यमंत्री रहे, वे भी थे। यानी, इसके शेयर नेहरू खानदान की जागीर कभी नहीं रहे। आगे चलकर 2008 में नेशनल हेराल्ड का पब्लिकेशन बंद हो गया। इसके बाद नेशनल हेराल्ड का संचालन करने वाली एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड (एजीएल) को कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ रुपए का लोन दिया। यहाँ तथ्य यह है कि कोई भी राजनीतिक दल अपना पार्टी फंड किसी कंपनी को नहीं दे सकता है।
हैरत की बात तो यह है कि बाद में नेशनल हेराल्ड ने कांग्रेस को 90 करोड़ का लोन चुकाने से मना कर दिया। इसके बाद यंग इण्डिया नामक कंपनी बनाई गई जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 38-38 प्रतिशत शेयर थे और बाकी शेयर मोती लाल वोरा व ऑस्कर फर्नांडिस आदि अन्य के नाम पर थे।
इसके बाद नेशनल हेराल्ड चलने वाली एसोसिएट जनरल लिमिटेड की 9 करोड़ की इक्विटी शेयर यंग इण्डिया को ट्रांसफर कर दिए गए। इस ट्रांसफर में नेशनल हेराल्ड की हजारों करोड़ों की संपत्ति के मालिक यंग इण्डिया बन गई, जिसमें दिल्ली के बहादुर शाह जफर, मुंबई, लखनऊ, भोपाल और पटना की सारी संपत्तियाँ हैं।
यह पूरी तरह एक कॉर्पोरेट षड्यंत्र किया जाना सिद्ध होता है ताकि यह पूरी संपत्ति गांधी परिवार के हाथ में आ जाए। 90 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ कर दिया गया और केवल 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
पत्रकार वार्ता में उप मुख्यमंत्री श्री साव ने पूछा कि यंग इण्डिया नॉन-प्रॉफिटेबल चैरिटेबल कंपनी है। अब इन्होंने चैरिटी के क्या काम किए, यह आज तक किसी को नहीं मालूम। इस प्रकार बहुत व्यवस्थित तरीके से सार्वजनिक संपत्ति को निजी संपत्ति बना लिया गया।
इस घोटाले पर पहले शिकायत हुई, फिर मामले को ईडी ने लिया और जाँच प्रारंभ की। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पूरे मामले को रद्द करने के लिए कोर्ट में आवेदन लगाया। नेशनल हेराल्ड मामले को गांधी परिवार ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन मामलों में उन्हें सिर्फ जमानत मिली है और व्यक्तिगत उपस्थिति के मामले में छूट मिली है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले की जाँच की और कांग्रेस के कई नेताओं से पूछताछ की थी। इसमें कांग्रेस के स्व. मोतीलाल वोरा, पवन बंसल, सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जाँच की और अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की। कोर्ट ने 21 और 25 अप्रैल 2025 को सुनवाई की तारीख तय की है।
ईडी ने बाकायदा जाँच करके SEC 8 के तहत रिपोर्ट फाइल की है। मतलब जाँच पहले हो चुकी है, अभी रिपोर्ट फाइल की है, जो चार्ज शीट के समान है। अब अहम सवाल यह है कि अगर कोई घोटाला होगा तो क्या कानून को अपना कार्य नहीं करना चाहिए?
भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि इस मामले की गहन जाँच हो और कानून को अपना काम करने दिया जाए। अगर हजारों करोड़ की सार्वजनिक संपत्ति का गलत तरीके से कब्जा किया गया है, तो क्या इस पर चुप रहना चाहिए?
नेशनल हेराल्ड के मामले में सरदार पटेल और चन्द्रभानु गुप्त ने भी पहले कहा था कि जैसे लोगों से पैसा लिया जा रहा है, वह सही नहीं है। आजादी के पहले देश की आवाज बनने वाले नेशनल हेराल्ड को गांधी परिवार ने अपने परिवार का भोंपू बना दिया।
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से हम इस भ्रष्टाचार की भर्त्सना करते हैं और यह मांग करते हैं कि गांधी परिवार को जवाब देना चाहिए कि कैसे 76 प्रतिशत शेयर उनके नाम पर हो गया? कैसे 50 लाख रुपए के एवज में 90 करोड़ के कर्ज माफ हो गए और हजारों हजार करोड़ की संपत्ति के वह मालिक बन गए? आज हुई पत्रकार वार्ता में भाजपा सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल भी उपस्थित रहे।