जगदलपुर। विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी का शौर्य प्रशिक्षण वर्ग सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय जगदलपुर में आयोजित किया जा रहा है। दो दिनों से शौर्य प्रशिक्षण में बालिकाएं बड़े ही उत्साह से भाग ले रही हैं। उन्हें सभी विधाओं में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विशेष रूप से आत्म रक्षा के गुर उन्हें सिखाए जा रहे हैं। आज इसी कार्यक्रम के बौद्धिक सत्र में बच्चों के बीच सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय जगदलपुर के अध्यक्ष कुंवर राज बहादुर राणा विशेष रूप से उपस्थित रहे। अपने उद्बोधन में हिंदू संस्कृति से परिचय कराते हुए कहा कि आदिकाल में मात्र एक ही संस्कृति, एक ही धर्म, एक ही विचार पद्धति थी, वह है सनातन धर्म जो पुरातन वेदों में भी वर्णित है। हमारी संस्कृति बहुत ही उच्च कोटि की रही है। यह वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित रही है अर्थात पूरी दुनिया ही एक परिवार है। हिंदू संस्कृति की विशेषता है कि यह किसी को अपने में समाहित करने के लिए बाध्य नहीं करता सभी अपने अपने जीवन पद्धति अपने अनुसार जी सकते हैं। हिंदू संस्कृति एक समृद्ध शाश्वत है जो आदिकाल से चली आ रही है। इसमें अलग अलग रीति रिवाज,जीवन शैली, परंपराएं शामिल हैं। यह एक व्यावहारिक, आध्यात्मिक जीवन पद्धति है, जो प्रेम,करुणा, ज्ञान व अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित है। हिंदू संस्कृति में कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, की विशाल परंपरा रही है जो आधुनिक भारत में आज भी जीवंत है। यह भौतिक रूप से हमारे प्राचीन मंदिरों में स्पष्ट रूप से अभी भी देखी जा सकती है। जिनमें हमे भारतीय अध्यात्म, दर्शन, और कला के मूर्त रूप देखे जा सकते हैं। इसी के साथ उन्होंने बालिकाओं को उनके उज्वल भविष्य की कामना करते हुए सभी को सत्र का लाभ लेने हेतु मार्गदर्शन किया। रवि ब्रम्हचारी, जनिता मंडावी भी उपस्थित रहे। कार्यक्र का संचालन तनिषा मिश्रा ने किया। इस वर्ग में इंदौर से आए अखाड़ा प्रमुख मोहन हटकर शौर्य प्रशिक्षण प्रमुख हैं।