० डबल इंजन की सरकार की लापरवाही से इंद्रावती और बस्तर दोनों संकट में
० बस्तर की बहुमूल्य खदानें मित्रों को सौंप रही डबल इंजन की सरकार
जगदलपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज आज साय सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि साय के कुशासन में सवा साल के भीतर बस्तर को बदतर बना दिया गया है। इंद्रावती नदी और बस्तर दोनों संकट में हैं। भाजपा सरकार बस्तर की बहुमूल्य खनिज संपदा मित्रों के हवाले कर रही है। आज संभाग मुख्यालय जगदलपुर के राजीव भवन में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार के सवा साल में बस्तर पूरी तरह से बदहाल हो चुका है।राज्य में जबसे डबल इंजन की सरकार बनी है बस्तर और बस्तरवासियों का शोषण शुरू हो गया है। बस्तर के आम आदमी के लिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, जैसी मूलभूत जरूरतों पर यह सरकार कोई काम नही कर रही है। बस्तर के लोगों के जीवन में परिवर्तन के लिये कांग्रेस की सरकार ने 5 साल में जो काम शुरू किया था वर्तमान सरकार ने उन सारी योजनाओं को बंद कर दिया। तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिये शुरू की गई शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना को बंद कर दिया गया। 65 से अधिक वनोपजों के वेल्यू एडिशन काम को बंद कर दिया गया, बस्तर कनिष्ठ चयन बोर्ड की कार्यवाही बंद हो गयी, हाट बाजार क्लीनिक दम तोड़ चुकी है। कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी बंद है। मलेरिया उन्मूलन अभियान दम तोड़ चुका है। देशभर में चर्चित तथा बस्तर में रोजगार का प्रमुख साधन डेनेक्स भी बदहाल हो चुका है। पिछले सवा साल में 100 से अधिक ग्रामीण फर्जी मुठभेड़ में मारे गए। भाजपा के लिए बस्तर का मतलब शोषण का केंद्र मात्र है। सरकार के खिलाफ जनता की आवाज उठाने वालों को ही टार्गेट किया जा रहा है। एकबार फिर से बस्तर के लोंगों का लोकतांत्रिक अधिकार खतरे में है। हमारे जल, जंगल, जमीन हमारी संस्कृति पर सरकार और सरकार के पूंजीपति मित्रों की नजर लग चुकी है।
जल बंटवारे में मौन क्यों
दीपक बैज ने कहा कि आज बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी पूरी तरह से सूख चुकी है, पिछले कई दिनों से इंद्रावती के किनारे के गांवों के किसान इंद्रावती नदी में पानी की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, परंतु डबल इंजन की सरकार किसानों की मांग को अनसुना कर इंद्रावती नदी में पानी के लिए उड़ीसा सरकार से चर्चा तक नहीं कर रही है। राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ राज्य और उड़ीसा सरकार के बीच गर्मी के मौसम में इंद्रावती नदी के पानी के बंटवारे को लेकर 28 दिसंबर 2003 को एक अनुबंध हुआ था जिसमें उड़ीसा सरकार ने यह विश्वास दिलाया था कि गर्मियों के दिनों में जब इंद्रावती नदी में पानी कम होता है उस समय दोनों राज्य पानी का बराबर- बराबर बंटवारा करेंगे परंतु आज उड़ीसा में भाजपा की सरकार है जो उड़ीसा के खातीगुड़ा डैम से पानी नहीं छोड़ रही है। जो पानी आ रहा है वह भी जोरानाला से उडीसा की ओर ही प्रवाहित होकर शबरी नदी में मिल जा रहा है जिसके चलते आज समूचा बस्तर गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़, उड़ीसा और केन्द्र में भाजपा सरकारें हैं। फिर भी बस्तर की जनता को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। यह भारतीय जनता पार्टी की उदासीनता का ही नतीजा है। बस्तर के लोग बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी को तिल-तिल मारता हुआ देखने को मजबूर है।
रुके बस्तर के 9 बड़े प्रोजेक्ट
पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि जल संसाधन मंत्री बस्तर से ही आते हैं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बस्तर से हैं जो कि स्वयं जगदलपुर के विधायक हैं बावजूद केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत 9 बड़े प्रोजेक्ट आज तक इंद्रावती नदी में इस सरकार आरंभ नहीं करा पाई है। वहीं उड़ीसा सीमा से चित्रकूट जलप्रपात के बीच 10 छोटे एनीकेट बने हैं जिनमें से वर्तमान स्थिति में चार एनीकेट पूरी तरह से सूख चुके हैं, मटनार बैराज और देउरगांव बैराज को प्रशासनिक स्वीकृति यह सरकार नहीं दे रही है और न ही ओडिशा सरकार पर खातीगुड़ा डैम से पानी छोड़ने दबाव बनाया जा रहा है। दीपक बैज ने कहा कि पिछले दिनों साय सरकार के राजनैतिक इवेंट के चलते चित्रकोट जलप्रपात में केबिनेट की मीटिंग रखी गई, दिखावेबाजी के लिए चित्रकोट जलप्रपात में जल प्रवाह के लिए बनाए गए बांध से अनावश्यक पानी छोड़ा गया। उसी के चलते आज इंद्रावती में जल संकट है। मुख्यमंत्री की सुरक्षा का हवाला देकर अनेक पेड़ काटे गए। आज बस्तर का किसान बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है और उसकी फसल को नुकसान हो रहा है। बहुत जल्द ही जगदलपुर की जनता को भी बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा। इस विष्णु देव साय की सरकार ने इंद्रावती नदी का पानी रोकने कोई पहल नहीं की जिसके चलते केंद्रीय जल आयोग, राष्ट्रीय विकास जल अभिकरण और तेलंगाना सरकार 148 टीएमसी पानी छत्तीसगढ़ के बस्तर को देने की बजाए तेलंगाना सरकार को देने की बात भी कर रहे हैं। कांग्रेस बस्तरवासियों को सरकार के हाल पर नहीं छोड़ सकती। हम बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती को सूखते नहीं देख सकते। सरकार शीघ्र उड़ीसा सरकार के बात नहीं करती समस्या का समाधान नहीं करती तो हम आंदोलन को मजबूर होंगे।
खनिज पर भाजपा की बुरी नजर
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा बस्तर के संसाधनों पर भाजपा सरकार की बुरी नजर है, विष्णुदेव साय की सरकार ने छत्तीसगढ़ को एक बार फिर कॉरपोरेट घरानों का चारागाह बना दिया है। बस्तर की चार बड़ी लौह अयस्क खदानें निजी पूंजीपतियों को इसमें से 2 खदानें आर्सेलर मित्तल को 50 साल के लिए लीज पर दे दी गई है।बैलाडीला 14 खदान रूंगटा स्टील को 50 सालों के लिए दी गई है। कांकेर जिले की हाहालादी खदान सागर स्टोन को 50 साल के लिए दे दी गई है। यह शुरूआत है इसके बाद बस्तर के सभी बहुमूल्य खनिज संपदा को अडानी को सौंपने की तैयारी की जा रही है। अडानी के लिए बस्तर में रेड कार्पेट बिछाया जा रहा। भाजपा सरकार बस्तर में खनन आधारित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्थापित करने के बजाय, बहुमूल्य खनिज संसाधन औने-पौने दाम पर पूंजीपतियों को लुटा रही है।विगत दिनों केंद्रीय इस्पात मंत्री छत्तीसगढ़ आए थे, तमाम विरोध के बावजूद भारत सरकार का सरकारी उपक्रम फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड भिलाई स्थित यूनिट को मात्र 320 करोड़ में बेच दिया, जो कभी घाटे में नहीं रही बल्कि लगभग 100 करोड़ प्रति वर्ष का मुनाफा कमा रहा थी। रमन सिंह की सरकार बस्तर के नागराज पर्वत मोदी के मित्र अदानी को बेचा गया ग्रामसभा की फर्जी एनओसी लगाई गई। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने जांच के बाद आवंटन रद्द करने का प्रस्ताव केंद्र की मोदी सरकार को भेजा था लेकिन वह भी आज तक लंबित है। बस्तर के नगरनार में 20 हजार करोड़ से अधिक के सार्वजनिक क्षेत्र एनएमडीसी के प्लांट को बेचने के लिए केंद्र की मोदी सरकार विनिवेशीकरण की सरकारी साइट दीपम पर सेल लगाकर रखी है। बस्तर के युवाओं के सरकारी नौकरी में रोजगार के अधिकार को बेच रही है मोदी सरकार। चुनाव के समय मोदी और अमित शाह ने बस्तर की जनता से वादा किया था कि नगरनार नहीं बिकेगा लेकिन बेचने की प्रक्रिया आज भी जारी है।भाजपा की सरकार की बुरी नजर केवल बस्तर के संसाधनों पर है, छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान, आत्मसम्मान और जन अधिकार है को निर्दयता पूर्वक कुचल रही है।इस दौरान शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य, पूर्व विधायक रेखचंद जैन, रविशंकर तिवारी, कविता साहू,जाहिद हुसैन,सुभाष गुलाटी,महेश ठाकुर,आदित्य बिसेन, अनुराग महतो, मोना पाढ़ी, सलीम जाफर, ज्योति राव, सायमा अशरफ, उस्मान रजा आदि मौजूद रहे।