० 4 माह से हमालों का भुगतान रोका और वरिष्ठ भाजपा नेता को दुत्कारा
० शाखा प्रबंधक लगा रहे हैं बैंक की साख पर बट्टा
(अर्जुन झा)बकावंड। चोरी ऊपर से सीनाजोरी की कहावत केंद्रीय जिला सहकारी बैंक की बकावंड शाखा में चरितार्थ होती नजर आ रही है। एक तो धान खरीदी में कार्य करने वाले दर्जनों हमालों का 4-5 माह से मजदूरी भुगतान रोक दिया गया गया है, दूसरा इस संबंध में जानकारी लेने पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता के साथ सार्वजनिक रूप से अभद्रता की जाती है। बैंक मैनेजर का रवैया बिल्कुल किसी थानेदार जैसा रहता है। उनके व्यवहार से बैंक के ग्राहक भी परेशान हैं।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2024 से 31 जनवरी 25 के बीच धान खरीदी केंद्र बकावंड में हमाली का कार्य करने वाले दर्जनों हमालों को आज तक उनकी मजदूरी नहीं दी गई है। सरकारी तौर पर धान की खरीदी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की अधीनस्थ सहकारी साख समितियों के माध्यम से की गई थी। मिली जानकारी के अनुसार जिले के समस्त धान खरीदी केंद्रों के हमालों और दीगर मजदूरों की पारिश्रमिक राशि का भुगतान शासन द्वारा किया जा चुका है, मगर बकावंड केंद्र में हमालों की मजदूरी राशि का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। ये हमाल मजदूर सहकारी समिति कार्यालय के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो चले हैं। थक हार कर हमालों ने अपनी पीड़ा जनप्रतिनिधि और बकावंड क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेता जितेंद्र पाणिग्रही से मामले की शिकायत की। हमालों की पीड़ा को देखते हुए भाजपा नेता जितेंद्र पाणिग्रही जानकारी लेने सहकारी बैंक शाखा पहुंचे, तो शाखा प्रबंधक उनके साथ अभद्रता पर उतर आए। श्री पाणिग्रही ने जब स्थानीय सहकारी बैंक शाखा के प्रबंधक से इस पर जब चर्चा की तो उनका रवैया टाल मटोल भरा रहा। उन्होंने सीधे डीएमओ से बात करने को कहा। सहकारी बैंक शाखा के प्रबंधक अनल पांडे ने काफी रुखे स्वर में डांटने वाले अंदाज में कहा कि तुम लोग नेतागिरी करने आ जाते हो। शाखा प्रबंधक श्री पांडे भाजपा नेता जितेंद्र पाणिग्रही के साथ ठीक वैसा ही बर्ताव कर रहे थे, जैसा कि कोई थानेदार किसी अपराधी के साथ करता है। शाखा प्रबंधक के इस रवैए को लेकर क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं और नागरिकों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। बताते हैं कि शाखा प्रबंधक बैंक के ग्राहकों और खातेदार किसानों के साथ भी अक्सर दुर्व्यवहार करते हैं। उनके बेरूखे बर्ताव के कारण बैंक की साख पर बट्टा लग रहा है। अगर बैंक के उच्च प्रबंधन ने उन पर नियंत्रण नहीं किया तो बैंक शाखा को बंद करने की भी नौबत आ सकती है। जबकि सहकारी बैंक की बकाकंड शाखा करोड़ों का व्यवसाय करती है।